Padma awards 2025: 30 गुमनाम नायकों को पद्म सम्मान?, गोवा की 100 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी, कठपुतली का खेल दिखाने वाली पहली भारतीय महिला को अवॉर्ड
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: January 25, 2025 20:54 IST2025-01-25T20:52:29+5:302025-01-25T20:54:07+5:30
Padma awards 2025 LIVE: पश्चिम बंगाल के 57 वर्षीय ढाक वादक गोकुल चंद्र डे भी शामिल हैं जिन्होंने पुरुष-प्रधान क्षेत्र में 150 महिलाओं को प्रशिक्षण देकर लैंगिक रूढ़िवादिता को तोड़ा।

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Padma awards 2025 LIVE: गोवा की 100 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी, 150 महिलाओं को पुरुष प्रधान क्षेत्र ढाक वादन में प्रशिक्षित करने वाले पश्चिम बंगाल के ढाक वादक और कठपुतली का खेल दिखाने वाली पहली भारतीय महिला उन 30 गुमनाम नायकों में शामिल हैं जिन्हें पद्मश्री से सम्मानित करने की घोषणा की गई है। सरकारी बयान में शनिवार को यह जानकारी दी गई।
Padma awards 2025 LIVE: पद्म श्री पुरस्कार विजेताओं की सूची-
एल हैंगथिंग (नागालैंड)
हरिमन शर्मा (हिमाचल प्रदेश)
जुमदे योमगम गैमलिन (अरुणाचल प्रदेश)
जोयनाचरण बाथरी (असम)
नरेन गुरुंग (सिक्किम)
विलास डांगरे (महाराष्ट्र)
शेखा ए जे अल सबा (कुवैत)
निर्मला देवी (बिहार)
भीम सिंह भावेश (बिहार)
राधा बहिन भट्ट (उत्तराखंड)
सुरेश सोनी (गुजरात)
पंडीराम मंडावी (छत्तीसगढ़)
जोनास मैसेट (ब्राजील)
जगदीश जोशीला (मध्य प्रदेश)
हरविंदर सिंह (हरियाणा)
भेरू सिंह चौहान (मध्य प्रदेश)
वेंकप्पा अम्बाजी सुगतेकर (कर्नाटक)
पी दत्चानमूर्ति (पुडुचेरी)
लीबिया लोबो सरदेसाई (गोवा)
गोकुल चंद्र दास (पश्चिम बंगाल)
ह्यू गैंटज़र (उत्तराखंड)
कोलीन गैंटज़र (उत्तराखंड)
डॉ. नीरजा भाटला (दिल्ली)
सैली होल्कर (मध्य प्रदेश)
मारुति भुजंगराव चितमपल्ली (महाराष्ट्र)।
गोवा के स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली लीबिया लोबो सरदेसाई ने पुर्तगाली शासन के खिलाफ लोगों को एकजुट करने के लिए 1955 में एक जंगली इलाके में भूमिगत रेडियो स्टेशन ‘वोज दा लिबरडाबे (वॉयस ऑफ फ्रीडम)’ की स्थापना की थी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 76वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर सरदेसाई को पद्मश्री से सम्मानित करने की घोषणा की।
पुरस्कार पाने वालों में पश्चिम बंगाल के 57 वर्षीय ढाक वादक गोकुल चंद्र डे भी शामिल हैं जिन्होंने पुरुष-प्रधान क्षेत्र में 150 महिलाओं को प्रशिक्षण देकर लैंगिक रूढ़िवादिता को तोड़ा। डे ने ढाक प्रकार का एक हल्का वाद्ययंत्र भी बनाया, जो वजन में पारंपरिक वाद्ययंत्र से 1.5 किलोग्राम कम था।
उन्होंने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया और पंडित रविशंकर तथा उस्ताद जाकिर हुसैन जैसी हस्तियों के साथ कार्यक्रम किए। पद्मश्री सम्मान की सूची में शामिल महिला सशक्तीकरण की मुखर समर्थक 82 वर्षीय सैली होलकर ने लुप्त हो रही माहेश्वरी शिल्प कला को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पारंपरिक बुनाई तकनीकों में प्रशिक्षण देने के लिए मध्य प्रदेश के महेश्वर में हथकरघा स्कूल की स्थापना की। रानी अहिल्याबाई होल्कर की विरासत से प्रेरित और अमेरिका में जन्मीं सैली होलकर ने बुनाई की 300 साल पुरानी विरासत को पुनर्जीवित करने के लिए अपने जीवन के पांच दशक समर्पित कर दिए।