Pegasus जासूसी मामला: सुप्रीम कोर्ट नियुक्त समिति ने सभी राज्यों के डीजीपी से स्पायवेयर खरीद की जानकारी मांगी

By विशाल कुमार | Published: April 30, 2022 10:21 AM2022-04-30T10:21:33+5:302022-04-30T10:26:22+5:30

18 अप्रैल को ओडिशा सहित सभी राज्यों के डीजीपी को लिखे एक पत्र में तकनीकी समिति ने उन्हें खरीद की तारीख और लाइसेंस के प्रकार और खरीद की मात्रा को बताने के लिए कहा यदि राज्यों ने स्पायवेयर की खरीद की थी।

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Pegasus जासूसी मामला: सुप्रीम कोर्ट नियुक्त समिति ने सभी राज्यों के डीजीपी से स्पायवेयर खरीद की जानकारी मांगी

Highlightsकेंद्रीय मंत्रालयों से इसी तरह की जानकारी मांगने की कोई जानकारी नहीं है।18 अप्रैल को सभी राज्यों के डीजीपी को सुप्रीम कोर्ट के महासचिव ने एक समिति के हवाले से एक पत्र लिखा है।सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अक्टूबर में एक स्वतंत्र विशेषज्ञ तकनीकी समिति नियुक्त की थी।

नई दिल्ली: पेगासस स्पायवेयर मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तकनीकी समिति ने सभी राज्यों के पुलिस महानिदेशकों (डीजीपी) को यह सूचित करने के लिए कहा है कि क्या उन्होंने इजरायल के एनएसओ समूह से सॉफ्टवेयर खरीदा है। 

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि, यह पता नहीं चल सका है कि समिति ने केंद्रीय गृह मंत्रालय या किसी अन्य केंद्रीय मंत्रालय से इसी तरह की जानकारी मांगी है या नहीं।

18 अप्रैल को ओडिशा सहित सभी राज्यों के डीजीपी को लिखे एक पत्र में तकनीकी समिति ने उन्हें खरीद की तारीख और लाइसेंस के प्रकार और खरीद की मात्रा को बताने के लिए कहा यदि राज्यों ने स्पायवेयर की खरीद की थी।

सुप्रीम कोर्ट के महासचिव ने तकनीकी समिति के सवालों का हवाला देते हुए सभी डीजीपी से पूछा है कि क्या पेगासस स्पायवेयर तक पहुंच रखने वाले राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में किसी राज्य, राज्य पुलिस, राज्य खुफिया या एजेंसी ने भारत के किसी भी नागरिक पर इसका इस्तेमाल किया है? यदि हां, तो क्या इस तरह के उपयोग के लिए कोई अनुमति/अनुमति या स्वीकृति प्राप्त की गई थी और यदि हां, तो किससे?

सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय समिति गठित की है

बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस आरवी रविंद्रन की निगरानी में एक स्वतंत्र विशेषज्ञ तकनीकी समिति नियुक्त की थी। तकनीकी समिति के सदस्यों में डॉ. नवीन कुमार चौधरी, डॉ. प्रभरण पी. और डॉ. अश्विन अनिल गुमस्ते शामिल हैं।

समिति का गठन उन आरोपों की जांच करने के लिए कहा गया था कि जिनमें आरोप लगाया है कि सरकार ने भारतीय मंत्रियों, राजनेताओं, कार्यकर्ताओं, व्यापारियों और पत्रकारों के फोन पर जासूसी करने के लिए इजरायली स्पायवेयर पेगासस का इस्तेमाल किया।

यह आदेश वरिष्ठ पत्रकार एन. राम और शशि कुमार, एडिटर्स गिल्ड और कथित जासूसी के शिकार व्यक्तियों सहित कई अन्य व्यक्तियों और संस्थाओं की ओर से दायर याचिकाओं के जवाब में दिया गया है।

क्या है मामला?

बता दें कि, जुलाई 2021 में द वायर सहित अंतर्राष्ट्रीय मीडिया संगठनों के एक संघ ने दुनियाभर के देशों में पेगासस के उपयोग का खुलासा किया था। भारत में एमनेस्टी इंटरनेशनल की सुरक्षा लैब द्वारा किए गए फोरेंसिक विश्लेषण के माध्यम से पेगासस के इस्तेमाल के 10 से अधिक मामले पाए गए थे।

इससे पहले साल 2019 में व्हाट्सएप ने एनएसओ ग्रुप पर मुकदमा दायर किया था और उस पर अपने सॉफ्टवेयर का अवैध उल्लंघन करने का आरोप लगाया था। उस समय व्हाट्सएप ने कहा था कि उसने कई भारतीय कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के फोन पर पेगासस को निशाना बनाते हुए पाया था। वहीं, पिछले साल नवंबर में अमेरिका ने एनएसओ ग्रुप को निर्यात प्रतिबंधों की सूची में डाल दिया था।

आंध्र प्रदेश विधानसभा में समिति गठित करने का प्रस्ताव

आंध्र प्रदेश विधानसभा ने पिछले महीने यह पता लगाने के लिए एक समिति गठित करने का प्रस्ताव पारित किया था कि क्या चंद्रबाबू नायडू सरकार ने अपने राजनीतिक विरोधियों पर पेगासस को खरीदा और इस्तेमाल किया। 

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहले कहा था कि उनकी सरकार ने 4-5 साल पहले पेगासस को खरीदने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।

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