ओशो की सहयोगी मां आनंद शीला ने संस्मरण में सामने रखे जिंदगी के अनछुए पहलू
By भाषा | Updated: July 24, 2021 12:41 IST2021-07-24T12:41:00+5:302021-07-24T12:41:00+5:30

ओशो की सहयोगी मां आनंद शीला ने संस्मरण में सामने रखे जिंदगी के अनछुए पहलू
नयी दिल्ली, 24 जुलाई ओशो रजनीश की पूर्व सहयोगी मां आनंद शीला ने अपने संस्मरण में अपनी जिंदगी से जुड़े सभी पहलुओं को सामने रखा, फिर चाहे वह उनके सबक, उनकी मान्यताएं, उनकी प्रेरणा और वह 18 नियम ही क्यों न हों जिन्होंने उनके जीवन को परिभाषित किया।
संस्मरण ‘‘इन बाय माय ओन रूल्स’’ लिखना निर्भीक, ईमानदार, साहसी और सौम्य शीला के लिए आसान काम नहीं था लेकिन वह इस अवसर को गंवाना नहीं चाहती थी और उन्होंने इसे "एक और साहसिक कार्य" के रूप में लिया।
बीते कुछ वर्षों में उनकी छवि एक के बाद एक विवादों से जुड़े रहने वाली बनी। “वाइल्ड वाइल्ड कंट्री” में चाहे उनकी भूमिका की बात हो या नेटफ्लिक्स की इस श्रृंखला पर ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन का रुख, मुसलसल अलग राय ने असल शीला को बहुत लंबे वक्त तक जकड़ कर रखा।
वह 1980 के दशक में ‘भगवान रजनीश’ की निजी सचिव और अमेरिका के ओरेगन में वास्को काउंटी में रजनीश समुदाय की प्रबंधक थी। अंततः उन्हें जेल की सजा सुनाई गई, जहां उन्होंने अपनी सजा पूरी की और तीन साल बाद रिहा हुईं।
एक ही समय में दुनिया से प्यार और बदनामी दोनों पा रहीं शीला ने हर तरह का वक्त देखा- शून्य से शुरू करते हुए अपने जीवन में फिर से उठ खड़े होने से लेकर वेब श्रृंखला का विषय बनने तक।
शीला ने दावा किया कि “वाइल्ड वाइल्ड कंट्री” ने निश्चित तौर पर कई धारणाओं को बदला है।
"इसने मेरी निडरता, साहस, कड़ी मेहनत और प्यार पर ध्यान आकर्षित किया है। श्रृंखला देखने वाले लोगों से मुझे हजारों पत्र और संदेश प्राप्त हुए हैं, जिसमें उन्होंने अपने दिल की बात बताई। युवा पीढ़ी इन गुणों को स्वीकार करने के लिए तैयार है और मुझसे प्रेरित महसूस करती हैं। उन्होंने फिल्म में मेरी मेहनत और भगवान के प्रति समर्पण को तब के वक्त और अब भी देखा है।"
पेंगुइन रेंडम हाउस द्वारा प्रकाशित पुस्तक में शीला ने अपने जीवन को परिभाषित करने वाले 18 नियमों के बारे में विस्तार से बताया है।
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