National Pollution Control Day: इन आसान उपायों के जरिए आप भी कर सकते हैं प्रदूषण कंट्रोल, फॉलो करें ये टिप्स
By आकाश चौरसिया | Published: December 2, 2023 11:08 AM2023-12-02T11:08:38+5:302023-12-02T11:28:04+5:30
राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्र दिवस हर साल भारत में 2 दिसंबर को मनाते हैं। इस दिन का उद्देश्य है कि लोगों को जागरुक करना है, जिसके जरिए उन्हें ये पता चल सके कि प्रदूषण नियंत्र कैसे करना है। राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण डे इसलिए खास तौर पर मनाया जाता है क्योंकि भोपाल गैस कांड भी इस दिन साल 1984 में घटित हुआ था।
नई दिल्ली: राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्र दिवस हर साल भारत में 2 दिसंबर को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य यह है कि लोगों को जागरुक करना है, जिसके जरिए उन्हें ये पता चल सके कि प्रदूषण नियंत्र कैसे करना है और इंडस्ट्रियल आपदा से कैसे अपने आपको सुरक्षित रखना है। राष्ट्रीय प्रदूषण कंट्रोल डे इसलिए खास तौर पर मनाया जाता है क्योंकि भोपाल गैस कांड भी इस दिन साल 1984 में घटित हुआ था। इस अवसर पर हम आपको ये बताने जा रहे हैं कि कैसे बढ़ते प्रदूषण को कम किया जा सके।
सबसे पहले हमें सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें। इसके साथ ही त्योहार के मौके पर पटाखों या आतिशबाजी का प्रयोग नहीं करें। वहीं, खुले में कूड़ा जलाने से बचना चाहिए।
इसके अलावा राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर टिकाऊ नीतियों की वकालत करना भी जरुरी है। सुनिश्चित करें कि आपके वाहन का कार्बन उत्सर्जन कानूनी सीमा के भीतर हो, अपने पीयूसी प्रमाणपत्र को अपडेट रखें।
इसके साथ ही पर्यावरण सहयोगी रंगों और ऐसी ही सफाई वस्तुओं का भी उपयोग करें, जिससे किसी को भी नुकसान न हो।
इनके अलावा पेड़ों की संख्या में ज्यादा से ज्यादा बढ़ोतरी करें यानी पेड़ों को अपने आसपास खास शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोग इसकी शुरुआत करें। पर्यावरणीय कारणों के बारे में जागरूकता बढ़ाएं। पर्यावरण को लेकर वकालत का समर्थन करें और ऐसे एक्शन ग्रुप से भी जुड़कर अपना उपस्थिति दर्ज कराएं।
उन सभी उत्पादों का बहिष्कार करें जो जीवाश्म ईंधन से बने हैं या जिनमें उच्च कार्बन उत्सर्जन ज्यादा मात्रा में हो रहा हो।
इस क्रम में सबसे पहले आता है कि हम प्रतिदिन के इस्तेमाल में हाइब्रिड मॉडल के व्हीकल, इलेक्ट्रिक व्हीकल और उन नई तकनीक से बनी कारों का उपयोग जिससे कार्बन शून्य उत्सर्जन हो।
आज हम 70 मिलियन टन ग्लोबल-वार्मिंग प्रदूषण पर्यावरण में फेंक रहे हैं और कल हम और अधिक डालेंगे और इससे दुनिया भर में कोई प्रभावी प्रतिक्रिया नहीं है। जब तक हम ग्लोबल-वार्मिंग प्रदूषण को तेजी से कम करना शुरू नहीं करते, तब तक लगेगा कि हम विफल शून्य उत्सर्जन में विफल हैं।
इसमें एक बात जो हमें जानने वाली है वो यह है कि हवा को प्रदूषित करना तब और भी अधिक मूर्खतापूर्ण है जब यह किसी पेड़ के तने या उसके शाखाओं द्वारा जलाई गई आग के माध्यम से पर्यावरण और प्रदूषित हो जाता है।
जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण की कोई सीमा नहीं है और एंटीबायोटिक प्रतिरोध किसी सीमा का सम्मान नहीं करती है। अफ्रीका के बैक्टीरिया अमेरिका में लोगों को बीमार कर सकते हैं। इंडोनेशिया के जंगलों के जलने से एशिया की सांसें अटक सकती हैं।