बेंगलुरु, 15 मार्च बेंगलुरु स्थित वन्यजीव अध्ययन केंद्र (सीडब्ल्यूएस) के वैज्ञानिकों ने पारिस्थितिक अध्ययन में उष्णकटिबंध वन खुरदारों के संरक्षण का तरीका पता लगाया है।
शोध प्रकाशक ‘स्प्रिंगर नेचर’ ने ‘स्पेश्ल डाइनेमिक एंड इकोलॉजी ऑफ लार्ज अनगुलेट पॉपुलेशन इन ट्रॉपिल फॉरेस्ट ऑफ इंडिया’ शीर्षक से वैज्ञानिक ‘मोनोग्राफ’ (विशेष लेख) प्रकाशित किया है।
सीडब्ल्यूएस ने एक बयान में सोमवार को बताया कि यह लेख नागरहोल-बांदीपुर संरक्षित भूदृश्य में पांच प्रजातियों की आबादी की पारिस्थितिकी पर किए गए काम और विश्लेषण पर आधारित है, जिनमें गौर, साम्भर, चीतल, काकड़ और जंगली सुअर शामिल है।
बयान के मुताबिक, अध्ययन में इन पांच खुरदारों की आबादी के घनत्व का, स्थानीय और भूगौलिक स्तर पर अनुमान लगाया गया है और उन कारणों का पता लगाया गया जिनके तहत उनकी आबादी के घनत्व में फर्क होता है।
सीडब्ल्यूएस के वैज्ञानिक संबा कुमार ने कहा, “ हमारे परिणामों के वैज्ञानिक और प्रबंधन दोनों निहितार्थ हैं।”
उन्होंने कहा कि ये पहले आबादी पारिस्थितिकी आंकड़े हैं और इन संवेदनशील प्रजातियों पर बारीकी से परिणाम इकट्ठा किए गए हैं जिनको पूरे एशिया में खतरा है।
अध्ययन में शिकार रोधी कड़े उपाय और जंगलों में मानवीय हस्तक्षेप को नियमित करने की अहमियत को रेखांकित किया गया है।
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