निर्भया मामलाः मेहता ने कहा-कई ऐसे अपराध होते हैं जहां भगवान पीड़िता को ना बचाने और ऐसे दरिंदे को बनाने के लिए शर्मसार होते होंगे

By भाषा | Published: December 18, 2019 06:00 PM2019-12-18T18:00:28+5:302019-12-18T18:00:28+5:30

न्यायमूर्ति आर भानुमति की अगुवाई में तीन न्यायाधीशों की एक पीठ ने इस याचिका पर फैसला सुनाया। इस पीठ में न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति ए.एस बोपन्ना भी शामिल हैं। पीठ ने कहा कि पुनर्विचार याचिका किसी अपील पर बार-बार सुनवाई के लिए नहीं होती।

Nirbhaya case: Mehta said - There are many crimes where God would be ashamed to not save the victim and make such a victim. | निर्भया मामलाः मेहता ने कहा-कई ऐसे अपराध होते हैं जहां भगवान पीड़िता को ना बचाने और ऐसे दरिंदे को बनाने के लिए शर्मसार होते होंगे

निर्भया मामला: चार में से एक दोषी न्यायालय में सुधारात्मक याचिका दायर करने की संभावना तलाश रहा है।

Highlightsन्यायालय ने कहा, ‘‘हमें 2017 में दिए गए मौत की सजा के फैसले पर पुनर्विचार का कोई आधार नहीं मिला।’’मेहता ने पीठ से कहा कि कुछ अपराध ऐसे होते हैं जिनमें ‘‘मानवता रोती’’ है और यह मामला उन्हीं में से एक है।

उच्चतम न्यायालय ने निर्भया सामूहिक बलात्कार मामले में चार दोषियों में से एक द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका बुधवार को खारिज कर दी। निर्भया बलात्कार मामले में दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखने के शीर्ष अदालत के 2017 के फैसले के खिलाफ एक दोषी अक्षय कुमार सिंह ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी।

न्यायमूर्ति आर भानुमति की अगुवाई में तीन न्यायाधीशों की एक पीठ ने इस याचिका पर फैसला सुनाया। इस पीठ में न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति ए.एस बोपन्ना भी शामिल हैं। पीठ ने कहा कि पुनर्विचार याचिका किसी अपील पर बार-बार सुनवाई के लिए नहीं होती।

न्यायालय ने कहा, ‘‘हमें 2017 में दिए गए मौत की सजा के फैसले पर पुनर्विचार का कोई आधार नहीं मिला।’’ मुजरिम के वकील वकील ए. पी सिंह ने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करने के लिए तीन सप्ताह का समय मांगा। इस पर सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायालय से कहा कि राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करने के लिए एक सप्ताह का समय काफी है। पीठ ने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करने के लिए समय सीमा तय करने के बारे में टिप्पणी करने से परहेज किया।

पीठ ने कहा कि दोषी दया याचिका दायर करने के लिए कानून के तहत निर्धारित समय ले सकता है। इससे पहले दिल्ली सरकार की ओर से अदालत में याचिका का विरोध करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि कुछ अपराध ऐसे होते हैं जिनमें ‘‘मानवता रोती’’ है और यह मामला उन्हीं में से एक है।

मेहता ने कहा था, ‘‘ कई ऐसे अपराध होते हैं जहां भगवान बच्ची (पीड़िता) को ना बचाने और ऐसे दरिंदे को बनाने के लिए शर्मसार होते होंगे। ऐसे अपराधों में मौत की सजा को कम नहीं करना चाहिए। ’’ उन्होंने यह भी कहा कि जो होना तय है उससे बचने के लिए निर्भया मामले के दोषी कई प्रयास कर रहे हैं और कानून को जल्द अपना काम करना चाहिए। वहीं दोषी की आरे से पेश हुए वकील ए. पी सिंह ने अदालत से कहा था कि दिल्ली-एनसीआर में वायु और जल प्रदूषण की वजह से पहले ही लोगों की उम्र कम हो रही है और इसलिए दोषियों को मौत की सजा देने की कोई जरूरत नहीं है। 

निर्भया मामला: चार में से एक दोषी न्यायालय में सुधारात्मक याचिका दायर करने की संभावना तलाश रहा है

निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड के चार दोषियों में से एक के वकील ने बुधवार को कहा कि उनके पास राष्ट्रपति के यहां दया याचिका दायर करने से पहले उच्चतम न्यायालय में सुधारात्मक याचिका दायर करने का विकल्प उपलब्ध है। इस सनसनीखेज अपराध में मौत की सजा पाने वाले मुकेश कुमार के वकील मनोहर लाल शर्मा ने कहा कि वह शीर्ष अदालत के नौ जुलाई, 2018 के आदेश के खिलाफ सुधारात्मक याचिका दायर करने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं।

इस आदेश के तहत न्यायालय ने दोषी की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी। शर्मा ने कहा, ‘‘दया याचिका दायर करने का सवाल तो तब उठेगा जब मैं सुधारात्मक याचिका के विकल्प का इस्तेमाल कर लूंगा।’’ पुनर्विचार याचिका खारिज हो जाने के बाद भी व्यक्ति के पास सुधारात्मक याचिका दायर करने का विकल्प रहता है और इस तरह से दायर याचिका पर सामान्यतया चैंबर में ही विचार किया जाता है। शर्मा ने कहा कि वह निर्भया मामले के संबंध में अलग-अलग जगहों पर चल रही गतिविधियों पर निगाह रख रहे हैं।

अक्षय कुमार सिंह की पुनर्विचार याचिका खारिज होने के तुरंत बाद मुकेश के अधिवक्ता शर्मा ने यह बयान दिया। इस बीच, दिल्ली की एक अदालत ने तिहाड़ जेल के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे एक सप्ताह के भीतर चारों मुजरिमों से जानकारी प्राप्त कर बतायें कि क्या वे राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर कर रहे हैं। शीर्ष अदालत ने पिछले साल नौ जुलाई को मुकेश, पवन गुप्ता और विनय शर्मा की पुनर्विचार याचिकायें खारिज करते हुये कहा था कि उसे 2017 के अपने फैसले पर विचार करने का कोई आधार नजर नहीं आता। 

Web Title: Nirbhaya case: Mehta said - There are many crimes where God would be ashamed to not save the victim and make such a victim.

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे