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नीयत हर धर्म की बुनियाद, हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने कहा-सलाम का मतलब है शांति

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 24, 2021 21:11 IST

National Inter Religious Conference: बांग्लादेश में जो हुआ हम उसकी मजम्मत (भर्त्सना) करते हैं. ऐसे लोग सिर्फ इस्लाम के ही नहीं बल्कि इंसानियत के दुश्मन हैं.

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ठळक मुद्देदरगाह अजमेर शरीफ सदियों से एकता, इंसानियत और सेहत का पैगाम देती आई है.कोरोना के खौफ से दूर होने का संदेश भी ये आयोजन दे रहा है. सलाम का मतलब है शांति. मंच की शुरुआत में लोकेश मुनि ने यही शब्द कहे.

National Inter Religious Conference: हिंद वली ख्वाजा गरीब नवाज दरगाह अजमेर शरीफ के गद्दीनशीन हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने कहा कि लॉकडाउन के बाद नागपुर में यह पहला कार्यक्रम है जब हम गुरुजनों के साथ प्रत्यक्ष रूप से मिले हैं.

दरगाह अजमेर शरीफ सदियों से एकता, इंसानियत और सेहत का पैगाम देती आई है. कोरोना के खौफ से दूर होने का संदेश भी ये आयोजन दे रहा है. सलाम का मतलब है शांति. मंच की शुरुआत में लोकेश मुनि ने यही शब्द कहे. बारगाहे गरीब नवाज और हमारे मुल्क से यही दुआ करना चाहते हैं कि हम सब्र और शुक्र से चुनौतियों से निपटें, कोरोनाकाल में यही देखने को मिला.

सब्र अथवा धैर्य से सब कुछ जीता जा सकता है. नीयत हर धर्म की बुनियाद है. इस्लाम में नमाज से पहले नीयत ही जरूरी है अन्यथा नमाज की कुबूलियत नहीं होती. मस्जिद से बाहर निकलकर किसी ऐसे काम में शामिल होना जिससे इंसानियत का नुकसान हो, चाहे वो आतंकवाद, दहशतगर्दी या जो भी हो तो आपका दीन भी व्यर्थ और नमाज भी जाया हो जाती है. मंदिर, गुरुद्वारे, चर्च सहित किसी भी धार्मिक स्थल जाएं, जिस नीयत से जाएं और वो बाहर लेकर न आएं तो वहां जाना सिर्फ एक दिखावा है. दिखावा दीन, धर्म में नहीं होता. 

कश्मीर से कन्याकुमारी तक जितने भी गुरुद्वारे हैं वहां फरीदवाणी को दोहराया जाता है. ऐसे कई उदाहरण हैं. खानकाहें और आश्रमों के सूफी संत एक-दूसरे से मिलते थे. बाबा फरीद के आश्रम में संत फकीर लोग आते थे और श्वास के लिए आसन किया करते थे. गोरखनाथ मठ में जो दीक्षा दी जाती थी योगियों को, फकीरों को, ये सिलसिला काफी पहले वक्त से है.

आने वाला वक्त भारत का वक्त है. रब की कृपा हासिल करनी है तो ख्वाजा साहब का संदेश है कि यदि आज सृष्टिकर्ता के करीब जाना चाहते हैं तो सूरज जैसी शफकत, दरिया जैसी सखावत और जमीन जैसी खातिर-तवाजों की भावना रखें. हमारा मुल्क सलामत रहे.

दूसरों की आस्था को नुकसान पहुंचाना बड़ा गुनाह

बांग्लादेश में जो हुआ हम उसकी मजम्मत (भर्त्सना) करते हैं. ऐसे लोग सिर्फ इस्लाम के ही नहीं बल्कि इंसानियत के दुश्मन हैं. जो किसी भी धर्म की आस्था को नुकसान पहुंचाते हैं, वो सबसे बड़े दुश्मन हैं. उनकी हर इबादत जाया है. भारत में बाबा फरीद का पैगाम है. गुरुग्रंथ साहिब में इसे दर्ज किया गया.

लोकमत ग्रुप का शुक्रिया

समाज में मीडिया की महती भूमिका है. लोकमत समूह और विजय दर्डा का शुक्रिया जो उन्होंने देश की आध्यात्मिक ताकत को एक मंच पर लाने का प्रयास किया. भारत विश्वगुरु था और आने वाले वक्त में भी आध्यात्मिक शक्ति से फिर ये मुकाम हासिल कर सकता है. पहले जब औद्योगिकरण नहीं था, कोई इकोनॉमिक सुपर पॉवर नहीं थे तब भी अध्यात्म ही बुनियाद था. मीडिया को संवाद में पैदा होने कमियों को दूर करने की कोशिश करनी चाहिए.

अजमेर दरगाह की प्रतिकृति भेंट की

हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने लोकमत समूह द्वारा सर्वधर्मीय परिषद के आयोजन को लेकर खासतौर पर दरगाह अजमेर शरीफ की एक प्रतिकृति लोकमत पत्र समूह के चेयरमैन विजय दर्डा को श्री श्री रविशंकर के हाथों भेंट की.

टॅग्स :राष्ट्रीय अंतर-धार्मिक सम्मेलनराजस्थाननागपुर
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