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दिल्ली हाईकोर्ट में केंद्र ने कहा- संरक्षित स्मारक है कुतुबमीनार परिसर में मौजूद मुगल मस्जिद, नमाज पढ़ने का विरोध किया

By शिवेंद्र राय | Updated: July 26, 2022 13:52 IST

कुतुबमीनार परिसर के अंदर मौजूद मुगल मस्जिद में नमाज पढ़ने मांग को लेकर केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा है कि यह मस्जिद एक संरक्षित स्मारक है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने मुगल मस्जिद में नमाज पढ़ने पर प्रतिबंध लगाया था जिसके विरोध में दायर की गई याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के वकील ने ये बात कही।

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ठळक मुद्देकेंद्र सरकार के वकील ने कहा कि मुगल मस्जिद संरक्षित हैमुगल मस्जिद में नमाज पढ़ने की मांग का केंद्र ने विरोध किया13 मई को एएसआई ने मुगल मस्जिद में नमाज पढ़ने पर प्रतिबंध लगा दिया था

नई दिल्ली: कुतुबमीनार परिसर के अंदर मौजूद मुगल मस्जिद में नमाज पढ़ने मांग को लेकर केंद्र सरकार ने कहा है कि यह एक संरक्षित स्मारक है और यहां नमाज नहीं पढ़ी जा सकती। इस मामले में  25 जुलाई, सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सरकार के वकील कीर्तिमान सिंह ने कहा कि ये मस्जिद संरक्षित स्मारक है और अभी ये मामला साकेत कोर्ट में चल रहा है। 

क्या है मामला

बीते 13 मई को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने मुगल मस्जिद में नमाज पढ़ने पर प्रतिबंध लगा दिया था। दिल्ली हाईकोर्ट में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के फैसले को चुनौती दी गई थी। याचिका पर सुनवाई कर रहे जस्टिस मनोज कुमार ओहरी को केंद्र सरकार वकील की तरफ से बताया गया कि मुगल मस्जिद संरक्षित है और साकेत जिला कोर्ट में इस मुद्दे से संबंधित मामला लंबित है। केंद्र सरकार की तरफ वकील कीर्तिमान सिंह ने जवाब दाखिल करने के लिए अदालत से समय मांगा। इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई 12 सितंबर के लिए टाल दी है।

इससे पहले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के मस्जिद में नमाज प्रतिबंधित करने के फैसले पर दिल्ली वक्फ बोर्ड के वकील एम सुफियान सिद्दीकी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुफियान सिद्दीकी ने दिल्ली हाईकोर्ट में इस मामले पर कहा कि साकेत कोर्ट में जिस मस्जिद को लेकर केस चल रहा है वह कुतुब परिसर में ही स्थित एक दूसरी मस्जिद  'कुवत उल इस्लाम मस्जिद' को लेकर है।  याचिकाकर्ता सुफियान सिद्दीकी ने कहा था कि मुगल मस्जिद एक राजपत्रित वक्फ संपत्ति है और इसमें विधिवत इमाम और मोअज्जिन नियुक्त है।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के फैसले को  एकतरफा, गैरकानूनी और मनमाना फैसला फैसला बताते हुए याचिकाकर्ता ने अदालत में कहा कि मुगल मस्जिद संरक्षित स्मारकों की लिस्ट में शामिल नहीं है। अपने फैसले को लेकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग का कहना है कि मुगल मस्जिद के बारे में कोई अधिकारिक प्रमाण नहीं मिले हैं। एएसआई के अधिकारियों ने कहा कि उनकी तरफ से इस मस्जिद में कभी नमाज की अनुमति नहीं दी गई है। मामले की अगली 12 सितंबर को होगी।

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