पेगासस मामला: अदालत ने कहा, वह केवल यह जानना चाहती हैं, क्या सरकार ने उपयोग किया या नहीं

By भाषा | Updated: September 13, 2021 22:18 IST2021-09-13T22:18:48+5:302021-09-13T22:18:48+5:30

Pegasus case: The court said, she only wants to know whether the government used it or not | पेगासस मामला: अदालत ने कहा, वह केवल यह जानना चाहती हैं, क्या सरकार ने उपयोग किया या नहीं

पेगासस मामला: अदालत ने कहा, वह केवल यह जानना चाहती हैं, क्या सरकार ने उपयोग किया या नहीं

नयी दिल्ली, 13 सितंबर केंद्र ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि कथित पेगासस जासूसी मामले में स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिकाओं पर वह विस्तृत हलफनामा दाखिल नहीं करना चाहती, जिसके बाद शीर्ष अदालत ने कहा कि वह केवल यह जानना चाहती है कि क्या केंद्र ने नागरिकों की कथित जासूसी के लिए अवैध तरीके से पेगासस सॉफ्टवेयर का उपयोग किया या नहीं?

पत्रकारों एवं अन्य द्वारा निजता हनन की चिंताओं के बीच केन्द्र के इस रुख को देखते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि इस मुद्दे पर वह अंतरिम आदेश देगा। साथ ही दोहराया कि न्यायालय राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े किसी भी मामले की जानकारी प्राप्त करने की इच्छुक नहीं है।

विस्तृत हलफनामे के जरिए केंद्र का इस बारे में स्पष्ट रुख सामने आने का जिक्र करते हुए प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह प्रत्युत्तर दलीलों में अदालत के सामने लगातार राष्ट्रीय सुरक्षा पर अपनी दलील को दोहरा रहे हैं।

पीठ ने कहा, '' कानून के तहत स्थापित एक प्रक्रिया है जो फोन सुनने की भी अनुमति देती है। आपके रुख को समझने के लिए हमें आपका हलफनामा चाहिए था। हम इससे आगे कुछ और नहीं कहना चाहते।''

पीठ ने यह भी कहा कि अगर सरकार किसी जासूसी सॉफ्वेयर का उपयोग करती है तो यह कानून के तहत स्थापित प्रक्रिया के अनुसार होना चाहिए।

पीठ ने मेहता से कहा, ‘‘हम आदेश सुरक्षित रख रहे हैं। अंतरिम आदेश दिया जाएगा जिसमें दो से तीन दिन का वक्त लगेगा। यदि आप इस बारे में पुन: विचार करते हैं तो मामले का उल्लेख हमारे समक्ष कर सकते हैं।’’

उच्चतम न्यायालय ने मेहता से कहा कि यदि सरकार इस मामले में विस्तृत हलफनामा दायर करने के बारे में फिर से विचार करती है तो वह मामले का उल्लेख न्यायालय के समक्ष कर सकते हैं।

पीठ ने मेहता से कहा, ‘‘हम केवल एक सीमित हलफनामे की उम्मीद कर रहे थे क्योंकि हमारे सामने याचिकाकर्ता हैं जिनका कहना है कि ए या बी एजेंसी द्वारा उनके निजता के अधिकार का उल्लंघन किया गया है। आपको ये बताना होगा कि ऐसा किया गया या नहीं? राष्ट्रीय सुरक्षा वर्तमान कार्यवाही का हिस्सा नहीं है।’’

पीठ ने कहा, ‘‘ हम फिर दोहराते हैं कि हम भी नहीं चाहते कि सुरक्षा व रक्षा संबंधी कोई मुद्दे हमारे समक्ष रखे जाएं।’’

वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से करीब घंटे भर चली सुनचाई के दौरान केंद्र ने पीठ से कहा कि वह विस्तृत हलफनामा दायर नहीं करना चाहता। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि सरकार ने किसी विशेष सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया है या नहीं, यह सार्वजनिक चर्चा का विषय नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे संबंधित जानकारी को हलफनामे का हिस्सा बनाना राष्ट्रहित में नहीं होगा। मेहता ने कहा कि विशेषज्ञों की समिति की रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष पेश की जाएगी।

उन्होंने कहा कि सरकार के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है और यही वजह है कि उसने अपनी ओर से कहा कि आरोपों की जांच के लिए वह क्षेत्र के विशेषज्ञों की समिति का गठन करेगा।

इस पर, पीठ ने मेहता से कहा कि यह पहले ही स्पष्ट किया जा चुका है कि वह नहीं चाहते कि सरकार ऐसी कोई भी जानकारी का खुलासा करे जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़ती हो।

पीठ ने कहा, ‘‘आप (मेहता) बार-बार कह रहे हैं कि सरकार हलफनामा दायर नहीं करना चाहती। हम भी नहीं चाहते कि सुरक्षा संबंधी कोई मुद्दे हमारे समक्ष रखे जाएं। आपने कहा कि एक समिति बनाई जाएगी और रिपोर्ट दाखिल की जाएगी। हमें तो पूरे मुद्दे को देखना है और अंतरिम आदेश देना है।’’

पीठ ने पूर्व सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद के पुराने बयान का भी उल्लेख किया जिसमें पेगासस स्पाइवेयर के माध्यम से जासूसी करने की रिपोर्ट को कथित रूप से स्वीकार किया गया था। इस पर मेहता ने इस संबंध में संसद में सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव के बयान का जिक्र किया जिसमें वैष्णव ने कहा था कि मानसून सत्र से पहले इस तरह की खबरों का सामने आना केवल इत्तेफाक नहीं हो सकता।

इस बीच, पीठ के समक्ष वरिष्ठ पत्रकार एन राम और शशि कुमार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि सरकार शीर्ष अदालत को ‘‘अपनी आंखें बंद करने’’ के लिए नहीं कह सकती। सिब्बल ने पीठ से कहा, ‘‘यह अविश्वसनीय है कि केंद्र सरकार कहती है कि हम अदालत को नहीं बताएंगे।’’

सिब्बल ने कहा, ‘‘सरकार अदालत को अपनी आंखें बंद करने के लिए नहीं कह सकती है। ऐसा नहीं कह सकती है कि हम वही करेंगे जो हम चाहते हैं और हम इसे आंतरिक जांच के माध्यम से करेंगे।’’ साथ ही कहा कि सरकार का कर्तव्य है कि वह अपने नागरिकों को मुद्दे की तथ्यात्मक स्थिति से अवगत कराए।

केंद्र ने कहा है कि कुछ निहित स्वार्थों के तहत फैलाई गई किसी भी गलत धारणा को दूर करने और उठाए गए मुद्दों की जांच करने के लिए सरकार विशेषज्ञों की एक समिति का गठन करेगी।

उच्चतम न्यायालय ने सात सितंबर को देश में कुछ विशिष्ट लोगों की इजराइली स्पाइवेयर पेगासस के जरिए कथित रूप से जासूसी कराए जाने के मामले की स्वतंत्र जांच के अनुरोध वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र को अपना जवाब दाखिल करने के लिए कुछ और समय प्रदान किया था और कहा था कि इस मामले में न्यायालय अब 13 सितंबर को सुनवाई करेगा।

तब, केन्द्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया था कि कुछ कठिनाइयों के कारण वह दूसरा हलफनामा दायर करने के संबंध में फैसले को लेकर संबंधित अधिकारियों से नहीं मिल सके और उन्होंने मामले को बृहस्पतिवार या सोमवार को सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया था।

केंद्र ने, इससे पहले, शीर्ष अदालत में एक संक्षिप्त हलफनामा दायर किया था और कहा था कि पेगासस जासूसी अरोपों में स्वतंत्र जांच के अनुरोध वाली याचिकाएं ‘‘अनुमानों या अन्य अप्रमाणित मीडिया रिपोर्टों या अधूरी या अपुष्ट सामग्री’’ पर आधारित हैं।

शीर्ष अदालत ने इस मामले में 17 अगस्त को केन्द्र को नोटिस जारी करते हुए कहा था कि वह नही चाहती कि सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित किसी जानकारी का खुलासा करे। न्यायालय ने केन्द्र से सवाल किया था कि इस मुद्दे पर अगर सक्षम प्राधिकारी उसके समक्ष हलफनामा दाखिल करते हैं तो इसमें क्या समस्या है।

इस पर मेहता ने कहा था, ‘‘हमारा सुविचारित जवाब वही है जो हमने अपने पिछले हलफनामे में कहा था। कृपया इस विषय को हमारे नजरिये से देखें क्योंकि हमारा हलफनामा पर्याप्त है। भारत सरकार देश की सर्वोच्च अदालत के सामने है।’’

मेहता ने यह भी कहा था कि अगर किसी भी देश की सरकार इस्तेमाल किये गये या इस्तेमाल नहीं किये गए सॉफ्टवेयर के बारे में जानकारी सार्वजनिक करती है तो आतंकी गतिविधियों में संलिप्त पहले से ही इसके उपाय कर सकते हैं।

ये याचिकाएं, सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रतिष्ठित नागरिकों, नेताओं और पत्रकारों की इजराइल के स्पाइवेयर पेगासस के जरिए कथित जासूसी की खबरों से संबंधित है।

एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठन ने कहा था कि पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर 300 से अधिक भारतीय मोबाइल फोन नंबरों को निगरानी के लिए संभावित लक्ष्यों की सूची में रखा गया था।

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