दिल्ली, पांच मार्च उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि सोशल मीडिया के नियमन पर केन्द्र सरकार के दिशानिर्देशों में अनुचित कार्यक्रम दिखाने वाले या नियमों का उल्लंघन करने वाले डिजिटल मंचों के खिलाफ अभियोजन या सजा को लेकर उपयुक्त कार्रवाई करने के लिए कोई प्रावधान नहीं है।
इसके साथ ही, शीर्ष न्यायालय ने वेब सीरीज ‘तांडव’ को ले कर दर्ज प्राथमिकियों पर अमेजन प्राइम वीडियो की भारत प्रमुख अपर्णा पुरोहित को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान कर दिया।
न्यायालय ने उनसे जांच में सहयोग करने और जरूरत पड़ने पर जांच अधिकारी (आईओ) के बुलाने पर उनके समक्ष उपस्थित होने को कहा।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति आर एस रेड्डी की पीठ ने वेब सीरीज ‘तांडव’ को ले कर दर्ज प्राथमिकियों पर अग्रिम जमानत का अनुरोध करने वाली पुरोहित की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को भी नोटिस जारी किया।
न्यायालय ने कहा कि इन मंचों पर अनुपयुक्त सामग्री को नियंत्रित करने के लिए नियमों में कुछ भी नहीं है और बगैर किसी कानून के इसे नियंत्रित करना संभव नहीं हो सकता।
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘नियमों का अवलोकन करने से यह संकेत मिलता है कि नियम दिशानिर्देश के रूप में हैं और दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ छानबीन या उपयुक्त कार्रवाई के लिए कोई प्रभावी तंत्र नहीं है।’’
केन्द्र की ओर से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार विचार करेगी और नियमन के लिए या कानून बनाने के लिए, जो भी सही रहेगा, उपयुक्त कदम उठाएगी तथा उससे न्यायालय को अवगत कराएगी।
पीठ ने कहा, ‘‘अधिवक्ता की दलीलों पर विचार करते हुए, नोटिस जारी किया जाता है। इस बीच, हम निर्देश देते हैं कि जांच में सहयोग करने की स्थिति में प्राथमिकी संख्या 14/2021 में याचिकाकर्ता को गिरफ्तार नहीं किया जाए। जब कभी जरूरत पड़ेगी, वह जांच अधिकारी के समक्ष उपस्थित होंगी।’’
शीर्ष न्यायालय ने कहा कि मौजूदा मामले में सामने आया एक मुद्दा उन मंचों के नियंत्रण एवं नियमन के बारे में है, जिन पर वेब सीरिज रीलिज होती हैं।
सुनवाई के दौरान मेहता ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती संस्थानों के लिए दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 की प्रति पीठ के समक्ष रखी।
वहीं, पुरोहित की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पेश होते हुए कहा कि सरकार ने इन नियमों को 25 फरवरी को अधिसूचित किया था।
पीठ ने मेहता से कहा, ‘‘ये नियम महज दिशानिर्देश हैं। इनमें अभियोजन या सजा के लिए कोई प्रावधान नहीं हैं। यह काफी हद तक दिशानिर्देश हैं।’’
इसके बाद, मेहता ने न्यायालय से कुछ वक्त देने का अनुरोध किया और कहा कि सरकार एक मसौदा नियम एवं विधान लेकर आएगी और इसे न्यायालय के समक्ष रखेगी।
शीर्ष न्यायालय ने पुरोहित को अपनी याचिका में केन्द्र को भी पक्षकार बनाने को कहा।
‘तांडव’ नौ कड़ियों वाली एक वेब श्रंखला है जिसमें बालीवुड अभिनेता सैफ अली खान, डिंपल कपाड़िया और मोहम्म्द जीशान अयूब ने अभिनय किया है।
पुरोहित पर उत्तर प्रदेश पुलिस का अनुचित चित्रण करने,और हिंदू देवी देवताओं के बारे में अपमानजनक बातें दिखाने के आरोप हैं।
उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा था कि कुछ ‘ओवर दी टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म’ पर कई बार किसी न किसी तरह की अश्लील सामग्री दिखाई जाती है और इस तरह के कार्यक्रमों पर नजर रखने के लिए एक तंत्र की आवश्यकता है ।
न्यायालय ने केंद्र से सोशल मीडिया के नियमन के लिए उसके दिशा-निर्देश के बारे में बताने को भी कहा था।
रोहतगी ने अपनी मुवक्किल के खिलाफ मामले को ‘‘हैरान करने वाला’’ बताया और कहा कि वह तो अमेजन की एक कर्मचारी हैं, न कि निर्माता या कलाकार लेकिन फिर भी उन्हें देशभर में वेब सीरीज ‘तांडव’ से जुड़े करीब दस मामलों में आरोपी बना दिया गया।
इससे पहले 27 जनवरी को उच्चतम न्यायालय ने वेब सीरीज ‘तांडव’ के निर्देशक अली अब्बास जफर,पुरोहित,निर्माता हिमांशु मेहरा और शो के लेखक गौरव सोलंकी तथा अभिनेता मोहम्मद जीशान अयूब को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था।
अब पुरोहित ने उच्चतम न्यायालय में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 25 फरवरी के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में दिए गए अग्रिम जमानत के अनुरोध को अदालत ने अस्वीकार कर दिया था।
गौरतलब है कि 19 जनवरी 2021 को ग्रेटर नोएडा के रबुपुरा थाने में रउनिजा गांव के बलबीर आजाद ने शिकायत दर्ज कराई थी।
शिकायत में आजाद ने आरोप लगाया था कि शो उत्तर प्रदेश पुलिस और उसकी पुलिस का खराब चित्रण करता है।
इसके अलावा इस संबंध में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक ,महाराष्ट्र,बिहार और दिल्ली में कई प्राथमिकियां दर्ज कराई गई हैं।
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