नीट परीक्षा: न्यायालय ने एनटीए से दिव्यांग छात्रा से हुए अन्याय को ठीक करने को कहा

By भाषा | Published: November 23, 2021 10:01 PM2021-11-23T22:01:47+5:302021-11-23T22:01:47+5:30

NEET Exam: Court asks NTA to correct injustice done to differently-abled girl student | नीट परीक्षा: न्यायालय ने एनटीए से दिव्यांग छात्रा से हुए अन्याय को ठीक करने को कहा

नीट परीक्षा: न्यायालय ने एनटीए से दिव्यांग छात्रा से हुए अन्याय को ठीक करने को कहा

नयी दिल्ली, 23 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) को मंगलवार को निर्देश दिया कि उसे डिस्ग्राफिया से पीड़ित एक दिव्यांग छात्रा के साथ हुए अन्याय को ठीक करने के लिए एक सप्ताह के भीतर कदम उठाने पर विचार करना चाहिए। उक्त छात्रा राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट)- यूजी परीक्षा में एक घंटे का प्रतिपूरक अतिरिक्त समय नहीं दिया गया और उसकी उत्तर पुस्तिका को जबरदस्ती छीन लिया गया था।

डिस्ग्राफिया से पीड़ित व्यक्ति को लिखने में दिक्कत होती है। शीर्ष अदालत ने कहा कि कानून के तहत निर्धारित अधिकारों को प्रदान करने से गलत तरीके से इनकार किये जाने से हुए व्यक्तिगत अन्याय को इस आधार पर भुलाया नहीं जा सकता है कि ये एक प्रतियोगी परीक्षा का एक आवश्यक परिणाम है।

न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना की पीठ ने हालांकि, नीट (यूजी) की पुन: परीक्षा आयोजित करने के संबंध में छात्रा को राहत प्रदान करने से इनकार कर दिया। छात्रा जांच में 40 प्रतिशत स्थायी विकलांगता से पीड़ित पायी गई है।

पीठ ने कहा, ‘‘अपीलकर्ता को बिना उसकी किसी गलती के नीट परीक्षा में बैठने के दौरान एक घंटे के प्रतिपूरक समय से गलत तरीके से वंचित किया गया, जबकि वह दिव्यांग व्यक्ति और ‘बेंचमार्क डिसैबिलिटी’ वाले एक व्यक्ति (पीडब्ल्यूबीडी) के तौर पर वह इसके लिए पात्र थी। तदनुसार, प्रथम प्रतिवादी (एनटीए) को यह विचार करने का निर्देश दिया जाता है कि एक सप्ताह की अवधि के भीतर अन्याय को दूर करने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं। इसके अलावा, यह डीजीएचएस को सूचित करते हुए आवश्यक परिणामी उपाय करेगा।’’

पीठ ने कहा कि अदालत के निर्देश के तहत एनटीए द्वारा उठाये जाने वाले कदमों के बारे में दो सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करके इस न्यायालय की रजिस्ट्री को सूचित किया जाना चाहिए।

फैसला लिखने वाले न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘यह कानून और संविधान की आज्ञा से बंधे किसी प्राधिकार के लिए कोई जवाब नहीं है कि वह एक छात्र के साथ हुए अन्याय को दूर करने के प्रयास के बजाय निराशा में हाथ खड़े कर दे। एक न्यायाधीश इस बात को नज़रअंदाज नहीं कर सकता कि आंकड़ों के पीछे एक मानवीय चेहरा है, जो एक छात्र और उसके परिवार की आकांक्षाओं, खुशी और आंसुओं को दर्शाता है।’’

पीठ ने उल्लेख किया कि छात्रा ने पीडब्ल्यूडी श्रेणी में अर्हता प्राप्त 2684 उम्मीदवारों में से 1721 की अखिल भारतीय रैंक हासिल की है और महाराष्ट्र के संबंध में उसने पीडब्ल्यूडी श्रेणी में 390 उम्मीदवारों में से 249 रैंक हासिल की है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: NEET Exam: Court asks NTA to correct injustice done to differently-abled girl student

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे