खतरे में पड़ सकती है हरियाणा में विपक्ष के नेता अभय चौटाला की कुर्सी
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 20, 2019 02:14 AM2019-01-20T02:14:31+5:302019-01-20T02:14:31+5:30
जींद क्षेत्र के लिए 28 जनवरी को मतदान होना है. 31 जनवरी को घोषित होने वाले उप चुनाव परिणाम में अगर इनेलो के उम्मीदवार उमेद सिंह रेढू जीत जाते हैं तो कांग्रेस की तुलना में इनेलो का एक विधायक ज्यादा हो जाएगा.
हरियाणा में विपक्ष के नेता अभय सिंह चौटाला की कुर्सी खतरे में पड़ती लग रही है. सदन में इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) विधायक दल के उप नेता जसविंदर सिंह संधू का शनिवार को निधन हो गया. संधू पिछले कुछ समय से कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे. इलाज के लिए उन्हें चंडीगढ़ पीजीआई में दाखिल करवाया गया था. उनके निधन के बाद विधानसभा में इंडियन लोकदल की विधायकों की तादाद घाट कर 17 रह गई है.
सदन में इसा समय कांग्रेस के विधायकों की तादाद भी 17 ही है. इनेलो के विधायक डॉ. हरिचंद मिड्ढा के निधन की वजह से करवाए जा रहे जींद क्षेत्र के लिए 28 जनवरी को मतदान होना है. 31 जनवरी को घोषित होने वाले उप चुनाव परिणाम में अगर इनेलो के उम्मीदवार उमेद सिंह रेढू जीत जाते हैं तो कांग्रेस की तुलना में इनेलो का एक विधायक ज्यादा हो जाएगा.
अगर कांग्रेस के उम्मीदवार रणदीप सिंह सुरजेवाला जीतते हैं तो भी पार्टी को सदन में कोई फायदा नहीं होगा, क्योंकि सुरजेवाला पहले ही कैथल क्षेत्र से विधायक हैं. उप चुनाव जीतने की स्थिति में उन्हें किसी एक सीट से इस्तीफा देना पड़ेगा. पूर्व मंत्री और इनेलो के विधायक संधू के निधन की वजह से पेहोवा क्षेत्र के लिए भी जल्दी ही उप चुनाव करवाया जा सकता है.
मौजूदा खट्टर सरकार का कार्यकाल पूरा होने में अभी नौ महीने का समय बाकी है. ऐसी सूरत में अगर जींद के बाद इनेलो को पेहोवा उप चुनाव में भी हार का सामना करना पड़ा और कांग्रेस जीती तो विपक्ष के नेता की कुर्सी को एक बार फिर खतरा पैदा हो जाएगा. ऐसे हालात में कांग्रेस के विधायकों की तादाद इनेलो से ज्यादा हो जाएगी.
चौटाला इस समय पारिवारिक लड़ाई में उलझे विपक्ष के नेता अभय चौटाला इस समय पारिवारिक लड़ाई में भी उलझे हुए हैं. इनेलो से उनके भतीजे सांसद दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय सिंह चौटाला ने अलग होकर जननायक जनता पार्टी का गठन कर लिया है.
दुष्यंत की विधायक मां नैना सिंह और दो अन्य विधायक राजदीप फौगाट और अनूप धानक का झुकाव सांसद दुष्यंत चौटाला की तरफ है. ऐसे में इन तीनों बागी विधायकों में से कोई एक अगर विधायक पद से इस्तीफा दे देता है तो भी अभय सिंह चौटाला की विपक्ष के नेता की कुर्सी छीन जाएगी.