नगारिक सुरक्षा स्वयंसेवक: अधिकारों के विनियमन की मांग वाली याचिका प्रतिवेदन के तौर ली जाए: अदालत

By भाषा | Updated: December 7, 2020 14:23 IST2020-12-07T14:23:37+5:302020-12-07T14:23:37+5:30

Nagrik Suraksha Swayamsevak: Petition seeking regulation of rights should be taken as report: court | नगारिक सुरक्षा स्वयंसेवक: अधिकारों के विनियमन की मांग वाली याचिका प्रतिवेदन के तौर ली जाए: अदालत

नगारिक सुरक्षा स्वयंसेवक: अधिकारों के विनियमन की मांग वाली याचिका प्रतिवेदन के तौर ली जाए: अदालत

नयी दिल्ली, सात दिसम्बर दिल्ली उच्च न्यायालय ने कोविड-19 के नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए तैनात किए गए नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों (सिविल डिफेंस वालंटियर) को दिए अधिकारों का विनियमन करने के अनुरोध वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए संबंधित अधिकारियों से सोमवार को कहा कि इसको (याचिका को) एक प्रतिवेदन के तौर पर देखा जाए।

याचिका में इन स्वयंसेवकों को पुलिस की जैसी वर्दी पहनने से रोकने की भी मांग की गई।

मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जैन की एक पीठ ने उनसे इस मामलों के तथ्यों पर लागू हो सकने वाले कानूनों, नियमों, विनियमों और सरकारी नीति के अनुसार याचिका पर फैसला करने को कहा।

अदालत ने कहा कि जितनी जल्दी हो सके व्यावहारिक रूप से इस पर फैसला किया जाए और वकील अमृता धवन की याचिका का निपटारा किया जाए।

धवन ने अपनी याचिका में दावा किया है कि नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवक दिल्ली महामारी रोग (कोविड-19 का प्रबंधन) विनियम 2020 के तहत दिए गए ‘‘बेलगाम’’ अधिकारों का ‘‘गलत इस्तेमाल कर रहे हैं।

याचिका में कहा गया कि दिल्ली सरकार और दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) ने स्वयंसेवकों द्वारा अधिकारों का दुरुपयोग किए जाने के बारे में जानते हुए भी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है, जो कोविड-19 नियमों के उल्लंघन के लिए अभी तक 2.5 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना वसूल चुके हैं।

सुनवाई के दौरान अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील अर्पित भार्गव से पूछा कि क्या किसी व्यक्ति को खाकी पहनने से रोकने का कोई नियम है, क्योंकि उसे पुलिस पहनती है।

भार्गव ने कहा कि ऐसा कोई नियम नहीं है लेकिन ऐसी गतिविधियों से पुलिस की विश्वसनीयता प्रभावित हो सकती है, अगर आम नगारिक पुलिस जैसी खाकी पहन उनकी तरह व्यवहार करे।

पीठ ने कहा कि वह इस संबंध में सुनवाई नहीं करेगी लेकिन अगर इस तरह उल्लंघन करने का कोई वाकया सामने आए तो अदालत के संज्ञान में लाया जा सकता है।

उसने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता अधिकारियों के समक्ष भी यह मुद्दा उठा सकती हैं।

इस पर भार्गव ने कहा कि अधिकारियों द्वारा याचिका को एक प्रतिवेदन के तौर पर देखा जाए और अदालत ने भी यही निर्देश दिया।

याचिका में यह भी मांग की गई थी कि वह दिल्ली सरकार और डीडीएमए को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दें कि महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पुरुष स्वयंसेवक उनकी तस्वीरें ना लें।

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Web Title: Nagrik Suraksha Swayamsevak: Petition seeking regulation of rights should be taken as report: court

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