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ग्रेच्यूटी बिल को संसद में मिली मंजूरी, 20 लाख की रकम तक नहीं देना होगा कोई टैक्स

By भाषा | Updated: March 22, 2018 15:47 IST

सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन के बाद केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों के लिये ग्रेच्यूटी की अधिकतम सीमा को 10 लाख रूपये से बढ़ाकर 20 लाख रूपये कर दिया गया।

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नई दिल्ली, 22 मार्च: ग्रेच्युटी से संबंधित उपदान भुगतान (संशोधन) विधेयक 2018 को आज संसद की मंजूरी मिल गई। विधेयक में निजी क्षेत्र और सरकार के अधीन सार्वजनिक उपक्रम या स्‍वायत्‍त संगठनों के ऐसे कर्मचारियों के उपदान :ग्रेच्यूटी: की अधिकतम सीमा में वृद्धि का प्रावधान है, जो केंद्र सरकार के कर्मचारियों के अनुसार सीसीएस (पेंशन) नियमावली के अधीन शामिल नहीं हैं। 

लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है। कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड का गठन और आंध्रप्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने समेत अन्य मुद्दों पर विभिन्न दलों के भारी हंगामे के चलते राज्यसभा की कार्यवाही लगातार बाधित हो रही है। आज भी इन्हीं मुद्दों पर सदन में हंगामा हुआ और सदन की कार्यवाही बैठक शुरू होने के करीब 20 मिनट बाद दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई। लेकिन ग्रेच्युटी से संबंधित उपदान भुगतान (संशोधन) विधेयक 2018 को श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार के अनुरोध पर बिना चर्चा के, सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। 

गंगवार ने विधेयक पेश करते हुए कहा  'यह अत्यंत महत्वपूर्ण विधेयक है और मैं अनुरोध करता हूं कि इसे चर्चा के बिना पारित कर दिया जाए।' विधेयक के लिए कांग्रेस के डॉ सुब्बीरामी रेड्डी ने दो संशोधन पेश किए थे लेकिन आज उन्होंने अपने दोनों ही संशोधन वापस ले लिए. इस विधेयक के तहत केंद्र सरकार में निरंतर सेवा में शामिल महिला कर्मचारियों को वर्तमान 12 सप्ताह के स्थान पर 'प्रसूति छुट्टी की अवधि' को अधिसूचित करने का प्रावधान किया गया है।

उल्लेखनीय है कि अभी दस अथवा अधिक लोगों को नियोजित करने वाले निकायों के लिए उपदान भुगतान अधिनियम 1972 लागू है जिसके तहत कारखानों, खानों, तेल क्षेत्रों, बागानों, पत्तनों, रेल कंपनियों, दुकानों या अन्य प्रतिष्ठानों में लगे कर्मचारी शामिल हैं जिन्होंने पांच वर्ष की नियमित सेवा प्रदान की है। इसी के तहत उपदान :ग्रेच्यूटी: संदाय की योजना अधिनियमित की गई थी। अधिनियम की धारा 4 के अधीन ग्रेच्यूटी की अधिकतम सीमा वर्ष 2010 में 10 लाख रूपये रखी गई थी ।

सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन के बाद केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों के लिये ग्रेच्यूटी की अधिकतम सीमा को 10 लाख रूपये से बढ़ाकर 20 लाख रूपये कर दिया गया। इसलिए निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों के मामले में भी महंगाई और वेतन वृद्धि पर विचार करते हुए सरकार का अब यह विचार है कि उपदान भुगतान अधिनियम,1972 के अधीन शामिल कर्मचारियों के लिए उपदान :ग्रेच्यूटी: की पात्रता में संशोधन किया जाना चाहिए। इस अधिनियम को लागू करने का मुख्‍य उद्देश्‍य सेवानिवृत्ति के बाद कामगारों की सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है, चाहे सेवानिवृत्ति की नियमावली के परिणामस्‍वरूप सेवानिवृत्ति हुई हो अथवा शरीर के महत्‍वपूर्ण अंग के नाकाम होने से शारीरिक विकलांगता के कारण सेवानिवृत्ति हुई हो।

विधेयक के उद्देश्य एवं कारणों में कहा गया है कि उपदान संदाय संशोधन विधेयक 2017 में अन्य बातों के साथ साथ अधिनियम की धारा 2क का संशोधन करने का प्रावधान किया गया है जिससे सरकार को निरंतर सेवा विधेयक में शामिल महिला कर्मचारियों को वर्तमान 12 सप्ताह के स्थान पर 'प्रसूति छुट्टी की अवधि' को अधिसूचित किया जाए। ऐसा इसलिये किया गया क्योंकि प्रसूति सुविधा संशोधन अधिनियम 2017 के माध्यम से प्रसूति छुट्टी की अवधि को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया गया था। ऐसे में केंद्र सरकार को वर्तमान 12 सप्ताह की अवधि को ऐसी अन्य अवधि के लिये अधिसूचित करने की बात कही गई है । इसके तहत दस लाख रूपये शब्द के स्थान पर ‘एक ऐसी रकम जो केंद्रीय सरकार द्वारा समय समय पर अधिसूचित की जाए’ शब्द रखने के लिये अधिनियम की धारा 4 का संशोधन करने का प्रस्ताव है । 

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