नागरिकता कानून को लेकर फैलाए जा रहे फेक न्यूज पर गृहमंत्रालय ने लिया एक्शन, सभी राज्यों को भेजा एडवाइजरी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 17, 2019 07:57 AM2019-12-17T07:57:17+5:302019-12-17T07:57:17+5:30
दिल्ली में, गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि सोशल मीडिया द्वारा दिल्ली पुलिस के खिलाफ जो अफवाह फैलाई जा रही है, मंत्रालय उसपर भी ध्यान दे रही है। अधिकारी ने बताया कि पुलिस पर बस जलाने के आरोप के साथ ही यह भी अफवाह फैलाने की कोशिश की गई है कि रविवार को दिल्ली में पुलिस की गोलीबारी में दो लोग मारे गए थे।
‘मॉनिटर फेक न्यूज’: नागरिकता अधिनियम के विरोध के बीच राज्यों को सलाह के लिए MHA जारी करता हैनागरिकता (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ इन दिनों देश भर में विरोध जारी है। इसी बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सोमवार को राज्य सरकारों के लिए एक एडवाइजरी जारी की, जिसमें उन्हें फर्जी समाचारों और सोशल मीडिया पर भेजे जा रहे मैसेज आदि को बारीकी से ट्रैक करने के लिए कहा गया है। जिससे की हिंसा भड़काने की कोशिश कर रहे लोगों को सफलता नहीं मिले।
राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) से कानून और व्यवस्था, शांति और सार्वजनिक शांति बनाए रखने के लिए आवश्यक सावधानी बरतने का अनुरोध किया गया है।
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि हिंसा भड़काने की क्षमता रखने वाले सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे फर्जी खबरों और अफवाहों के खिलाफ कार्रवाई करने का भी अनुरोध सभी राज्यों की पुलिस से किया गया है।
एचटी खबर के मुताबिक,मंत्रालय ने अपनी सलाह में राज्यों से कहा, "देश के कुछ हिस्सों से हिंसा और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान होने की घटनाओं के मद्देनजर, यह जरूरी है कि हिंसा को रोकने के लिए सभी आवश्यक उपाय किए जाएं, जिससे नागरिकों की जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित हो और संपत्ति की क्षति को रोका जा सके।"
दिल्ली में, गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि दिल्ली पुलिस पर बस जलाने के आरोप लगाने के साथ ही दो लोगों की पुलिस की गोलीबारी में हुई मौत की अफवाह सोशल मीडिया पर फैलाने वालों पर ध्यान दिया गया है।
जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय के शीर्ष अधिकारी, ने यह जरूर बताया कि रविवार को प्रदर्शनकारी छात्रों के साथ पुलिस की झड़प हुई। लेकिन, दिल्ली पुलिस कार्रवाई के कारण किसी भी मौत की अफवाहों से यूनिवर्सिटी ने इनकार किया।
मंत्रालय ने इस बात पर भी जोर दिया कि नए कानून के तहत बड़ी संख्या में लोगों को भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के बारे में गलत जानकारी फैलाई गई क्योंकि केंद्र अभी नियमों को अंतिम रूप नहीं दे रहा है।
गृह मंत्रालय के एख दूसरे अधिकारी ने कहा, “नए अधिनियम का मतलब यह नहीं है कि सभी शरणार्थियों या अवैध आप्रवासियों को स्वचालित रूप से भारतीय नागरिकता मिल जाएगी। उन्हें नागरिकता के लिए आवेदन करना होगा जो सक्षम प्राधिकारी द्वारा जांचा जाएगा। आवश्यक मानदंडों को पूरा करने के बाद ही संबंधित आवेदक को भारतीय नागरिकता दी जाएगी। उसे ऑनलाइन आवेदन करना होगा और सक्षम अधिकारी यह देखेगा कि क्या वह भारतीय नागरिक के रूप में पंजीकरण के लिए सभी मापदंडों को पूरा करता है।”
इसके अलावा अधिकारी ने ये भी बताया कि इस अभ्यास के पूरा होने के बाद ही यह स्थापित किया जा सकता है कि कितने लोगों को नागरिकता मिलेगी।
गृह मंत्री अमित शाह ने झारखंड में एक सार्वजनिक रैली में कहा, “CAA धर्म के आधार पर दूसरे देशों से निकाले गए शरणार्थियों को नागरिकता देगा। यह कानून किसी भारतीय की नागरिकता को नहीं छीनेगा। कुछ दल अफवाहें फैला रहे हैं और अपने राजनीतिक हित के लिए हिंसा भड़का रहे हैं। मैं छात्रों से अनुरोध करता हूं कि वे एक बार सीएए को पढ़ें और वो राजनेताओं के जाल में न पड़ें। ”
गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने यह भी जोर देते हुए कहा कि पिछले छह वर्षों के दौरान 2,830 पाकिस्तानी, 912 अफगान और 172 बांग्लादेशी नागरिकों को भारतीय नागरिकता दी गई है, जिनमें से कई इन तीन इस्लामी देशों के बहुसंख्यक मुस्लिम समुदाय से भी हैं।
मंत्रालय के एक दूसरे अधिकारी ने कहा कि सीएए संविधान की छठी अनुसूची के तहत और इनर लाइन परमिट प्रणाली द्वारा कवर किए गए क्षेत्रों को छोड़कर उत्तर-पूर्व के आदिवासियों और स्वदेशी लोगों के हितों की रक्षा करता है।
वरिष्ठ अधिवक्ता उपमन्यु हजारिका ने भी कहा कि नियमों को मूल अधिनियम से दूर कर नहीं देखा जा सकता है। उन्होंने कहा, “यह मान लेना निरर्थक है कि नियम इस क्षेत्र की मदद कर सकते हैं, क्योंकि यह मूल अधिनियम में निहित एक अधीनस्थ कानून है। यह कानून तीनों पड़ोसी देशों (पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश) से आने वाले छह समुदायों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई के रूप में) को नागरिकता देने की है।"