पटना कलेक्ट्रेट में वैश्विक पर्यटन के आकर्षण के रूप में पुनर्जीवित किये जाने की क्षमता: विशेषज्ञ
By भाषा | Published: September 27, 2021 09:00 PM2021-09-27T21:00:32+5:302021-09-27T21:00:32+5:30
नयी दिल्ली/पटना, 27 सितंबर शताब्दियों पुराने ‘पटना कलेक्ट्रेट’ को वैश्विक पर्यटन के आकर्षण के रूप में पुनर्जीवित किये जाने की क्षमता को लेकर देश के बहुत से लोगों ने सोमवार को आवाज उठायी। विशेषज्ञों ने कहा कि इस इमारत को डच धरोहर, गांधी, ऑस्कर और विश्व युद्ध सर्किट से जोड़ा जा सकता है। इस ऐतिहासिक इमारत के कुछ हिस्सों को डच कालखंड में बनाया गया था और ब्रिटिश काल में विस्तार दिया गया।
बिहार की राजधानी में स्थित ‘पटना कलेक्ट्रेट’ का भविष्य फिलहाल अधर में लटका हुआ है और विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर धरोहर विशेषज्ञों तथा देश और विदेश के आम नागरिकों ने सरकार से फिर से गुहार लगाई है कि इसे धराशाई न किया जाए।
वास्तुकला विशेषज्ञों, विद्वानों, छात्रों और पेशेवरों का मानना है कि पटना में गंगा किनारे स्थित यह भव्य इमारत “सोने की खान” है जिसमें वैश्विक पर्यटन के आकर्षण तथा आय के स्रोत के रूप में पुनर्जीवित किये जाने की क्षमता है। संरक्षण वास्तुकला के विशेषज्ञ और आईआईटी-रूड़की में पीएचडी शोधार्थी अभिषेक कुमार ने कहा कि सरकार और समाज दोनों को यह समझना चाहिए कि पटना कलेक्ट्रेट जैसी इमारतें “वास्तुकला का खजाना” हैं और इनके साथ सौतेला व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, “कलेक्ट्रेट में डच और ब्रिटिश काल की इमारतें हैं और यह गंगा किनारे स्थित है जो कि इसका एक और सांस्कृतिक पक्ष है। इसे कई पर्यटन सर्किटों से जोड़ा जा सकता है जिसमें डच और ब्रिटिश सर्किट शामिल हैं, पटना और छपरा में डच काल के स्थल हैं और अन्य औपनिवेशिक काल की इमारतें हैं। इससे सरकार को राजस्व भी मिलेगा।”
यह इमारत 12 एकड़ में है जिसके हिस्से 250 साल से भी ज्यादा पुराने हैं। इसमें ऊंची छत, बड़े दरवाजे और लटकते हुए झूमर हैं।
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