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यूपी में कांवड़ यात्रा विवाद के बीच उज्जैन में नया फरमान जारी, दुकानदारों को नेम प्लेट लगाना जरूरी

By भाषा | Updated: July 21, 2024 08:30 IST

Nameplate Row: उज्जैन के मेयर मुकेश ततवाल ने कहा कि उल्लंघन करने वालों पर ₹2,000 का जुर्माना लगाया जाएगा।

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Nameplate Row: मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित उज्जैन नगर निगम ने दुकानदारों को अपने प्रतिष्ठानों के बाहर नाम और मोबाइल नंबर प्रदर्शित करने का निर्देश दिया है। यह निर्देश ऐसे समय में आया है जब उत्तर प्रदेश की भाजपा नीत सरकार द्वारा कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों के लिए इसी तरह के आदेश के बाद आया है।

उज्जैन के महापौर मुकेश टटवाल ने कहा कि उल्लंघन करने वालों को पहली बार अपराध करने पर 2,000 रुपये का जुर्माना देना होगा और दूसरी बार उल्लंघन करने पर 5,000 रुपये का जुर्माना देना होगा। 

महापौर ने कहा कि इस आदेश का उद्देश्य सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है और मुस्लिम दुकानदारों को निशाना बनाना नहीं है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव का गृहनगर उज्जैन अपने पवित्र महाकाल मंदिर के लिए जाना जाता है, जहां सावन महीने के दौरान दुनिया भर से श्रद्धालु आते हैं।

टटवाल ने कहा कि उज्जैन की ‘महापौर-इन-काउंसिल’ ने 26 सितंबर, 2002 को दुकानदारों को अपना नाम प्रदर्शित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी, उसके बाद निगम सदन ने इसे आपत्तियों और औपचारिकताओं के लिए राज्य सरकार को भेज दिया था। उन्होंने कहा कि इस संबंध में सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं। 

गौरतलब है कि राज्य के मुख्यमंत्री मोहन यादव का गृहनगर उज्जैन अपने पवित्र महाकाल मंदिर के लिए जाना जाता है। यह शहर दुनिया भर से भक्तों को आकर्षित करता है, खासकर सावन महीने के दौरान, जो सोमवार, 22 जुलाई से शुरू होता है।

उत्तर प्रदेश में दुकानों पर मालिकों के नाम 

इस हफ्ते की शुरुआत में, उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में पुलिस ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर सभी भोजनालयों से अपने मालिकों और कर्मचारियों के नाम "स्वेच्छा से प्रदर्शित" करने का आग्रह किया, साथ ही कहा कि इस आदेश का उद्देश्य किसी भी तरह का "धार्मिक भेदभाव" पैदा करना नहीं है, बल्कि केवल भक्तों की सुविधा के लिए है। सहारनपुर और शामली में भी पुलिस ने इसी तरह के आदेश जारी किए।

उत्तराखंड पुलिस ने भी हरिद्वार में इसी तरह का आदेश जारी किया। हालांकि, इस मुद्दे के सामने आते ही राजनीतिक गलियारों में बवाल मच गया। विपक्षी पार्टियों ने सरकार के इस फैसले का विरोध करना शुरू कर दिया है। 

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