वाराणसी: यूपी इलेक्शन में समाजवादी पार्टी और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के बीच दरार पड़ने की खबरे सामने आ रही हैं। जानकारी के मुताबिक वाराणसी के शिवपुर विधानसभा क्षेत्र के चिरईगांव इलाके में सपा-सुभासपा गठबंधन के प्रत्याशी अरविंद राजभर के चुनावी कार्यालय में खुलने के दो दिन बाद ही ताले लटक गये।
शिवपुर विधानसभा सीट से सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर सपा-सुभासपा गठबंधन के प्रत्याशी हैं और इस सीट पर वो योगी सरकार के मंत्री अनिल राजभर को चुनौती दे रहे हैं। लेकिन उनकी चुनौती में उस समय पलीता लगता हुआ दिखाई दिया जब 18 फरवरी को चिरईगांव के गोला सिंहपुर में खोले गये सुभासपा के केंद्रीय चुनावी दफ्तर को दो दिन के बाद बंद कर दिया गया।
बताया जा रहा है कि जब सुभसपा का केंद्रीय कार्यालय खुला था तो उस वक्त गठबंधन के प्रत्याशी अरविंद राजभर, समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष सुजीत यादव, वरिष्ठ सपा नेता राधाकृष्ण उर्फ संजय यादव के साथ बड़ी संख्या में कार्यकर्ता मौजूद थे।
दोनों दलों के प्रतिनिधियों ने उस समय मीडिया से कहा गया था कि शिवपुर विधानसभा के चुनाव में सुभासपा का यही कमांड सेंटर होगा और इसी कार्यालय से पूरे चुनाव का संचालन होगा लेकिन मजह दो दिनों के बाद कमांड सेंटर पर सुभासपा पदाधिकारियों ने खुद ही ताले जड़ दिये।
दोनों पार्टियों के बीच चल रही भीतरखाने चर्चा के मुताबिक सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर के बेटे ने समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से शिकायत की है कि शिवपुर में सपाई उनका किसी भी तरह से चुनावी सहयोग नहीं कर रहे हैं।
इसके अलावा सुभासपा की ओर से यह आरोप भी लगाया जा रहा है कि चिरईगांव के केंद्रीय कार्यालय पर पहुंचकर सपा के कार्यकर्ता चुनाव प्रचार के बदले पैसे मांग रहे हैं और चुनावी प्रचार में किसी प्रकार का कोई सहयोग नहीं कर रहे हैं।
खबरों के मुताबिक शिकायत के बाद सपा के शीर्ष नेतृत्व तुरंत वाराणसी के सपा अध्यक्ष को टेलिफोन किया गया और सख्त लहजे में कहा गया कि वाराणसी के सपा कार्यकर्ता पूरी निष्ठा और ईमानदारी से सुभासपा प्रत्याशी अरविंद राजभर का पूरा सहयोग करें। इसके साथ ही सपा जिलाध्यक्ष सुजीत यादव को यह भी कहा गया कि वो अरविंद राजभर के साथ बैठक करके मामले को जल्द सुलझा लें।
वहीं इस मामले में वाराणसी के सपा नेताओं का कहना है कि अरविंद राजभर और उनकी पार्टी सुभासपा चुनाव प्रचार में सपाइयों की घोर उपेक्षा कर रहे हैं। जिससे सपा कार्यकर्ता खासे आहत हैं।
सपा नेताओं का आरोप है कि क्षेत्र में प्रचार के लिए सुभासपा की ओर से तय की जा रही रणनीति में पार्टी पदाधिकारियों को शामिल नहीं किया जाता है और न की इस मामले में कोई जानकारी मुहैया कराई जाती है। इस कारण से सपा कार्यकर्ता स्वयं को असहाय महसूस कर रहे हैं।