अलीगढ़ के नूरपुर गांव में तनाव के बाद शांति व्याप्त

By भाषा | Published: June 7, 2021 03:53 PM2021-06-07T15:53:46+5:302021-06-07T15:53:46+5:30

Peace prevails in Aligarh's Nurpur village after tension | अलीगढ़ के नूरपुर गांव में तनाव के बाद शांति व्याप्त

अलीगढ़ के नूरपुर गांव में तनाव के बाद शांति व्याप्त

अलीगढ़ (उप्र), सात जून जिले के टप्पल थाना क्षेत्र स्थित नूरपुर गांव में मस्जिद के सामने से गाजे-बाजे के साथ बारात निकाले जाने को लेकर दो समुदायों के बीच तनाव उत्पन्न होने के बाद अब मौके पर शांति व्याप्त है।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कलानिधि नैथानी ने सोमवार को संवाददाताओं को बताया कि नूरपुर गांव में हालात अब बिलकुल शांतिपूर्ण हैं और नागरिक समिति स्थिति को पूरी तरह सामान्य बनाने में प्रशासन की मदद कर रही है।

जिलाधिकारी चंद्र भूषण सिंह के साथ रविवार शाम नूरपुर का दौरा करने गए नैथानी ने बताया कि इस मामले के पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है और बाकी छह आरोपियों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा। गांव में सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद कर दी गई है।

रविवार को कथित हिंदूवादी नेता साध्वी प्राची और हिंदू सेना, हिंदू वाहिनी तथा हिंदू फोर्स के कार्यकर्ताओं ने नूरपुर जाने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने उन्हें बीच रास्ते में ही रोक लिया। काफी बहस के बाद इन संगठनों के दो प्रतिनिधियों को गांव जाकर दलित समुदाय के लोगों से मिलने की इजाजत दी गई, जिन्होंने गत 26 मई को हुई हिंसा के मामले में मुस्लिम समुदाय के लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया था।

इन संगठनों के नेताओं ने मांग की कि नूरपुर हिंसा मामले में सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया जाए और ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन के उस नेता को भी फौरन गिरफ्तार किया जाए जिसने गांव में कथित रूप से भड़काऊ भाषण दिया था।

इस बीच, नूरपुर मामले की जांच कर रहे पुलिस क्षेत्राधिकारी एसपी सिंह ने सोमवार को संवाददाताओं को बताया कि घटना से जुड़ी एक वीडियो फुटेज में दिखी उस कार का घटना से कोई संबंध नहीं है जिसके शीशे गत 26 मई को नूरपुर में हुई घटना के दौरान कथित रूप से तोड़े गए थे।

गौरतलब है कि नूरपुर गांव में गत 26 मई को बहुसंख्यक दलित समुदाय के एक व्यक्ति की बारात गाजे-बाजे के साथ एक मस्जिद के सामने से गुजर रही थी। इसपर दूसरे समुदाय के लोगों ने मस्जिद के आगे गाने बजाने पर आपत्ति जाहिर की थी।

इस मामले में बहुसंख्यक समुदाय के सदस्यों ने मामला दर्ज कराया था जिसमें यह आरोप लगाया गया है कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने बारात पर पथराव किया और लाठी-डंडों से हमला किया। इस घटना में अनेक लोगों को चोट आई और उनकी कई गाड़ियों के शीशे टूट गए।

इस मामले में वकील, कलुआ, मुस्तकीम, शरफू, अंसार, सोहेल, फारूक, अमजद, तौफीक, शाजोर, लेहरु तथा कुछ अन्य लोगों के खिलाफ भारतीय दंड विधान तथा दलित कानून की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।

विवाह समारोह का आयोजन करनेवाले परिवार के सदस्यों ने पिछले सोमवार को एक वीडियो जारी कर कहा था कि वे 26 मई की घटना से बहुत व्यथित हैं और उन्होंने अपने घरों के बाहर मकान बिकाऊ होने का पर्चा चिपका दिया है। वे किसी और स्थान पर पलायन करना चाहते हैं क्योंकि अल्पसंख्यक समुदाय के लोग उन्हें परेशान करते हैं।

वीडियो वायरल होने के बाद क्षेत्रीय भाजपा सांसद सतीश गौतम और विधायक अनूप प्रधान ने गांव का दौरा किया था और आश्वासन दिया था कि किसी को भी अपनी सुरक्षा की चिंता करने की जरूरत नहीं है।

सांसद गौतम ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासनकाल में किसी भी व्यक्ति के पलायन का कोई सवाल ही नहीं उठता। इस मामले में दोषी लोगों को ऐसी सजा दी जाएगी जो मिसाल बनेगी।

उधर, अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों ने संवाददाताओं से कहा था कि उन्हें इस बात की उम्मीद थी कि सांसद उनकी बात भी सुनेंगे, लेकिन यह उम्मीद बेकार गई।

उन्होंने 26 मई को मस्जिद के सामने से बारात निकाले जाने को लेकर अल्पसंख्यक पक्ष द्वारा किसी भी तरह का हमला किए जाने के आरोपों से इनकार किया।

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Web Title: Peace prevails in Aligarh's Nurpur village after tension

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