ताजमहल, स्टेडियम को लीज पर देकर कमाई करेगी सरकार, 25 हजार करोड़ जुटाने का है लक्ष्य
By हरीश गुप्ता | Published: April 1, 2021 07:42 AM2021-04-01T07:42:28+5:302021-04-01T07:47:04+5:30
स्टेडियमों को 30 साल की अवधि के लिए ओम (ऑपरेट एंड मेंटेन) के तहत एक मुश्त अग्रिम भुगतान के बाद पट्टे पर दिया जा सकता है। राजस्व बढ़ाने के लिए आक्रामक योजना जून-जुलाई में आकार ले सकती है।
केंद्र की पीएम मोदी सरकार स्टेडियमों, राष्ट्रीय उद्यान और स्मारकों से कमाई करके कम से कम 25 हजार करोड़ रुपये जुटाने की महत्वकांक्षी योजना तैयार कर रही है।
खेल, संस्कृति और पर्यावरण और वन मंत्रालय ने अपनी इन परिसंपत्तियों को लंबी अवधि के पट्टटों (लीज) पर देवे के लिए विस्तृत रोड-मैप तैयार किया है। सरकार के अगर उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो देश भर में 100 से अधिक ऐतिहासिक स्मारकों की पहचान की जा चुकी है।
इनमें देश की पहचान बन चुका ताजमहल, हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा का किला, मुंबई में बैद्ध कनेरी गुफाएं आदि शामिल हैं जिन्हें लंबी अवधि के पट्टे पर दिया जाना है।
दिल्ली में ऐतिहासिक लाल किला पहला है जिसे 'धरोहर को गोद लेने' (एडॉप्ट ए हेरिटेज) योजना के तहत पट्टे पर दिया गया था। सरकार ने इससे पांच साल की अवधि के लिए एक निजी सीनेंट कंपनी से 25 करोड़ रुपये हासिल किए।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन एनडीएमसी, लोधी गार्डन को पट्टे पर देने पर विचार कर रही है। इस उद्यान में 11वीं शताब्दी के लोधी मकबरे सहित कई स्मारक हैं। इसी तरह पर्यावरण और वन मंत्रालय देश भर में राष्ट्रीय उद्यानों के लिए योजनाओं की रुपरेख तैयार कर रहा है।
विभिन्न अंतरराष्ट्रीय उद्यमों, खेल और इवेंट मैनेजमेंट कंपनियों की प्रतिक्रिया और रुचि देखकर सरकार ने अब स्पोर्ट्स स्टेडियम और कॉम्पलेक्स को बड़े पैमाने पर पट्टे पर देने का फैसला किया है।
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम इस सूची में सबसे ऊपर है। उसके साथ ही इंदिरा गांधी स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स, मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्विमिंग पूल कॉम्पलेक्स और डॉ. कर्णी सिंह शूटिंग रेंज भी इस सूची में शामिल हैं।
खेल और युवा मामलों के मंत्रालय ने कहा है कि इन परिसरों का उपयोग कम किया जा रहा है और सरकारी खजाने पर बोझ बरकरार है। निजी कंपनियों को पट्टे पर देने से इनके रख-रखाव में मदद मिलेगी।
एक अधिकारी ने कहा, इन स्टेडियम में से अधिकांश या तो वर्ष के अधिकांश समय खाली रहते हैं या खराब स्थिति में पड़े हैं।'