बाबरी मस्जिद केस: कोर्ट के फैसले को मुरली मनोहर जोशी ने बताया ऐतिसाहिक, कहा- सबित हुआ कोई साजिश नहीं रची गई थी

By विनीत कुमार | Updated: September 30, 2020 13:29 IST2020-09-30T13:28:22+5:302020-09-30T13:29:42+5:30

बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाया। इस मामले में 28 साल बाद फैसला आया है। कोर्ट ने अपने फैसले में सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया।

Murli Manohar Joshi on Babri masjid demolition verdict says Its historic decision by court | बाबरी मस्जिद केस: कोर्ट के फैसले को मुरली मनोहर जोशी ने बताया ऐतिसाहिक, कहा- सबित हुआ कोई साजिश नहीं रची गई थी

बाबरी विध्वंस मामले में कोर्ट का फैसला ऐतिहासि: मुरली मनोहर जोशी (फोटो- एएनआई)

Highlightsबाबरी विध्वंस मामले में सीबीआई अदालत के फैसले को मुरली मनोहर जोशी ने बताया ऐतिहासिक मुरली मनोहर जोशी भी इस मामले में एक अभियुक्त थे, उन्होंने कहा- फैसले से साबित हुआ कि कोई साजिश नहीं रची गई थी

बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में 28 साल बाद आए फैसले के बाद बीजेपी नेता मुरली मनोहर जोशी की प्रतिक्रिया सामने आई है। इस मामले में मुरली मनोहर जोशी भी एक अभियुक्त थे। जोशी ने बुधवार को इस मामले पर आए कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक बताया। मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि इससे साबित होता है कि कोई साजिश नहीं रची गई थी।

न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार जोशी ने कोर्ट के फैसले के बाद कहा, 'कोर्ट की ओर से ये ऐतिहासिक फैसला है। इससे साबित होता है कि अयोध्या में 6 दिसंबर की घटना को लेकर कोई साजिश नहीं रची गई थी। हमारा कार्यक्रम और रैली साजिश का हिस्सा नहीं थे। सभी खुश हैं और अब सभी को राम मंदिर निर्माण के लिए उत्साहित होना चाहिए।'

फैसले पर खुशी जताते हुए जोशी ने कहा, ‘मैं समझता हूं कि इसके बाद ये विवाद समाप्त होना चाहिए। इस अवसर पर मैं एक ही बात कहूंगा कि ‘जय जय श्री राम’ और ‘सबको सन्मति दे भगवान’।’ 

बता दें कि अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने सबूतों के अभाव में सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ये घटना पूर्व नियोजित नहीं थी और अचानक ही हुई थी।

जस्टिस एस के यादव ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई पुख्ता सुबूत नहीं मिले हैं, बल्कि आरोपियों ने उन्मादी भीड़ को रोकने की कोशिश की थी।

इस मामले में मुरली मनोहर जोशी समेत पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी, कल्याण सिंह, उमा भारती और महंत नृत्य गोपाल दास सहित कई बड़े नाम अभियुक्त बनाए गए थे।

सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई अदालत को मामले का निपटारा 31 अगस्त तक करने के निर्देश दिए थे लेकिन गत 22 अगस्त को यह अवधि एक महीने के लिए और बढ़ा कर 30 सितंबर कर दी गई थी।

सीबीआई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कोई भी सबूत आरोप साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। कोर्ट ने कहा है कि जो सबूत पेश किए गए हैं उनसे यह साबित नहीं होता है और विध्वंस की घटना को लेकर साजिश रची गई थी।

इस केस की शुरुआत में कुल 49 अभियुक्त बनाए गए थे। इनमें से हालांकि 17 की मौत इतने वर्षों तक चली सुनवाई के दौरान हो चुकी है। इससे पहले पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि विवाद पर फैसला सुनाया था।

Web Title: Murli Manohar Joshi on Babri masjid demolition verdict says Its historic decision by court

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