बलात्कारियों की अब खैर नहीं, आसान भाषा में समझें रेप पर कानून के नए प्रावधान
By आदित्य द्विवेदी | Published: April 22, 2018 08:56 AM2018-04-22T08:56:23+5:302018-04-22T08:56:23+5:30
महिला सुरक्षा के मद्देनजर नरेंद्र मोदी कैबिनेट का बड़ा फैसला। अब 12 साल से कम उम्र की बच्ची से रेप पर फांसी की सजा के प्रावधान को मंजूरी। जानें कुछ जरूरी बातें...
नई दिल्ली, 22 अप्रैलः देशभर में नाबालिगों से बलात्कार की वीभत्स घटनाओं के बाद महिला सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठाए जा रहे थे। इन घटनाओं को देखते हुए शनिवार को मोदी कैबिनेट ने आपराधिक कानून संशोधन अध्यादेश, 2018 को मंजूरी दे दी है। इस अध्यादेश के जरिए IPC, CRPC और POCSO में संशोधन करके नाबालिग से बलात्कार के दोषियों को मौत की सजा तक का प्रावधान जोड़ दिया गया है। यानी अब 12 साल से कम उम्र की बच्ची से बलात्कार करने पर फांसी की सजा हो सकती है।
अध्यादेश में 16 साल से कम उम्र की लड़कियों से बलात्कार पर न्यूनतम सजा 10 वर्ष से बढ़ाकर 20 वर्ष कर दी गई है। अधिकतम सजा बढ़ाकर उम्रकैद कर दी गई है। 16 साल से कम उम्र की लड़की से दुष्कर्म के आरोपी को अग्रिम जमानत नहीं दी जाएगी। अध्यादेश में महिलाओं से रेप करने के मामले में न्यूनतम सजा सात वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष कर दिया गया है और अधिकतम सजा उम्रकैद तक बढ़ा दी गई है। अध्यादेश को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद अब इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। राष्ट्रपति से मंजूरी मिलते ही यह तत्काल लागू हो जाएगा।
मोदी कैबिनेट की बैठक में लिए गए कुछ अहम फैसलेः-
- बच्चियों से दुष्कर्म के मामलों की सुनवाई के लिए विशेष फास्ट ट्रैक अदालतें गठित की जाएंगी।
- मामलों में पीड़ितों का पक्ष रखने के लिए राज्यों में विशेष लोक अभियोजकों के नए पद सृजित होंगे।
- वैज्ञानिक जांच के लिए सभी पुलिस थानों और अस्पतालों में विशेष फॉरेंसिक किट मुहैया कराई जाएंगी।
- रेप की जांच को समर्पित पुलिस बल होगा, जो समय सीमा में जांच कर आरोप पत्र अदालत में पेश करेगा।
- क्राइम रिकार्ड ब्यूरो यौन अपराधियों का डेटा तैयार करेगा, इसे राज्यों से साझा किया जाएगा।
रेप की नई परिभाषा
अगर किसी महिला के साथ कोई पुरुष जबरन शारीरिक संबंध बनाता है तो वह रेप होगा। साथ ही मौजूदा प्रावधान के तहत महिला के साथ किया गया यौनाचार या दुराचार दोनों ही रेप के दायरे में होगा। इसके अलावा महिला के शरीर के किसी भी हिस्से में अगर पुरुष अपना प्राइवेट पार्ट डालता है, तो वह भी रेप के दायरे में होगा। महिला की उम्र अगर 18 साल से कम है और उसकी सहमति भी है तो भी वह रेप ही होगा।
क्या है पॉक्सो एक्ट?
यह एक्ट 18 से कम उम्र के लड़के और लड़कियों को सेक्शुअल असॉल्ट, सेक्शुअल हैरेसमेंट से बचाने के लिए लाया गया है। अगर कोई 18 से कम उम्र के बच्चे से यौन छेड़छाड़ करता है तो दोषी पाए जाने पर उसे न्यूनतम सात साल और अधिकतम 10 साल की सजा का हो सकती है। मोदी कैबिनेट के नए अध्यादेश में सजा में संशोधन किया गया है।
क्या है एंटी-रेप कानून?
2012 में दिल्ली में निर्भया से हुए वीभत्स बलात्कार ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस घटना के बाद सरकार ने रेप के कानून में कई बदलाव किए मौजूदा समय में रेप व छेड़छाड़ के मामले में जो कानूनी प्रावधान हैं, उसके तहत रेप के कारण अगर कोई महिला मरणासन्न अवस्था में पहुंच जाती है या फिर मौत हो जाती है तो उस स्थिति में दोषियों को फांसी तक की सजा हो सकती है। साथ ही रेप मामले में अगर कोई शख्स दूसरी बार दोषी पाया जाता है, तो उसे फांसी की सजा तक हो सकती है।