अंतरिक्ष, वैमानिकी क्षेत्रों को करीब लाने की जरूरत, दीर्घकालीन योजना बनानी होगी: अंतरिक्ष वैज्ञानिक

By भाषा | Updated: December 20, 2020 18:06 IST2020-12-20T18:06:57+5:302020-12-20T18:06:57+5:30

Need to bring space, aeronautical sectors closer, long term planning will have to be done: Space Scientist | अंतरिक्ष, वैमानिकी क्षेत्रों को करीब लाने की जरूरत, दीर्घकालीन योजना बनानी होगी: अंतरिक्ष वैज्ञानिक

अंतरिक्ष, वैमानिकी क्षेत्रों को करीब लाने की जरूरत, दीर्घकालीन योजना बनानी होगी: अंतरिक्ष वैज्ञानिक

बेंगलुरु, 20 दिसंबर प्रख्यात अंतरिक्ष विज्ञानी जी माधवन नायर ने रविवार को कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को 10 साल की एक योजना का प्रारूप तैयार करना होगा और उन्होंने अंतरिक्ष एवं वैमानिकी क्षेत्रों को व्यापक सफलता के लिए चीन की तर्ज पर कहीं और करीब लाए जाने का समर्थन किया।

उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष विभाग के तहत आने वाले इसरो को पहले ही ऐसा एक दस्तावेज तैयार कर लेना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

इसरो और अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष के तौर पर तथा अंतरिक्ष विभाग सचिव के पद पर सेवा दे चुके नायर ने कहा, ‘‘जब तक हमारी एक दीर्घकालीन योजना नहीं होगी, हम टुकड़ों में कार्यों को करते रहेंगे। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘बेशक नये विचार हैं, लेकिन किसी न किसी को अगले 10 साल के लिए एक ठोस कार्य योजना के साथ आगे आना होगा। ’’

नायर ने कहा कि अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की निजी क्षेत्र की कंपनियों को वैश्विक स्तर पर जाना होगा क्योंकि सिर्फ घरेलू बाजार उनके कारोबार को नहीं बढ़ा सकता।

उन्होंने कहा कि इसरो के पास अच्छी प्रौद्योगिकी वाले उपग्रह हैं, जिन तक निजी क्षेत्र की कंपनियों को पहुंच बनानी होगी लेकिन सिर्फ राष्ट्रीय जरूरतों को पूरा करने से वे नहीं टिक पाएंगी।

नायर ने कहा, ‘‘उन्हें अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहुंच बनानी होगी। तभी जाकर यह सार्थक होगा। पूरी दुनिया में 300 अरब डॉलर का (वैश्विक बाजार) फैला हुआ है। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, जब एक निजी उद्यम इसमें शामिल होगा, तब उसका काम इन प्रौद्योगिकी को हासिल करना , उनका व्यापक स्तर पर उत्पादन करना और उन्हें दुनिया भर में किफायती दर पर बेचने का होना चाहिए।’’

इस साल जून में, सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलने का फैसला किया था और भारतीय निजी क्षेत्र को भागीदारी करने में सक्षम बनाया था।

इसरो के अनुसार, कैबिनेट मंजूरी के मुताबिक देश में अंतरिक्ष गतिविधियों के प्रति रुख आपूर्ति आधारित प्रारूप से मांग आधारित प्रारूप की ओर जाएगा।

नायर ने चीन और स्पेसएक्स के एलन मस्क के उदाहरण का जिक्र करते हुए इस बात पर जोर दिया कि भारत में अंतरिक्ष एवं वैमानिकी क्षेत्र को कार्यक्रमों की व्यापक सफलता के लिए एक दूसरे के साथ लाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, ‘‘ चीन न सिर्फ अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए एकल नेतृत्व के तहत काम कर रहा है बल्कि वैमानिकी के लिए भी कर रहा है। इस तरह, यह कुछ ऐसी चीज है जिसने उन्हें अपनी प्रौद्योगिकी को बेहतर बनाने तथा तेजी से प्रगति करने में मदद की है। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसी तरह, मस्क के पास एक ही छत के नीचे सारी चीजें हैं। इसने उन्हें दुनिया में किसी भी कंपनी की तुलना में तेजी से आगे बढ़ने में मदद की।’’

नायर ने कहा कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का भी वर्ष 2000 तक ऐसा ही एकीकृत ढांचा था। लेकिन इसके बाद वह नीतिगत एवं प्रबंधकीय भ्रम (नयी अंतरिक्ष नीति को लेकर भारत की तरह) में पड़ गया और वे एक अनुबंध प्रबंधक में तब्दील हो गए।

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, एलन मस्क ने उस शून्य स्थान (नासा द्वारा खाली किया गया) को भरा, उन्होंने अवसर देखा और एक संस्थान बना डाला, जो पहले के नासा के समान है तथा सफल रहे। ’’

यह पूछे जाने पर कि क्या इसरो भी नासा के नक्शे कदम पर चल रहा है, नायर ने कहा, ‘‘मैं इसरो के अपने किसी सहकर्मी को हताश नहीं करना चाहता। लेकिन मौजूदा समय का खंडित प्रबंधन नासा जैसा ही हश्र करेगा। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘अभी भी...तीन चार संस्थाएं बनाई गई हैं (जैसे कि इन-स्पेस और एनएसआईएल)...इन संस्थाओं को एकल कमान के तहत लाना होगा। आप उन्हें स्वतंत्रतापूर्वक काम करने की इजाजत नहीं दे सकते। उन्हें काम करने की स्वतंत्रता हो सकती है लेकिन इन सभी चीजों को एक एजेंसी के तहत समेकित करना होगा।

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Web Title: Need to bring space, aeronautical sectors closer, long term planning will have to be done: Space Scientist

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