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मोदी सरकार का दावा, पिछले तीन सालों में श्रमिकों की 98 प्रतिशत मांगों को किया पूरा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 27, 2019 19:02 IST

आठ जनवरी से देशव्यापी हड़ताल की जानकारी होने और श्रमिकों की मांगों पर विचार करने से जुड़े सवाल के जवाब में गंगवार ने कहा कि मंत्रालय को इस हड़ताल के बारे में कोई नोटिस नहीं मिला है। अन्य माध्यमों से मिली जानकारी के आधार पर मंत्रालय गंभीरता से कार्रवाई कर रहा है।

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ठळक मुद्देमंत्रालय को श्रमिकों की जितनी भी मांगे मिली उनमें 95 से 98 प्रतिशत का समाधान कर हड़ताल नहीं होने दी। गंगवार ने कहा कि मंत्रालय को इस हड़ताल के बारे में कोई नोटिस नहीं मिला है।

सरकार ने अगले साल आठ जनवरी से विभिन्न श्रम संगठनों द्वारा देशव्यापी हड़ताल आयोजित करने की औपचारिक सूचना मिलने से इंकार करते हुये कहा है कि सरकार श्रमिकों और श्रम संगठनों की मांगों पर गंभीरता से विचार करती है और 98 प्रतिशत मांगों का समाधान कराया है।

श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने बुधवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान एक सवाल के जवाब में बताया कि पिछले तीन सालों में मंत्रालय को श्रमिकों की जितनी भी मांगे मिली उनमें 95 से 98 प्रतिशत का समाधान कर हड़ताल नहीं होने दी।

आठ जनवरी से देशव्यापी हड़ताल की जानकारी होने और श्रमिकों की मांगों पर विचार करने से जुड़े सवाल के जवाब में गंगवार ने कहा कि मंत्रालय को इस हड़ताल के बारे में कोई नोटिस नहीं मिला है। अन्य माध्यमों से मिली जानकारी के आधार पर मंत्रालय गंभीरता से कार्रवाई कर रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं इतना ही कह सकता हूं कि पिछले तीन सालों में श्रमिकों की जितनी भी शिकायतें मिली हैं उनमें से 95 से 98 प्रतिशत का समाधान कर श्रमिको को हड़ताल पर जाने का मौका नहीं दिया गया है।’’ कामगारों और उद्योग जगत के बीच सामंजस्य कायम करने के सबसे बड़े फोरम के रूप में अंतरराष्ट्रीय श्रम सम्मेलन का आयोजन नहीं होने के पूरक प्रश्न के जवाब में गंगवार ने कहा, ‘‘आईएलसी की बैठक जल्द ही आहूत की जा रही है।’’

दूसरे राज्यों में जाकर काम करने वाले श्रमिकों को जीवन यापन की मूलभूत सुविधायें नहीं मिल पाने की वजह कानून की अपर्याप्त शक्तियों से जुड़े एक अन्य सवाल के जवाब में गंगवार ने कहा कि देश में कुल श्रमिकों में लगभग 10 करोड़ (20 प्रतिशत) प्रवासी मजदूर हैं।

उन्होंने कहा कि अंतरराज्यीय प्रवासी कामगार (नियोजन एवं सेवा की शर्तों का विनियमन) अधिनियम 1979 में बदलते दौर की परिस्थितियों के मुताबिक बदलाव की जानकारी देते हुये बताया कि सरकार ने 44 श्रम कानूनों को चार संहिता में बदलने की पहल की है।

इनमें प्रवासी कामगारों के अधिकारों और सुविधाओं के प्रावधान किये जायेंगे। अदालती आदेशों और अन्य आपात स्थितियों के कारण विकास परियोजनाओं का काम रुकने पर मजदूरों की रोजमर्रा की आजीविका प्रभावित होने बचाने से जुड़े पूरक प्रश्न के जवाब में गंगवार ने कहा कि अचानक कामबंदी के कारण श्रमिकों का जीवन यापन प्रभावित न हो, इसके लिये सरकार श्रम कानूनों में बदलाव कर हड़ताल का 14 पूर्व नोटिस देने जैसे प्रावधान शामिल करेगी। अभी हड़ताल से एक दिन पहले नोटिस देने का प्रावधान है।

उन्होंने कहा कि मौजूदा व्यवस्था में आपात स्थिति में अचानक मजदूरी बंद होने पर कामगारों केा एक महीने की मजदूरी के भुगतान किया जाता है। मुद्रा योजना के तहत छोटे और मझोले कारोबारियों को मिली सहायतासे जुड़े एक सवाल के जवाब में गंगवार ने बताया कि इस योजना में लक्ष्य से ज्यादा लोगों को ऋण मुहैया कराया गया है।

इनमें महिलाओं और अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों को पर्याप्त संख्या में शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि मुद्रा योजना में अब तक 10 लाख लोगों को 10 लाख करोड़ रुपये का ऋण 21 करोड़ बैंक खातों में दिया गया है। इनमें से 60 प्रतिशत बैंक खाते महिला उद्यमियों के हैं। 

टॅग्स :संसद शीतकालीन सत्रसंतोष कुमार गंगवारभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)
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