पेगासस जासूसी विवाद : ममता ने जांच आयोग का गठन किया

By भाषा | Published: July 26, 2021 06:24 PM2021-07-26T18:24:13+5:302021-07-26T18:24:13+5:30

Pegasus espionage controversy: Mamata constitutes commission of inquiry | पेगासस जासूसी विवाद : ममता ने जांच आयोग का गठन किया

पेगासस जासूसी विवाद : ममता ने जांच आयोग का गठन किया

कोलकाता, 26 जुलाई पेगासस विवाद को लेकर केंद्र के साथ टकराव के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को नेताओं, अधिकारियों और पत्रकारों की जासूसी के आरोपों की जांच करने के लिए दो सदस्यीय जांच आयोग की घोषणा की।

यह चौंकाने वाला घटनाक्रम तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के नयी दिल्ली के लिए उड़ान भरने से कुछ समय पहले हुआ, जहां वह 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा विरोधी दलों का गठबंधन बनाने के तरीकों का पता लगाने के लिए विपक्षी नेताओं के साथ बातचीत करेंगी।

कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ज्योतिर्मय भट्टाचार्य और उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश मदन भीमराव लोकुर आयोग के दो सदस्य हैं।

बनर्जी ने कहा, ‘‘मंत्रिमंडल ने 1952 के जांच आयोग अधिनियम की धारा 3 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए व्यापक रूप से रिपोर्ट की गई अवैध हैकिंग, निगरानी, ​​निगरानी में रखने, पश्चिम बंगाल में विभिन्न व्यक्तियों के मोबाइल फोन की ट्रैकिंग और रिकॉर्डिंग के मामले में जांच आयोग के गठन को आज मंजूरी दी।’’

उन्होंने नयी दिल्ली रवाना होने से पहले एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘वे इस बात की जांच करेंगे कि इस हैकिंग मामले में कौन शामिल हैं और वे इस अवैध गतिविधि को कैसे कर रहे हैं। साथ ही यह भी जांच करेंगे कि वे दूसरों को कैसे चुप करा रहे हैं।’’ बनर्जी का दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात का कार्यक्रम है।

जांच आयोग अधिनियम के तहत केंद्र और राज्य दोनों जांच शुरू कर सकते हैं।

अधिनियम के अनुसार हालांकि, अगर केंद्र सरकार ने इस तरह की जांच का आदेश दिया है, "कोई भी राज्य सरकार, केंद्र सरकार की मंजूरी के साथ छोड़ कर, एक ही मामले की जांच के लिए एक और आयोग का गठन नहीं करेगी, जब तक कि केंद्र सरकार द्वारा गठित आयोग काम कर रहा हो।"

इसमें यह भी कहा गया है कि यदि किसी राज्य सरकार ने जांच का आदेश दिया है, "केंद्र सरकार उसी मामले की जांच के लिए दूसरे आयोग को तब तक नियुक्त नहीं करेगी जब तक कि राज्य सरकार द्वारा नियुक्त आयोग काम कर रहा हो, जब तक कि केंद्र सरकार की यह राय न हो कि जांच का दायरा दो या दो से अधिक राज्यों तक बढ़ाया जाना चाहिए।’’

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के इस कदम को केंद्र को व्यापक जांच का आदेश देने के लिए मजबूर करने के प्रयास के रूप में देखा जा सकता है क्योंकि सूची में संभावित लक्ष्यों में कई राज्यों के लोग शामिल हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद थी कि केंद्र एक जांच आयोग गठित करेगा या इस फोन-हैकिंग मामले की जांच के लिए अदालत की निगरानी में जांच का आदेश दिया जाएगा। लेकिन केंद्र हाथ पर हाथ रखकर बैठा हुआ है ... इसलिए हमने जांच के लिए एक आयोग गठित करने का फैसला किया। पश्चिम बंगाल इस मामले में इस मामले में कदम उठाने वाला पहला राज्य है।’’

बनर्जी ने कहा कि आयोग यह पता लगाने की कोशिश करेगा कि फोन हैक करने में कौन कौन शामिल हैं और वे इसे कैसे कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि साथ ही इस अवैध गतिविधि को रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर भी गौर करना जरूरी है।

उन्होंने कहा, ‘‘कभी-कभी, आपको कुछ लोगों को जगाने की जरूरत होती है जब वे सो रहे हों। मेरा मानना ​​है कि हमारे (पश्चिम बंगाल सरकार) द्वारा उठाया गया यह छोटा कदम दूसरों को जगाएगा। मैं न्यायमूर्ति भट्टाचार्य और लोकुर साहब से तुरंत जांच शुरू करने का अनुरोध करूंगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘पेगासस लक्ष्य सूची में पश्चिम बंगाल के लोगों के नाम शामिल हैं। पश्चिम बंगाल के पत्रकार हैं जिनके फोन टैप किए गए हैं। हमें यह भी पता लगाने की जरूरत है कि इस स्पाइवेयर से न्यायपालिका में कौन प्रभावित हुए।’’

मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल नेताओं, सरकारी अधिकारियों और पत्रकारों की जासूसी करने के लिए किया गया था, जिसके बाद देश और दुनिया भर में इसे लेकर बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया।

खबरों के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के दौरान टीएमसी सांसद एवं मुख्यमंत्री के भतीजे अभिषेक बनर्जी और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर स्पाईवेयर के संभावित निशाने पर थे।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पेगासस जासूसी विवाद को लेकर बुधवार को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर देश को ‘निगरानी वाला राष्ट्र’ बनाने का प्रयास करने का आरोप लगाया था। उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनावों में ‘‘निरंकुश’’ भाजपा सरकार को हटाने के लिए विपक्षी एकता पर बल दिया था।

बनर्जी ने उच्चतम न्यायालय से अनुरोध किया कि वह पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल करके नेताओं, कार्यकर्ताओं, पत्रकारों आदि को निशाना बनाने वाले कथित जासूसी प्रकरण का संज्ञान ले। उन्होंने विपक्षी दलों से कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए सभी को साथ आना होगा।

तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष बनर्जी ने कोलकाता में शहीद दिवस रैली को डिजिटल तरीके से संबोधित करते हुए कहा था, ‘‘भाजपा एक लोकतांत्रिक देश को कल्याणकारी राष्ट्र के बजाय निगरानी वाले राष्ट्र में बदलना चाहती है।’’

उस समय राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशनल क्लब में बैठे विपक्षी नेता डिजिटल तरीके से उक्त कार्यक्रम से जुड़े थे जहां बनर्जी के भाषण का प्रसारण बड़ी स्क्रीन के जरिये हो रहा था।

उन नेताओं में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम और दिग्विजय सिंह, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार, द्रमुक के तिरुचि शिवा, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज के झा, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, टीआरएस के केशव राव, शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी और अकाली दल के बलविंदर सिंह भुंदर शामिल थे।

बनर्जी का राष्ट्रीय राजधानी का यह दौरा लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए पश्चिम बंगाल की बागडोर संभालने के बाद पहला है। संभवतः उन्हें इस दौरे से विपक्षी एकता के एजेंडे को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।

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Web Title: Pegasus espionage controversy: Mamata constitutes commission of inquiry

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