नई दिल्ली, 19 जुलाई: 18 जुलाई से संसद में मॉनसून सत्र की शुरुआत हो चुकी है। कांग्रेस बाकी विपक्षी पार्टियों के साथ मिलकर मोदी सरकार के खिलाफ शुक्रवार (20 जुलाई) को अविश्वास प्रस्ताव लाने वाली है। सरकार के खिलाफ आने वाले अविश्वास प्रस्ताव में महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सहयोगी पार्टी शिवसेना भी शामिल होने वाली थी। लेकिन अब शिवसेना ने अपना फैसला बदल लिया है। ये बदलाव बीजेपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के एक फोन कॉल के बाद संभव हुआ है। न्यूज एजेंसी एएनआई की खबर के अनुसार, अमित शाह ने शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे से अविश्वास प्रस्ताव को लेकर बात की है।
शिवसेना ने अब विपक्ष द्वारा लाए जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ वोट करने का फैसला किया है। पार्टी ने अपने सारे सांसदों के लिए विह्प जारी कर दिया है। पार्टी ने विह्प जारी करके मोदी सरकार को समर्थन देने की बात कही है।
अविश्वास प्रस्ताव क्या होता है?
विपक्षी पार्टियां सरकार के खिलाफ लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाती हैं। जब भी विपक्षी पार्टियों को ये लगता है कि सरकार सदन में अपना बहुमत या विश्वास खो चुकी है फिर वो इस प्रस्ताव को लाते हैं। जिसे लोकसभा स्पीकर मंजूर या नामंजूर करते हैं। इसे केंद्र के मामले में लोकसभा और राज्य के मामले में विधानसभा में लाया जाता है। इसके स्वीकार होने के बाद सत्ता में रह रही पार्टी को सदन में बहुमत साबित करना होता है। अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए सदस्यों को कोई कारण बताने की जरूरत नहीं होती है।
अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए सदन के कम से कम 50 सदस्यों के समर्थन की जरूरत होती है। इसके बाद ही लोकसभा स्पीकर इसे स्वीकार करते/करती हैं। प्रस्ताव के स्वीकार होने के 10 दिन के भीतर ही इस पर चर्चा कराए जाने का प्रावधान है। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के बाद इस पर वोटिंग कराई जाती है। अगर सरकार बहुमत साबित करने में विफल हो जाती है तो प्रधानमंत्री इस्तीफा दे देते हैं और सरकार गिर जाती है। सदन में अब तक 26 बार अविश्वास प्रस्ताव और 12 बार विश्वास प्रस्ताव पेश किया जा चुका है। इस प्रस्ताव को लोकसभा में लाया जाता है।अविश्वास प्रस्ताव कभी भी राज्यसभा में पेश नहीं किया जा सकता है। अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सरकार अपने संसदों के लिए व्हिप जारी करती है।
व्हिप क्या होता है?
लोकसभा या विधानसभा में किसी भी महत्वपूर्ण मुद्दे पर प्रस्ताव या वोटिंग के समय पार्टियां अपने सांसद और विधायकों के लिए व्हिप जारी करती है। व्हिप जारी होने के बाद सांसद या विधायकों को हर हाल में सदन में उपस्थिति होना पड़ता है। साथ ही वो चाहे या नहीं चाहे उन्हें सरकार के समर्थन में वोट करना होता है। अगर कोई सदस्य व्हिप का उल्लंघन करता है तो पार्टी से उसकी सदस्यता खत्म की जा सकती है।
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