मुंबई पुलिस अधिकारी सचिन वाजे को 25 मार्च तक एनआईए की हिरासत में भेजा गया

By भाषा | Updated: March 14, 2021 21:51 IST2021-03-14T21:51:31+5:302021-03-14T21:51:31+5:30

Mumbai Police officer Sachin Waje sent to NIA custody till 25 March | मुंबई पुलिस अधिकारी सचिन वाजे को 25 मार्च तक एनआईए की हिरासत में भेजा गया

मुंबई पुलिस अधिकारी सचिन वाजे को 25 मार्च तक एनआईए की हिरासत में भेजा गया

मुंबई, 14 मार्च मुंबई की एक अदालत ने उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक से भरी एक कार पाए जाने की जांच के सिलसिले में गिरफ्तार पुलिस अधिकारी सचिन वाजे को रविवार को 25 मार्च तक के लिये राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की हिरासत में भेज दिया।

एक अधिकारी ने बताया कि एनआईए ने वाजे को शनिवार की रात को गिरफ्तार किया था। एनआईए वाजे को एक स्थानीय अस्पताल में चिकित्सकीय जांच कराने के बाद दक्षिण मुंबई स्थित एक अदालत लायी।

अधिकारी ने बताया कि अदालत ने वाजे को मामले की आगे की जांच के लिए केंद्रीय एजेंसी की हिरासत में सौंप दिया।

एनआईए ने वाजे की 14 दिनों की हिरासत का अनुरोध करते हुए अदालत को बताया कि उसे उस एसयूवी में जिलेटिन की छड़ें रखने में वाजे की भूमिका के बारे में कुछ सुराग मिले हैं, जो 25 फरवरी को अंबानी के बहुमंजिला निवास 'एंटीलिया' के पास खड़ी मिली थी। एजेंसी ने अदालत को यह भी बताया कि जब वाजे से इसके बारे में पूछताछ की गई, तो उन्होंने अपनी संलिप्तता स्वीकार की।

जांच एजेंसी ने कहा कि तब वाजे को गिरफ्तार कर लिया गया।

अधिकारी ने बताया कि वाजे को भारतीय दंड संहिता की धारा 286, 465, 473, 506 (2), 120बी और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया है।

एनआईए ने वाजे की हिरासत के अनुरोध से संबंधित अपनी अर्जी में इस मामले में वाजे की भूमिका को दर्शाने के लिये गवाहों के बयानों को भी पेश किया।

एजेंसी ने अदालत से कहा कि षड़यंत्र को सामने लाने और सबूत जुटाने के लिये वाजे को हिरासत में लिया जाना जरूरी है।

वाजे के अधिवक्ता सुदीप पासबोला ने हालांकि 'पीटीआई-भाषा' से कहा कि गिरफ्तारी केवल संदेह के आधार पर की गई है और उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है।

पासबोला ने कहा, ‘‘'अदालत ने वाजे को 25 मार्च तक हिरासत में भेज दिया है लेकिन मामले की सुनवाई सोमवार को भी जारी रहेगी। अदालत ने एनआईए से वे सबूत पेश करने के लिये कहा है, जो उसने जुटाए हैं। साथ ही उसने जांच की प्रगति के बारे में भी पूछा।''

बचाव पक्ष के एक अन्य वकील सनी पुनमिया ने अदालत में कहा कि वाजे की गिरफ्तारी ‘‘पूरी तरह से अवैध’’ है।

उन्होंने कहा, ‘‘अदालत के सामने रखा गया तर्क यह था कि आरोपी को केवल संदेह के आधार पर गिरफ्तार किया गया है और प्राथमिकी में कोई भी प्रथम दृष्टया मामला स्थापित नहीं हुआ है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, यदि किसी आरोपी के खिलाफ प्राथमिकी पढ़ने से प्रथम दृष्टया आरोप स्थापित नहीं होता तो आरोपी की हिरासत और गिरफ्तारी स्वयं पूरी तरह से अवैध है तथा यहां तक कि आरोपी की एक दिन की हिरासत भी उसके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।’’

वकील ने यह भी कहा कि वाजे की गिरफ्तारी इसलिए भी अवैध है क्योंकि आरोपी को गिरफ्तारी के आधार की जानकारी नहीं दी गई और उसे कानूनी मदद लेने और अपनी पसंद के किसी रिश्तेदार को कॉल करने का विकल्प नहीं दिया गया।

उन्होंने कहा कि इन आधारों पर उनसे हिरासत में पूछताछ वांछित नहीं है, यह मनमाना है और आरोपी को जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए क्योंकि जांच कानून के तय सिद्धांतों पर नहीं की गई है।

वाजे को दक्षिण मुंबई के कंबाला हिल स्थित एनआईए के कार्यालय में शनिवार पूर्वाह्न साढ़े 11 बजे अपना बयान दर्ज कराने के लिये तलब किया गया था।

प्रवक्ता ने कहा कि एनआईए के अधिकारियों ने करीब 12 घंटे की पूछताछ के बाद वाजे को भारतीय दंड संहिता और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धाराओं के तहत गिरफ्तार किया।

कार के मालिक बताए गए, ठाणे में रहने वाले कारोबारी मनसुख हिरन की रहस्यमय मौत के बाद मामले की जांच एनआईए को सौंप दी थी।

गौरतलब है कि उद्योगपति मुकेश अंबानी के दक्षिण मुंबई स्थित आवास के पास 25 फरवरी को विस्फोटक और धमकी भरे पत्र के साथ स्कॉर्पियो एसयूवी कार मिली थी।

हिरन ने दावा किया था कि कार उनकी है लेकिन घटना से एक हफ्ते पहले वह चोरी हो गई थी। इस मामले में उस समय पेंच आया जब हिरन पांच मार्च को ठाणे में एक नदी के किनारे मृत पाए गए।

हिरन की पत्नी ने दावा किया कि उनके पति ने एसयूवी पिछले साल नवंबर में वाजे को दी थी और उन्होंने फरवरी के पहले हफ्ते में यह कार लौटाई थी। हालांकि, वाजे ने एटीएस द्वारा पूछताछ के दौरान उस एसयूवी का इस्तेमाल करने से इनकार किया था।

वाजे ने 63 कथित अपराधियों का एनकाउंटर किया था। वह राज्य काडर के 1990 बैच के अधिकारी हैं। उन्हें 2002 के घाटकोपर विस्फोट मामले के संदिग्ध ख्वाजा यूनुस की हिरासत में मौत मामले में उनकी भूमिका के लिए 2004 में निलंबित कर दिया गया था। वाजे को पिछले वर्ष सेवा में बहाल कर दिया गया था।

वाजे ने उस टीम का नेतृत्व किया था, जिसने पत्रकार अरनब गोस्वामी को आत्महत्या के लिए उकसाने के एक मामले में पिछले वर्ष नवम्बर में गिरफ्तार किया था। वाजे अपनी निलंबन अवधि में शिवसेना में शामिल हो गए थे।

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने हाल में कहा था कि वाजे 2008 तक शिवसेना के सदस्य रहे थे।

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