भारत में त्योहारों के बाद और ठंड के दिनों में कोरोना संक्रमण के एक बार फिर तेजी से बढ़ने के खतरे के बीच अच्छी खबर आई है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका की ओर से विकसित किए गए कोरोना वैक्सीन-कोविशील्ड के अंतिम चरण के परीक्षण के शुरुआती नतीजे आए हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड की ओर से इस बारे में जानकारी दी गई है। इसके अनुसार एस्ट्राजेनेका ऑक्सफोर्ड कोविड-19 वैक्सीन 70.4 फीसदी असरदार साबित हुई है।
नतीजों के बाद पुणे का सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) वैक्सीन के इमर्जेंसी अप्रूवल की तैयारी में जुट गया है। ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि इमर्जेंसी अप्रूवल इस साल के आखिर तक मिल जाएगा। अगर ऐसा होता है तो 2020 के आखिर तक भारत में कोविशील्ड वैक्सीन मिल सकती है। ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन के आए अच्छे परिणाम भारत के लिए बड़ी राहत की बात है। दरअसल, इससे भारत में ज्यादा तेजी से वैक्सीन मिलने की उम्मीद बढ़ गई है।
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार भारतीय ड्रग रेग्युलेटर DCGI की ओर से कोरोना वायरस की वैक्सीन के लिए तैयार गाइडलाइन में साफ तौर पर कहा गया था कि जो भी वैक्सीन 50 फीसदी से ज्यादा कारगर होगी, उसे मंजूरी दी जा सकती है।
दूसरे वैक्सीन से सस्ता होगा कोविशील्ड
SII के सीईओ अडार पूनावाला ने बताया, 'हम जल्द से जल्द इमरजेंसी लाइसेंस के लिए अप्लाई करने जा रहे हैं और उम्मीद है कि करीब एक महीने में मंजूरी मिल जाएगी। DCGI के फैसले पर आखिरी मंजूरी निर्भर है।' उन्होंने बताया कि कंपनी के पास 4 करोड़ जोड तैयार रखे गए हैं और जनवरी तक इसे बढ़ाकर 10 करोड़ तक पहुंचा दिया जाएगा। इनमें से एक बड़ा हिस्सा भारत के लिए होगा।
कोविशील्ड बाजार में 500 से 600 रुपये प्रति डोज के हिसाब से मौजूद होगा। वहीं, सरकार के लिए ये 200 से 300 रुपये में उपलब्ध होगा। वैक्सीन के दो डोज जरूरी होंगे। केविशील्ड से इतर फाइजर और मॉडर्ना के वैक्सीन के दाम ज्यादा हो सकते हैं। मॉडर्ना वैक्सीन की कीमत जहां भारत में 2775 रुपये प्रति डोज हो सकती है। वहीं, फाइजर के दाम करीब 1500 रुपये के आसपास होंगे।
Oxford Vaccine: कोविशील्ड कितना कारगर
वैक्सीन के ट्रायल्स दो तरह से किए गए। पहले में 62 प्रतिशत ये असरदार दिखी जबकि दूसरे में 90% से ज्यादा असरदार साबित हुई। इसके औसत के अनुसार ये करीब 70 प्रतिशत के आसपास असरदार रही। पूरी दुनिया में इस वैक्सीन का परीक्षण 18 साल की उम्र से ज्यादा के लोगों पर किया गया था।
इसमें एक परीक्षण में टीके के डोज का आधा और फिर करीब एक महीने बाद पूरा डोज देने पर ये 90 प्रतिशत असरदार रहा। वहीं, दूसरे तरीके में टीके के दो फुल डोज एक-एक महीने के अंतराल पर दिए गए। इसमें ये 62 प्रतिशत असरदार साबित हुआ।