झारखंड: मदर टेरेसा चैरिटी संस्था बनी बच्चों के सौदेबाजी का अड्डा, तीन साल में 280 मासूम गायब

By एस पी सिन्हा | Updated: July 7, 2018 17:04 IST2018-07-07T17:04:45+5:302018-07-07T17:04:45+5:30

मदर टेरेसा ने बहुत मेहनत से मिशनरीज ऑफ चैरिटी संस्था बनाई थी और उन्हें संत का दर्जा मिला। समाज के सबसे पिछड़े और ऐसे लोगों के लिए इस संस्था की स्थापना हुई थी, जिसका दुनिया में अपना कोई नहीं।

Mother Teresa charity home ranchi sold child in Jharkhand | झारखंड: मदर टेरेसा चैरिटी संस्था बनी बच्चों के सौदेबाजी का अड्डा, तीन साल में 280 मासूम गायब

झारखंड: मदर टेरेसा चैरिटी संस्था बनी बच्चों के सौदेबाजी का अड्डा, तीन साल में 280 मासूम गायब

रांची,7 जुलाई: मदर टेरेसा ने बहुत मेहनत से मिशनरीज ऑफ चैरिटी संस्था बनाई थी और उन्हें संत का दर्जा मिला। समाज के सबसे पिछड़े और ऐसे लोगों के लिए इस संस्था की स्थापना हुई थी, जिसका दुनिया में अपना कोई नहीं। इसके लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार मिला। लेकिन, झारखंड की राजधानी रांची स्थित इस संस्था की संचालिका ने उनकी वर्षों की तपस्या को मिट्टी में मिला दिया। मिशनरीज ऑफ चैरिटी की यह शाखा आज बच्चों की खरीद-फरोख्त के बड़े केंद्र के रूप में बदनाम हो गई है।  एक नवजात की बिक्री का खुलासा होने के बाद नित नए खुलासे हो रहे हैं।

अब ऐसे-ऐसे तथ्य सामने आ रहे हैं जिसकी वजह से संस्था की गतिविधियों पर शक गहराता जा रहा है। पता चला है कि इस संस्था की मदद से जिन बच्चों का जन्म हुआ उसमें से 280 का कोई अता-पता नहीं है। बताया गया है कि वर्ष 2015 से 2018 के बीच यहां करीब 450 गर्भवती महिलाएं थीं। इनमें से सिर्फ 170 की डिलीवरी रिपोर्ट ही उपलब्ध है। जबकि 280 के बारे में कोई जानकारी नहीं है। इसलिए आशंका गहरा रही है कि मिशनरीज ऑफ चैरिटी की आड़ में वर्षों से यहां नवजात का सौदा हो रहा है। इस मामले में खुफिया विभाग पहले भी सरकार को रिपोर्ट देता रहा है। जनवरी, 2016 में मिशनरीज ऑफ चैरिटी की निर्मल हृदय, रांची में 108 गर्भवती महिलाएं थीं।

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बाद में बाल कल्याण समिति ने जांच में पाया कि इनमें से 10 बच्चों का ही जन्म दिखाया गया। 98 के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई। सूत्रों के अनुसार मिशनरीज ऑफ चैरिटी ने झारखंड के नवजातों को अवैध तरीके से कोलकाता, केरल, तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश की मिशनरीज की संस्थाओं में फादर, सिस्टर और नन बनाने के लिए भेजा है। अब इसी संस्था द्वारा नवजात शिशुओं को बेचे जाने की खबर सामने आने के बाद पूरे प्रदेश में पुलिस कारगर कार्रवाई की तैयारी कर रही है। 

मिशनरीज ऑफ चैरिटी में बच्चों के खरीद-फरोख्त के मामले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ रही है, नए-नए खुलासे हो रहे हैं। जिला प्रशासन की जांच में अब यह बात सामने आई है कि मिशनरीज ऑफ चैरिटी संस्था में वर्ष 2017 में कुल 26 बच्चों का जन्म हुआ था।

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इनमें से दो की मौत हो गई, जबकि 24 बच्चे ट्रेसलेस हैं। इसके बारे में चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) को भी कोई जानकारी नहीं है। जबकि आरोपों से घिरी संस्था के जवाबदेह पदाधिकारी भी मुंह नहीं खोल रहे हैं। इन 24 बच्चों के संबंध में संस्था के रजिस्टर में भी किसी तरह की जानकारी दर्ज नहीं है. ऐसे में संस्था के साथ-साथ सीडब्ल्यूसी भी घेरे में है. जांच से जुडे अधिकारी बताते हैं कि मिशनरीज ऑफ चैरिटी में नवजात का लेखा-जोखा रखने के लिए एक नहीं बल्कि दो रजिस्टर बनाये जाते थे। एक रजिस्टर वह, जो जांच के दौरान चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को दिखाया जाता था।  दूसरा रजिस्टर वह था जिसमें सभी नवजात के संबंध में पूरी जानकारी लिखी जाती थी। लेकिन इसको संस्था के कर्ताधर्ता ही देख पाते थे। अभी तक यह रजिस्टर जांच एजेंसी को नहीं मिला है।

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Web Title: Mother Teresa charity home ranchi sold child in Jharkhand

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