नीतीश सरकार ने दिया अपनी ही पार्टी जदयू विधायक को बालू का ठेका, हुआ जन प्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन
By एस पी सिन्हा | Published: October 18, 2022 06:33 PM2022-10-18T18:33:18+5:302022-10-18T18:33:18+5:30
प्राप्त जानकारी के अनुसार जदयू विधायक सुदर्शन के प्रतिष्ठान सुनीला एंड संस फीलिंग स्टेशन को सरकार ने लखीसराय जिले में बालू खनन का बड़ा ठेका दे दिया है
पटना:बिहार में नीतीश सरकार के द्वारा सत्ताधारी दल जदयू के एक विधायक के फर्म को करोड़ों का बालू का ठेका दे दिये जाने का मामला सामने आया है। यह मामला जन प्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन भी बताया जा रहा है। जिसमें विधायक की विधानसभा सदस्यता रद्द की जा सकती है। यह आरोप बरबीघा से जदयू विधायक सुदर्शन पर लगा है। आरोप यह है कि सरकार ने अपने विधायक की फर्म को करोड़ों का बालू ठेका दे दिया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जदयू विधायक सुदर्शन के प्रतिष्ठान सुनीला एंड संस फीलिंग स्टेशन को सरकार ने लखीसराय जिले में बालू खनन का बड़ा ठेका दे दिया है। सरकारी कागजातों के मुताबिक सुनीला एंड सन्स फीलिंग स्टेशन को लखीसराय जिले में 19 करोड़ से ज्यादा का बालू ठेका दिया है। कागजातों के अनुसार प्रतिष्ठान के मालिक सुदर्शन कुमार हैं।
कहा जा रहा है कि सुदर्शन कुमार ने 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान अपने शपथ पत्र में ये जानकारी दी थी कि वे सुनीला एंड सन्स फीलिंग सेंटर के मालिक हैं। वहीं, विधायक सुदर्शन को बालू ठेका देने में जमकर धांधली किए जाने का भी आरोप लग रहा है। बालू खनन के जिस ठेके को सुदर्शन कुमार को दिया गया है। उसमें बोली लगाने वाले गोपाल कुमार सिंह ने इसमे धांधली का आरोप लगाया है।
उन्होंने बिहार सरकार के आला अधिकारियों को पत्र भी लिखा है। जानकारों की मानें तो इस मामले में विधायक सुदर्शन की विधानसभा सदस्यता जा सकती है। कारण कि यह पूरा मामला लोक प्रतिनिधित्व कानून के उल्लंघन का बन रहा है। देश में लागू लोक प्रतिनिधित्व कानून 1951 के मुताबिक कोई विधायक किसी तरह का कोई सरकारी ठेका नहीं ले सकता।
अगर किसी कंपनी या प्रतिष्ठान में उसके 25 प्रतिशत से ज्यादा शेयर है तो भी उस कंपनी या प्रतिष्ठान के नाम पर सरकारी ठेका नहीं लिया जा सकता। जबकि विधायक सुदर्शन के मामले में जिस प्रतिष्ठान को बालू का ठेका मिला है, उसके मालिक ही विधायक हैं। बता दें कि ऐसे ही आरोप में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन फंसे है। उन पर भी आरोप है कि उन्होंने अपने फर्म के नाम पर खनन का पट्टा लिया।