रायसेन (मप्र), दो फरवरी मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के बेगमगंज नगरपालिका परिषद के कर्मचारियों ने प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के अंतर्गत फुटपाथ पर अस्थायी दुकान लगाने वालों को बैंक ऋण वितरण में कथित रूप से देरी करने को लेकर कुछ बैंकों के बाहर कचरा फेंक दिया। यह जानकारी अधिकारियों ने मंगलवार को दी ।
अधिकारी ने कहा कि यह कचरा रायसेन जिला मुख्यालय से करीब 80 किलोमीटर दूर बेगमगंज कस्बे स्थित चार बैंकों के प्रवेश द्वारों पर कथित रूप से बेगमगंज के मुख्य नगरपालिका अधिकारी धीरज शर्मा के निर्देशों पर सोमवार को फेंका गया।
मुख्य नगरपालिका अधिकारी धीरज शर्मा ने पहले ही स्वीकार किया कि बैंकों ने रेहड़ी-पटरी वालों को ऋण वितरण करने में देरी की थी, इसलिए यह कदम उठाया गया, लेकिन, बाद में मंगलवार को उन्होंने इसमें अपनी संलिप्तता से इनकार कर दिया।
कचरा पटके जाने पर पूछे गये सवाल पर शर्मा ने सोमवार को कहा, ‘‘प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के अंतर्गत पथ विक्रेताओं को 10-10 हजार रुपए का ऋण फुटपाथ पर व्यवसाय करने वाले गरीब छोटे-छोटे पथ विक्रेताओं को देने के लिए संबंधित बैंकों में प्रकरण भेजे गए थे, लेकिन बैंक के प्रबंधकों के द्वारा योजना को गंभीरता से नहीं लिया गया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसके चलते लक्ष्य प्राप्त नहीं करने के कारण इन प्रकरणों को लेकर बैठक में हमें जिला कलेक्टर की डांट खानी पड़ती है। हम लंबे समय से प्रयास कर रहे थे, लेकिन बैंक कर्मचारी देरी कर रहे थे। इसलिए सोमवार को बैंकों को सबक सिखाने के लिए बैंकों के सामने कचरा डलवाया गया था।’’
हालांकि, विवाद बढ़ने के बाद अगले दिन मंगलवार का उन्होंने ‘भाषा’ से बातचीत करते हुए इस घटना में अपनी संलिप्तता से इनकार कर दिया और दावा किया कि सूचना मिलते ही यह कचरा हटा दिया गया।
शर्मा ने दावा किया, ‘‘मैं सोमवार को कलेक्टर के साथ बैठक में था। मैंने बैंकों के सामने कचरा फेंकने का आदेश नहीं दिया। कचरे को तुरंत हटाया गया। हो सकता है कि बैंकों ने खुद ही प्रवेश द्वार पर कचरा फेंका हो।’’
उन्होंने यह भी कहा कि यह सच है कि बैंक ऋण प्रस्तावों को मंजूरी नहीं दे रहे हैं।
शर्मा ने दावा किया, ‘‘1800 मामलों (कर्ज के) में से केवल एक तिहाई को ही मंजूरी दी गई। बैंक पूरे जिले में ऋण वितरण प्रस्तावों को मंजूरी नहीं दे रहे हैं।’’
यह कचरा भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, मध्यप्रदेश ग्रामीण बैंक और आईसीआईसीआई बैंक की शाखाओं के सामने फेंका गया था।
एसबीआई के शाखा प्रबंधक प्रताप सिंह ने ‘भाषा’ को बताया कि नगरपालिका परिषद द्वारा पूर्व में 350 प्रकरण का लक्ष्य दिया गया था, जिनमें 333 स्वीकृत कर पथ विक्रेताओं को राशि वितरण कर दी गई थी।
उन्होंने कहा कि पुनः दिसंबर 2020 में 350 प्रकरणों का लक्ष्य दिया गया है, जिसमें से शाखा में केवल 40 आवेदक पहुंचे थे, जिनकी सभी खानापूर्ति के उपरांत 27 आवेदकों को ऋण वितरण कर दिया गया है। शेष में प्रक्रिया जारी है।
सिंह ने बताया कि ऋण प्रस्तावों की स्वीकृति के बावजूद सोमवार को बेगमगंज नगर पालिका के सफाई कर्मियों ने मुख्य नगरपालिका अधिकारी धीरज शर्मा के निर्देशों पर बैंकों पर दबाव बनाने के लिए कचरा फेंक दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने कचरा फेंके जाने के बाद कलेक्टर से शिकायत की। बाद में कचरा हटा दिया गया।’’
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के शाखा प्रबंधक चंद्र प्रकाश वर्मा ने बताया कि पूर्व में बैंक ने 205 मामलों को स्वीकृत कर कर्ज का वितरण कर दिया है। पुनः 27 जनवरी 2021 को एक पत्र के माध्यम से 123 प्रकरण तत्काल स्वीकृत करने के लिए कहा गया है। इसके साथ ही 500 अन्य प्रकरण भी स्वीकृत कराना चाहते हैं, लेकिन आवेदकों के आने के बाद सभी खानापूर्ति के उपरांत ही ऋण वितरण किया जाएगा ।
उन्होंने कहा, ‘‘कचरा न केवल बैंक के प्रवेश द्वार पर ही पटका गया, बल्कि शाखा के अंदर भी फेंका गया।’’
वर्मा ने आरोप लगाया कि मुख्य नगरपालिका अधिकारी शर्मा लोन के मामलों को लेकर नाराज थे और उन्होंने ही कथित रूप से कचरा फेंकने का निर्देश दिया था।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने कलेक्टर से शिकायत की और उसके बाद कचरा हटाया गया।
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