1994 से हुआ था सिलसिला शुरू...जानिए नीतीश कुमार ने अब तक कितनी बार और कब-कब किया है 'पलटासन'

By मेघना सचदेवा | Updated: August 10, 2022 13:22 IST2022-08-10T13:22:57+5:302022-08-10T13:22:57+5:30

बिहार में सीएम नीतीश कुमार ने एक बार फिर भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन का साथ छोड़ दिया है। इससे पहले साल 2013 में भी नीतीश बीजेपी को अलविदा कर चुके थे लेकिन 3 ही साल बाद उनकी वापसी हो गई थी।

Palturam of Bihar! know how many times Nitish Kumar changes allies in Bihar Politics | 1994 से हुआ था सिलसिला शुरू...जानिए नीतीश कुमार ने अब तक कितनी बार और कब-कब किया है 'पलटासन'

1994 से हुआ था सिलसिला शुरू...जानिए नीतीश कुमार ने अब तक कितनी बार और कब-कब किया है 'पलटासन'

Highlights1994 में लालू यादव का साथ छोड़कर नीतीश कुमार ने जॉर्ज फ़र्नान्डिस के साथ समता पार्टी बनाई।2003 में नीतीश कुमार ने समता पार्टी और जनता दल एक करने का फैसला लिया जिसके बाद जनता दल को जनता दल यूनाइटेड के नाम से जाना जाने लगा। साल 2013 में नीतीश भाजपा से अलग हो गए थे पर 2017 में फिर हाथ मिला लिया था।

बिहार में मंगलवार को राजनीतिक उथल पुथल मची रही और आखिर में सीएम नीतीश कुमार ने इस्तीफा दे दिया। एनडीए के साथ गठंबधन खत्म कर नीतीश कुमार ने आरजेडी-कांग्रेस और अन्य दलों के साथ सरकार बनाने का ऐलान भी कर दिया। 

कभी बिहार की राजनीति में सुशासन बाबू के नाम से लोकप्रिय हुए नीतीश कुमार के लिए इस तरह एकाएक गठबंधन बदल देना नई बात नहीं है। यही वजह है कि उन्हें एक बार बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव ने पलटू राम तक कह दिया था।

बहरहाल, नीतीश एक बार फिर आरजेडी के साथ आ गए हैं। सूत्रों के साथ आरजेडी के साथ कल हुई बैठक में तेजस्वी यादव से नीतीश कुमार ने कहा कि 2017 में जो हुआ उसे भूल जाएं और एक नया अध्याय शुरू करें। 2017 में  ऐसा क्या हुआ था जिसे भूलने की बात की गई, लालू प्रसाद यादव ने नीतीश कुमार को पलटू राम क्यों कहा था , और बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार ने अब तक कितनी बार गठबंधन तोड़ा है, जानिए। 

' नीतीश कुमार बिहार की राजनीति में पलटू राम हैं उन्होंने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वो सत्ता के लिए कुछ भी कर सकते हैं। उनकी कोई विचारधारा नहीं है सिर्फ और सिर्फ सत्ता का लालच है'। ये शब्द आरजेडी सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के हैं। 2017 में ये बातें लालू प्रसाद यादव ने तब कही थी जब नीतीश कुमार ने महागठबंधन का साथ छोड़ा था। मंगलवार को नीतीश कुमार से फिर 2017 को दोहराया और इस बार बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ दिया। इससे पहले नीतीश कुमार कई बार इस तरह से बिहार की राजनीति में भूचाल ला चुके हैं। 

1994 

साल 1994 से पहले लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार साथ हुआ करते थे। हालांकि उस वक्त आपसी मतभेद के कारण उन्होंने 1994 में लालू यादव का साथ छोड़कर जॉर्ज फ़र्नान्डिस के साथ समता पार्टी बनाई। नीतीश कुमार ने 1996 में बीजेपी के साथ समता पार्टी का गठबंधन कर सभी को चौंका दिया क्योंकि बिहार की राजनीति में बीजेपी एक कमजोर पार्टी मानी जाती थी। नीतीश कुमार को अटल बिहारी वाजपेयी के कैबिनेट में मंत्री भी बनाया गया। 

2003 

साल 2003 में नीतीश कुमार ने समता पार्टी और जनता दल एक करने का फैसला लिया जिसके बाद जनता दल को जनता दल यूनाइटेड के नाम से जाना जाने लगा। 

2013 

साल 2013 में नीतीश कुमार ने सबसे बड़ा फैसला लिया। नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ 17 साल पुराना गठबंधन तोड़ने का फैसला कर लिया। उस वक्त बीजेपी की तरफ से प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी के नाम का ऐलान किया गया था। कहा जाता है नीतीश कुमार ने हिंदुत्व की राजनीति से खुद को अलग दिखाने के लिए ये कदम उठाया था।नीतीश कुमार ने बीजेपी नेताओं के साथ तय किया गया डिनर का प्रोग्राम भी कैंसल कर  दिया। इसके अलावा ये तक कह दिया कि गुजरात सरकार ने बिहार में 2008 में आई बाढ़ के लिए मदद के तौर पर जो 5 करोड़ दिए थे वो लौटा दिए जाऐंगे।

ये भी कहा जाता है कि नीतीश कुमार पीएम बनना चाहते थे लेकिन ऐसा हो न सका जिसके चलते उस वक्त उनकी नाराजगी सामने आई। हालांकि ये फैसला जेडीयू को भारी पड़ा और पार्टी 20 से 2 सीटों पर सिमट गई जबकि बीजेपी को 22 और एलजेपी को 6 सीट मिली। 

2017 

2015 में नीतीश कुमार ने आरजेडी से हाथ मिलाया और महागठबंधन अस्तित्व में आया। आरजेडी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई। हालांकि दो साल बाद ही 2017 में नीतीश कुमार ने फिर से पलटी मारी और राजद नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए उनका साथ छोड़ एनडीए के साथ सरकार बना ली। इसका फायदा जेडीयू को 2019 के लोकसभा चुनाव में मिला। हालांकि विधानसभा चुनाव में जेडीयू कुछ कमाल नहीं कर पाई । 2015 में 71 सीटों पर जीती पार्टी को अब 43 सीटों से ही संतोष करना पड़ा। बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया और दूसरे नंबर की पार्टी बन गई जबकि आरजेडी 75 सीटों के साथ पहले नंबर की पार्टी बन गई। 

2022 

नीतीश कुमार ने भाजपा का साथ छोड़ा और महागठबंधन में वापस आ गए। वजह बहुत स्पष्ट नहीं हैं पर सूत्रों के अनुसार भाजपा पर जेडीयू विधायकों को तोड़ने और पार्टी को कमजोर करने जैसे आरोप लगाए गए। वहीं भाजपा ने नीतीश कुमार पर बिहार के मतदाताओं के साथ धोखा करने का आरोप लगाया है।

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