महाराष्ट्र में बकरीद के नियमों को लेकर मुस्लिम समुदाय नाराज, कांग्रेस नेता ने उठाए सवाल
By स्वाति सिंह | Published: July 26, 2020 09:09 PM2020-07-26T21:09:42+5:302020-07-26T21:13:30+5:30
कर्नाटक सरकार ने एक समय में अधिकतम 50 लोगों के साथ केवल मस्जिदों में ही ईद-उल-अजहा (बकरीद) की नमाज अदा करने की अनुमति देते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी को देखते हुए ईदगाह और अन्य स्थानों पर सामूहिक नमाज को प्रतिबंधित किया गया है।
बेंगलुरु: कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच महाराष्ट्र में राज्य की महाविकास आघाडी सरकार ने लोगों से ऑनलाइन बकरियों को खरीदने के नियम बनाए हैं। इसके साथ ही प्रतीकात्मक रूप में कुर्बानी देने की अपील की है। इसपर अब कई लोग सवाल उठा रहे हैं जिसमें कांग्रेस के नेता भी शामिल हैं।
वहीं, महाराष्ट्र सरकार के इस निर्णय पर सरकार में शामिल कांग्रेस के नेता नसीम खान भी सवाल उठाते नज़र आ रहे हैं और उन्होंने इसमें बदलाव करने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा है। कांग्रेस नेता नसीम खान ने कहा, ''कुर्बानी मुसलामानों का एक अहम त्यौहार है। कुर्बानी ऑनलाइन नहीं हो सकती है और ना ही सिम्बॉलिक हो सकती है। इस्लाम में कोई भी इबादत प्रतीकत्मक करने की गुंजाइश नहीं है और इसलिए सरकार को इसपर फिर से कोई निर्णय लेना चाहिए।
कर्नाटक सरकार ने एक समय में अधिकतम 50 लोगों के साथ केवल मस्जिदों में ही ईद-उल-अजहा (बकरीद) की नमाज अदा करने की अनुमति देते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी को देखते हुए ईदगाह और अन्य स्थानों पर सामूहिक नमाज को प्रतिबंधित किया गया है।
अल्पसंख्यक कल्याण और वक्फ विभाग के सचिव ए बी इब्राहिम ने शुक्रवार को जारी एक आदेश में कहा कि नमाज के लिए मस्जिदों में जाने वाले लोगों को फेस मास्क पहनना होगा और सामाजिक दूरी बनाए रखनी होगी। उन्होंने कहा कि हिलाल समिति ने फैसला किया है कि ईद-उल-अजहा 31 जुलाई को उडुपी, दक्षिण कन्नड़ और कोडागु जिलों में मनाई जाएगी, जबकि राज्य के बाकी हिस्सों में यह एक अगस्त को मनाई जाएगी।
आदेश में कहा गया कि बकरीद के दौरान मुसलमान सामूहिक नमाज में भाग लेते हैं, लेकिन कोविड-19 महामारी देखते हुए ईदगाह और अन्य स्थानों पर ऐसे आयोजनों को निषिद्ध कर दिया गया है।
विभाग ने आदेश में कहा कि हालांकि, मस्जिदों में प्रतिबंध के साथ नमाज की अनुमति दी जाएगी जिसमें 50 से अधिक लोगों को एकसाथ भाग नहीं लेना होगा। अधिक लोग होने पर नमाजियों के अलग-अलग समूह बनाए जा सकते हैं। आदेश में कहा गया है कि किसी भी अन्य जगहों जैसे हॉल, सामुदायिक भवन और 'शादी महल' में सामूहिक नमाज आयोजित नहीं की जानी चाहिए। (भाषा इनपुट के साथ)