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Patanjali-Baba Ramdev Medical Ads: योग गुरु रामदेव के वकील ने हाथ जोड़कर कहा- हमें माफी दीजिए, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की खिंचाई की और कहा-आंखें बंद करके बैठे हैं...

By सतीश कुमार सिंह | Updated: April 2, 2024 12:04 IST

Patanjali Advertisement Case: पतंजलि के एमडी आचार्य बालकृष्ण और बाबा रामदेव को आज अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया गया।

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ठळक मुद्देयाचिका इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने दायर की थी। 10 अप्रैल को सुनवाई की अगली तारीख पर उसके समक्ष उपस्थित रहेंगे।आचार्य बालकृष्ण को अवमानना ​​की धमकी का सामना करना पड़ रहा है।

Patanjali Advertisement Case: पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले में मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में सुनवाई हुई। पतंजलि के एमडी आचार्य बालकृष्ण और बाबा रामदेवसुप्रीम कोर्ट पहुंचे। शीर्ष अदालत ने पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों पर बाबा रामदेव को कारण बताओ नोटिस जारी किया था और उन्हें 2 अप्रैल को उसके सामने पेश होने का निर्देश दिया था। औषधीय उत्पादों के भ्रामक विज्ञापन देकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने के लिए पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण को अवमानना ​​की धमकी का सामना करना पड़ रहा है। बालकृष्ण ने कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी थी और आश्वासन दिया था कि भविष्य में गलती नहीं दोहराई जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रामदेव, बालकृष्ण 10 अप्रैल को सुनवाई की अगली तारीख पर उसके समक्ष उपस्थित रहेंगे।

जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने पिछले महीने पतंजलि द्वारा मांगी गई माफी को भी स्वीकार करने से इनकार कर दिया। योग गुरु के वकील ने हाथ जोड़कर अदालत से कहा कि हम माफी मांगना चाहते हैं और अदालत जो भी कहेगी उसके लिए तैयार हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी कार्रवाई नहीं करने के लिए केंद्र की खिंचाई की और कहा कि वे आंखें बंद करके बैठे हैं।

जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ सुबह 10.30 बजे मामले की सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्देशों का पालन करने में विफल रहने के लिए रामदेव और बालकृष्ण को कड़ी फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव से कहा, "कार्रवाई के लिए तैयार रहें।" सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने पतंजलि द्वारा मांगी गई माफी को भी स्वीकार करने से इनकार कर दिया। 

उच्चतम न्यायालय ने हलफनामे में पतंजलि के प्रबंध निदेशक के उस बयान को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि औषधि और प्रसाधन सामग्री (जादुई उपचार) अधिनियम पुराना है। शीर्ष अदालत ने कहा, ''हम आपकी माफी से खुश नहीं हैं।'' भ्रामक विज्ञापनों के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय ने रामदेव और पतंजलि के प्रबंध निदेशक से कहा कि आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए था कि आपके पवित्र वचन के संबंध में हलफनामा दायर किया गया है। कभी-कभी चीजों को तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचना चाहिए। एलोपैथी में कोविड का कोई इलाज नहीं है तब सरकार ने अपनी आंखें बंद क्यों रखी।

टॅग्स :बाबा रामदेवसुप्रीम कोर्टHaridwar
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