लाइव न्यूज़ :

ढाई करोड़ लागत का चलता—फिरता रेस्तरां 'मरीना बोट' टिहरी झील में डूबा, यहां पर कैबिनेट मीटिंग हुई थी

By सतीश कुमार सिंह | Updated: May 7, 2019 20:14 IST

उपजिलाधिकारी और प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी अजयवीर सिंह का कहना है कि झील का जल स्तर कम होने से मरीना का एक हिस्सा टेढ़ा हो गया था और यह हिस्सा पानी में डूब गया। उन्होंने बताया कि रस्सियों, तारों और पॉवर बोट के सहारे मरीना को खड़ा कर सुरक्षित स्थान पर रखने की कोशिश की जा रही है।

Open in App
ठळक मुद्देटिहरी झील में साहसिक और पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये पिछले साल 16 मई को रावत मंत्रिमंडल की बैठक पहली बार पानी में तैरते होटल 'मरीना' में की गयी थी। इनका उद्देश्य दोनों परिसंपत्तियों को लीज पर देकर यात्रियों को झील में आकर्षित कर लाभ कमाना था

टिहरी क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये टिहरी झील में उतारा गया करीब ढाई करोड़ रुपये लागत का चलता—फिरता रेस्तरां 'मरीना बोट' का आधा हिस्सा मंगलवार को पानी में डूब गया। 'मरीना बोट' में ठीक एक साल पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक भी आयोजित की गयी थी।

मंगलवार तड़के मरीना बोट का आधा हिस्सा टिहरी झील में समा गया। हालांकि पर्यटन विभाग और टिहरी झील विशेष क्षेत्र पर्यटन विकास प्राधिकरण के कर्मचारी रस्सों के सहारे इसे बाहर निकालने का प्रयास कर रहे हैं।

उपजिलाधिकारी और प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी अजयवीर सिंह का कहना है कि झील का जल स्तर कम होने से मरीना का एक हिस्सा टेढ़ा हो गया था और यह हिस्सा पानी में डूब गया। उन्होंने बताया कि रस्सियों, तारों और पॉवर बोट के सहारे मरीना को खड़ा कर सुरक्षित स्थान पर रखने की कोशिश की जा रही है।

सिंह ने कहा कि इसे बाहर निकालने के बाद इस घटना की समीक्षा की जायेगी । टिहरी झील को साहसिक खेल गतिविधियों का केंद्र बनाने की कवायद वर्ष 2015 में शुरू की गयी थी। इसी उद्देश्य से झील में मरीना बोट और बार्ज बोट भी उतारे गए थे।

मरीना का जहां झील के बीच में आधुनिक रेस्तरां की भांति खाने-पीने और मनोरंजन के लिए उपयोग किया जाना था वहीं बार्ज बोट को टिहरी से प्रतापनगर जाने वाले बांध प्रभावितों और यात्रियों को वाहनों समेत आर-पार करवाना था। मरीना की लागत करीब ढाई करोड़ रुपये थी जबकि बार्ज बोट 2.17 करोड़ रुपये की लागत से तैयार की गयी थी।

इनका उद्देश्य दोनों परिसंपत्तियों को लीज पर देकर यात्रियों को झील में आकर्षित कर लाभ कमाना था लेकिन कुप्रबंधन के चलते न तो कोई पीपीपी पार्टनर इनके संचालन के लिये आगे आया और न ही प्राधिकरण इनका संचालन कर पाया।

टिहरी झील में साहसिक और पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये पिछले साल 16 मई को रावत मंत्रिमंडल की बैठक पहली बार पानी में तैरते होटल 'मरीना' में की गयी थी। 

टॅग्स :उत्तराखण्डउत्तराखंड समाचारउत्तराखंड लोकसभा चुनाव 2019त्रिवेंद्र सिंह रावत
Open in App

संबंधित खबरें

भारतजलवायु परिवर्तन का शिकार होती महिलाएं 

क्राइम अलर्टDelhi Vasant Kunj Accident: जीवन की एकमात्र उम्मीद अब खत्म?, मर्सिडीज एसयूवी की चपेट में आकर जान गंवाने वाले रेस्तरां कर्मचारी रोहित के परिवार ने कहा- अब किसके सहारे...

भारतकन्दाड़ और इंद्रोलीः गांव वालों का ये फैसला वाकई कमाल का है...!

क्राइम अलर्टHaldwani Accident: तेज रफ्तार कार और बाइक में टक्कर, हवा में उछली सवारी; CCTV देख दहल जाएगा आपका दिल

भारतUttarakhand Foundation Day: पीएम मोदी ने उत्तराखंड को दी सौगात, 8,260 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का किया उद्घाटन

भारत अधिक खबरें

भारत‘पहलगाम से क्रोकस सिटी हॉल तक’: PM मोदी और पुतिन ने मिलकर आतंकवाद, व्यापार और भारत-रूस दोस्ती पर बात की

भारतIndiGo Flight Cancel: इंडिगो संकट के बीच DGCA का बड़ा फैसला, पायलटों के लिए उड़ान ड्यूटी मानदंडों में दी ढील

भारतरेपो दर में कटौती से घर के लिए कर्ज होगा सस्ता, मांग बढ़ेगी: रियल एस्टेट

भारतModi-Putin Talks: यूक्रेन के संकट पर बोले पीएम मोदी, बोले- भारत न्यूट्रल नहीं है...

भारतPutin India Visit: एयरपोर्ट पर पीएम मोदी ने गले लगाकर किया रूसी राष्ट्रपति पुतिन का स्वागत, एक ही कार में हुए रवाना, देखें तस्वीरें