पारंपरिक और सोशल मीडिया के लिए स्वनियमन की जरूरत : उपराष्ट्रपति नायडू

By भाषा | Updated: December 18, 2020 17:59 IST2020-12-18T17:59:24+5:302020-12-18T17:59:24+5:30

Need for self-regulation for traditional and social media: Vice President Naidu | पारंपरिक और सोशल मीडिया के लिए स्वनियमन की जरूरत : उपराष्ट्रपति नायडू

पारंपरिक और सोशल मीडिया के लिए स्वनियमन की जरूरत : उपराष्ट्रपति नायडू

नयी दिल्ली, 18 दिसंबर उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को कहा कि सामाजिक सौहार्द्र, शांति और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े खतरों को देखते हुए तेजी से विस्तारित हो रहे सोशल मीडिया मंचों के इस्तेमाल में ‘‘शुचिता’’ सुनिश्चित होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का यह मतलब नहीं है कि एक दूसरे के खिलाफ नफरत और आक्रोश का प्रदर्शन किया जाए, इससे समाज में अराजकता पैदा हो सकती है ।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि तथ्यों और प्रमाण के आधार पर पत्रकारिता ने हमेशा राह दिखाने का काम किया है। लेकिन, पूरी तरह ‘‘नकारात्मकता’’ नहीं फैलानी चाहिए।

विज्ञापन से होने वाली आमदनी को किसी भी मीडिया संगठन को चलाने के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए नायडू ने कहा कि ढेर सारे मीडिया संस्थानों की शुरुआत होने और राजस्व में हिस्सा घटने के कारण पत्रकारिता के पारंपरिक मूल्यों और सिद्धांतों के साथ समझौता हो रहा है, जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

छठे एम वी कामत स्मृति व्याख्यान में ‘पत्रकारिता: इतिहास, वर्तमान और भविष्य’ विषय पर संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी की वजह से मीडिया पर गहरा असर पड़ा है और पारंपरिक मीडिया को बनाए रखने के लिए उपयुक्त राजस्व मॉडल तैयार करने की जरूरत है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि सोशल मीडिया के विस्तार से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दायरा बड़ा हो रहा है, यह स्वागत योग्य है, दूसरी ओर स्वनियमन और नियमों को नहीं मानने का पहलू भी इससे जुड़ा हुआ है ।

उन्होंने कहा, ‘‘सूचनाओं का द्वार प्रौद्योगिकी कंपनियों के जरिए खुलता है और वेब, सूचना और न्यूज के वितरण का मुख्य साधन के तौर पर उभरा है। हम इसके नतीजे देख रहे हैं।’’

नायडू ने कहा कि पारंपरिक प्रिंट मीडिया प्रौद्योगिकी के कारण पीछे छूटने के खतरे को देखते हुए ऑनलाइन रास्ता अपना रहा है लेकिन राजस्व मॉडल तलाश करने में कठिनाई आ रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘पहले प्रिंट मीडिया में खबर को विकसित होने के लिए 24 घंटे का समय मिलता था, आज समय ब्रेकिंग न्यूज पत्रकारिता का है। फटाफट खबरों पर जोर है। ऐसे में असली खबर और फेक न्यूज में अंतर समाप्त सा होता जा रहा है। यह चिंता का विषय है।

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Web Title: Need for self-regulation for traditional and social media: Vice President Naidu

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