मेकेदातु परियोजना को लेकर कोई समझौता नहीं : बोम्मई
By भाषा | Updated: August 5, 2021 17:17 IST2021-08-05T17:17:46+5:302021-08-05T17:17:46+5:30

मेकेदातु परियोजना को लेकर कोई समझौता नहीं : बोम्मई
बेंगलुरू, पांच अगस्त कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बृहस्पतिवार को कहा कि कावेरी नदी पर बनने वाली मेकेदातु परियोजना को लेकर किसी प्रकार का कोई समझौता नहीं किया जाएगा और तमिलनाडु के नेता राजनीतिक फायदे के लिए इसका विरोध कर रहे हैं।
बोम्मई ने कहा, ‘‘मेकेदातु परियोजना को लेकर किसी प्रकार का कोई समझौता नहीं किया जाएगा। तमिलनाडु में राजनीतिक फायदे के लिए नेता इसका विरोध कर रहे हैं, चाहे वे किसी भी दल के हों।’’
मुख्यमंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है जब एक दिन पहले ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तमिलनाडु इकाई के नेताओं ने तंजावुर में इस परियोजना के खिलाफ भूख हड़ताल की थी।
दरअसल, कर्नाटक सरकार की योजना मेकेदातु में कावेरी नदी पर एक जलाशय का निर्माण करने की है, जिससे इलाके में पीने के पानी की आपूर्ति के अलावा भू-जलस्तर को बढ़ाया जा सके।
बोम्मई ने संवाददाताओं से कहा कि इस परियोजना को लेकर प्रत्येक व्यक्ति जानता है कि इसका उद्देश्य पीने के पानी की आपूर्ति करना और बिजली का उत्पादन करने के अलावा संकट के समय में कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी नदी के जल के बंटवारे का समाधान करना है। उन्होंने इस संबंध में कर्नाटक के सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत से मुलाकात करने का भी उल्लेख किया।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ मुझे पूरा विश्वास है कि इस परियोजना को जल्द ही मंजूरी मिल जाएगी। आवश्यक मंजूरी मिलने के बाद हम परियोजना का काम शुरू कर देंगे। इसको लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। यदि कोई विरोध प्रदर्शन कर रहा है, तो वह केवल राजनीतिक फायदे के लिए किया जा रहा है। हमारा इससे कोई लेना-देना नहीं है।’’
मेकेदातु एक बहुउद्देश्यीय परियोजना है, जिसमें रामनगर जिले के कनकपुरा के पास एक जलाशय का निर्माण शामिल है। इस परियोजना से बेंगलुरु और उसके आस-पास के इलाकों में पीने के पानी की आपूर्ति सुनिश्चित होगी। इसके अलावा 400 मेगावाट बिजली भी पैदा की जाएगी। इसकी लागत करीब नौ हजार करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
पिछले महीने, कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने तमिलनाडु के अपने समकक्ष एम के स्टालिन को पत्र लिखकर मेकेदातु परियोजना का विरोध नहीं करने का आग्रह किया था और इस संबंध में किसी भी मुद्दे के समाधान के लिए एक द्विपक्षीय बैठक आयोजित करने की पेशकश की थी। पत्र के जवाब में स्टालिन ने येदियुरप्पा से मेकेदातु परियोजना को आगे नहीं बढ़ाने का आग्रह किया था। स्टालिन ने कर्नाटक के इस रुख को खारिज कर दिया कि परियोजना के क्रियान्वयन से तमिलनाडु के किसानों के हित प्रभावित नहीं होंगे।
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