मूडीज ने पानी की समस्या को लेकर किया आगाह, भारत के आर्थिक मोर्चे पर गहरा रहा है संकट
By आकाश चौरसिया | Updated: June 25, 2024 13:13 IST2024-06-25T12:48:58+5:302024-06-25T13:13:47+5:30
मूडीज ने दिल्ली और बेंगलुरु में आए दिन पानी की समस्या को लेकर चेताया है। इसके साथ कहा कि भारत आर्थिक मोर्चे पर बड़ा प्रहार है, क्योंकि इसकी मांग ऑफिस या घरों तक सीमित नहीं, बल्कि संयंत्रों में भी जरूरत होती है, इसलिए ये रास्ता अपनाना आवश्यक है।

फोटो क्रेडिट- (एक्स)
नई दिल्ली: दिल्ली और बेंगलुरु में लगातार हो रही पानी की कमी को लेकर लंबी-लंबी कतारों का लगने से भारत पर आर्थिक मोर्चे पर खतरा गहराता जा रहा है। इसके साथ ही आर्थिक मोर्चे पर रेटिंग्स देने वाली एजेंसी मूडीज ने कहा कि यह भारत की क्रेडिट स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक साबित हो सकता है। मूडीज रेटिंग्स ने एक रिपोर्ट में कहा कि तेजी से आर्थिक विकास और लगातार प्राकृतिक आपदाओं के बीच खपत के कारण पानी की बढ़ती कमी भारत के विकास में अस्थिरता उत्पन्न करने वाली है।
लाखों भारतीय गर्मी में पानी से जुड़ी समस्या का सामना करते हैं, दूसरी तरफ खेती, ऑफिस और घरों में सीमित पानी की सप्लाई की जा रही है। लेकिन, इस साल गर्मी की वजह से हीटवेव का असर बहुत बुरा रहा, जिसका असर देश के कोने-कोने में देखने को मिला।
भारत की औसत पानी की क्षमता 2031 तक प्रति व्यक्ति 1,367 क्यूबिक मीटर गिर सकती है, जिसमें 2021 तक 1,486 क्यूबिक मीटर की गिरावट आ चुकी है। इस बात की जानकारी जल मंत्रालय के अनुसार सामने आई है। मंत्रालय के अनुसार, 1,700 क्यूबिक मीटर से नीचे का स्तर पानी की कमी का संकेत देता है, जबकि 1,000 क्यूबिक मीटर पानी की कमी की सीमा को इंगित करता है।
कैसे समस्या कम हो सकती है भारत में- मूडीज
नोट में कहा गया है कि पानी की ये कमी क्रेडिट स्वास्थ्य के साथ-साथ उन क्षेत्रों के लिए हानिकारक है जो पानी की भारी खपत करते हैं, जैसे कोयला बिजली जनरेटर और इस्पात निर्माता। मूडीज के नोट में कहा गया है कि लंबी अवधि में, जल प्रबंधन में निवेश संभावित पानी की कमी से होने वाले जोखिमों को कम कर सकता है।
G-20 देशों से तेज रहेगी भारत की अर्थव्यव्सथा
मूडीज ने इस बात को बताया कि भारत पानी का बड़ा उपभोक्ता वाला देश है, जिसकी आर्थिक क्षमता काफी ज्यादा है और बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है, जैसे-जैसे इस देश की जनसंख्या में बढ़ोतरी है। एजेंसी ने इस बात की उम्मीद जताई है कि 2024 तक भारत की अर्थव्यवस्था 6.5 फीसदी तक बढ़ोतरी करेगी, जो की जी-20 देशों से ज्यादा और तेज रहने वाली है।