दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को दिल्ली सरकार और दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) से उस याचिका पर जवाब मांगा, जिसमें जल बोर्ड के उन खातों का ऑडिट करने के लिए नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) को निर्देश देने का अनुरोध किया है, जिनका वित्तीय ऑडिट कथित तौर पर पिछले करीब छह वर्ष से नहीं किया गया है। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने याचिका पर दिल्ली सरकार, डीजेबी और कैग को नोटिस जारी किये। साथ ही मामले को चार अक्टूबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया। भाजपा के दिल्ली प्रदेश के नेता हरीश खुराना की ओर से दायर याचिका में डीजेबी को खातों का लेखा-जोखा और अन्य प्रासंगिक रिकॉर्ड बरकरार रखने और वर्ष 2015 के बाद से लाभ और हानि के वार्षिक विवरण का उचित बहीखाता तैयार करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। साथ ही याचिका में कैग को डीजेबी का ऑडिट करने का निर्देश देने की भी मांग की गई। वकील समृद्धि अरोड़ा के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि इस वर्ष 11 मई, 24 मई और 22 जुलाई के आरटीआई (सूचना अधिकार कानून) के जवाब में साफ कहा गया है कि वर्ष 2015-16 और उसके बाद की बैलेंस शीट की प्रति तैयार की जा रही है। दिल्ली जल बोड की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय घोष ने दलील दी कि यह याचिका उनके प्रतिद्वन्द्वी दल के पदाधिकारी ने राजनीतिक प्रयोजन के लिये दायर की है। उन्होंने कहा कि ऑडिट का काम जारी है। इस बीच, कैग की ओर से अधिवक्ता गौरांग कांत नेकहाक ि 2015 के बद से कोई रिकार्ड नहीं दिया गया है। इसलिए इस समय कोई ऑडिट नहीं हो रहा है।
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