5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर के साथ जो कुछ हुआ वह गलत था, यह सब संविधान के बारे में है: उमर अब्दुल्ला
By मनाली रस्तोगी | Published: August 2, 2023 04:22 PM2023-08-02T16:22:22+5:302023-08-02T16:23:38+5:30
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि हमने भारत के मुख्य न्यायाधीश और उनके सहयोगी न्यायाधीश को यह समझाने की कोशिश की कि 5 अगस्त 2019 को क्या हुआ और हम सुप्रीम कोर्ट से क्या उम्मीद कर रहे हैं। सीजेआई और उनके सहयोगी जज ने भी कई सवाल उठाए।
नई दिल्ली: नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट से न्याय की उम्मीद है। पूर्व मुख्यमंत्री ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "हमने भारत के मुख्य न्यायाधीश और उनके सहयोगी न्यायाधीश को यह समझाने की कोशिश की कि 5 अगस्त 2019 को क्या हुआ और हम सुप्रीम कोर्ट से क्या उम्मीद कर रहे हैं। सीजेआई और उनके सहयोगी जज ने भी कई सवाल उठाए।"
अब्दुल्लाह ने कहा, "5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर के साथ जो कुछ हुआ वह गलत था। यह सब संविधान के बारे में है। देश और जम्मू-कश्मीर के संविधान के बारे में। हमें अपनी शिकायतें सामने रखने का मौका मिला है। हम देश के अन्य नागरिकों की तरह न्याय की उम्मीद करते हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "हमें उम्मीद है कि शीर्ष अदालत इसे हमारे दृष्टिकोण से देखेगी...हम संविधान के बारे में बात कर रहे हैं, इसकी राजनीति के बारे में नहीं...यह जम्मू-कश्मीर के लिए एक बड़ा मुद्दा है।" रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने बुधवार को इस मामले में रोजाना सुनवाई शुरू की।
#WATCH | Delhi: National Conference leader Omar Abdullah on SC hearing on abrogation of Article 370, "We tried explaining to the CJI & his associate judge, our perspective of what happened on 5th August 2019 & what we are expecting from the SC. The CJI & his associate judge also… pic.twitter.com/gPADAXaGTK
— ANI (@ANI) August 2, 2023
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल निरस्तीकरण को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं की ओर से दलीलों का नेतृत्व कर रहे हैं। सिब्बल ने कहा कि वह गुरुवार तक अपनी दलीलें जारी रखेंगे। 5 अगस्त, 2019 को केंद्र ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की अधिसूचना जारी की और इसने पूर्ववर्ती राज्य जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा भी छीन लिया और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया।
तब से अनुच्छेद 370 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के प्रावधानों को निरस्त करने को चुनौती देते हुए कई याचिकाएँ दायर की गई हैं, जिसने पूर्ववर्ती राज्य को केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया।