सिर्फ रॉकेट लांच तक नहीं, स्पेस सेक्टर आज भारत के घर-घर में प्रवेश कर चुका है: डॉ. जितेंद्र सिंह
By अनुभा जैन | Published: July 12, 2022 09:35 AM2022-07-12T09:35:00+5:302022-07-12T09:37:26+5:30
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि स्पेस सेक्टर आज भारत के घर-घर में पहुंच चुका है। साथ ही उन्होंने कहा कि लगभग हर क्षेत्र में स्पेस सेक्टर का उपयोग किया जा रहा है।
‘अमेरिका के नील आर्मस्टरांग ने जब चांद पर कदम रखा तब हम भारत में नर्सरी राइम्स गाया जा रहा थे। आर्मस्टरांग की इस उपलब्धि पर बीबीसी ने एक विज्युअल प्रकाशित करते हुये लिखा था मानव का यह छोटा सा कदम है, पर मानव जाति के लिय यह एक विशाल सराहनीय कदम है। इस उपलब्धि के काफी समय बाद भारत ने चंद्रयान मिशन पर कार्य किया। भारत का यह सफर एक क्वांटम जंप की तरह काफी लंबा पर गर्वमयी रहा। आज अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियां घर-घर में पहुंच चुकी हैं।' यह कहना था केंद्रीय परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह का जो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो एस.एस.ए. कंट्रोल सेंटर पीनया बैंगलोर में मीडिया को संबोधित करते हुये बोल रहे थे।
डॉ. सिंह ने कहा कि चाहे वह टेलीमेडिसिन का क्षेत्र हो, जियो टैगिंग, स्वामित्व योजना, र्स्माट सिटी के क्षेत्र में, रेलवे या आने वाले प्राकृतिक खतरों के पूर्वाभास करने जैसे हर क्षेत्र में स्पेस सेक्टर का उपयोग हो रहा है।
डॉ. सिंह ने इसरो सिस्टम फॉर सेफ एंड सस्टेनेबल स्पेस ऑपरेशन और मैनेजमेंट IS4OM का इसरो के चेयरमैन एस.सोमनाथ के समक्ष उद्घाटन किया। जानकारी देते हुये डॉ. सिंह और एस.सोमनाथ ने बताया कि इस मैनेजमेंट के माध्यम से अंतरिक्ष में यानों व सेटलाइट से होने वाले मलबे को लेजर व अन्य इलेक्ट्रोनिक माध्यमों से नियंत्रित या खत्म करने के साथ 'स्पेस ट्रैफिक' को भी कंट्रोल किया जा सकेगा। सुरक्षा की दृष्टि से भी यह तकनीक भारत के लिये काफी लाभदायक रहेगी।
डॉ. सिंह ने आगे कहा कि राजनीतिक नेतृत्व की इच्छाशक्ति का प्रदर्शन करते हुये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के अंतरिक्ष सेक्टर को प्राइवेट सेक्टर के लिये खोल दिया है। उन्होंने कहा कि आज पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के चलते देश भर से यंग उद्यमियों की करीब 60 स्टार्ट-अप कंपनियां सरकार को इस दिशा में सहयोग कर रही हैं और इसरो में रजिस्टर हो चुकी हैं।
उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भारी संख्या में सेटलाइटस से स्पेस ट्रैफिक की समस्या आने वाली है। इसमें मलबे के नियंत्रण, सेटलाइटस के टकराव रोकने, सेटलाइट्स को कैप्चर करने जैसे कई अन्य महत्वपूर्ण कार्यों को इसरो सिस्टम फॉर सेफ एंड सस्टेनेबल स्पेस ऑपरेशन और मैनेजमेंट के जरिये अंजाम दिया जायेगा।
डॉ. सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के आने के बाद से स्पेस बजट में भी इजाफा हुआ है। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप से स्पेस अनलॉकिंग प्रोजेक्टस आये और उनके बजट के लिये भी कई कदम उठाये जा रहे हैं।
वहीं, भूटान पर बात करते हुये एस.सोमनाथ ने बताया कि भूटान के साथ सहयोगी कदम उठाते हुये इसरो वहां स्पेस ईको सिस्टम डिवेलप करना चाहता है। भूटान से वैज्ञानिक इसरो आकर कार्य करेंगे, सेटेलाइट बनायेंगे और ग्राउंड सेटेशन पर उन्हें प्रशिक्षित किया जायेगा जैसे की अहमदाबाद में सेटेलाइट के बनाने व बेहतरीन उपयोग पर प्रशिक्षण कार्यक्रम चल रहा है।