एम जे अकबर ने साफ-सुथरी छवि के साथ अदालत का रुख नहीं किया: ‘मीटू’ मामले में रमानी ने लगाया आरोप
By भाषा | Updated: December 18, 2020 18:50 IST2020-12-18T18:50:06+5:302020-12-18T18:50:06+5:30

एम जे अकबर ने साफ-सुथरी छवि के साथ अदालत का रुख नहीं किया: ‘मीटू’ मामले में रमानी ने लगाया आरोप
नयी दिल्ली, 18 दिसंबर पत्रकार प्रिया रमानी ने शुक्रवार को दिल्ली की एक अदालत में आरोप लगाया कि पूर्व केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर ने उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि की अपनी शिकायत में साफ-सुथरी छवि के साथ अदालत का रुख नहीं किया।
अकबर द्वारा रमानी के खिलाफ दायर शिकायत की सुनवाई के दौरान रमानी की वकील रेबेका जॉन ने अपनी मुवक्किल की ओर से अंतिम दलील पूरी करते हुए यह कहा।
पूर्व केंद्रीय मंत्री अकबर ने यौन उत्पीड़न का उन पर आरोप लगाए जाने को लेकर रमानी के खिलाफ कथित आपराधिक मानहानि की यह शिकायत दायर की थी।
रमानी के मुताबिक यह कथित घटना 20 साल पहले की है।
रमानी की वकील ने कहा कि अकबर के खिलाफ उनकी मुवक्किल के आरोप, जो 2018 में सोशल मीडिया पर चली ‘मीटू’ मुहिम के मद्देनजर लगाए गऐ थे, उनकी सच्चाई हैं और यह लोगों के भले के लिए लगाए गए।
उन्होंने अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार के समक्ष कहा, ‘‘एक व्यक्ति जो कि एक वरिष्ठ संपादक थे और उस वक्त मंत्री थे, क्या यह कहने का उनका कोई दायित्व नहीं था कि उनके खिलाफ अन्य आरोप भी हैं, और प्रिया रमानी के साथ हुई घटना कोई अलग-थलग घटना नहीं है...। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि रमानी के अलावा किसी अन्य ने अकबर के खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाए थे। तब तक गजाला वहाब ने अपने अनुभव के बारे में लिख दिया था। ट्विटर पर 15 महिलाओं ने बोला था। ’’ उन्होंने कहा कि ये महिलाएं एक-दूसरे को जानती तक नहीं थी।
वहीं, अकबर ने अपने खिलाफ ‘मीटू’ मुहिम के दौरान यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिलाओं के आरोपों से इनकार किया है।
उल्लेखनीय है कि अकबर के कथित यौन उत्पीड़न का जिक्र करने करने के लिए 20 से अधिक महिलाएं आगे आई थी, जिन्होंने उनके तहत पत्रकार के तौर पर काम किया था।
हालांकि, अकबर ने इन आरोपों को झूठा, मनगढ़ंत और अत्यधिक परेशान करने वाला बताया था। उन्होंने कहा था कि वह इन लोगों के खिलाफ उपयुक्त कानूनी कार्रवाई कर रहे हैं।
रमानी की वकील ने कहा, ‘‘अन्य महिलाओं के आरोपों का जिक्र करने में श्रीमान अकबर के नाकाम रहे और यह मान लिया गया कि सिर्फ रमानी के बयान से उनकी मानहानि हुई...अकबर ने साफ-सुथरी छवि के साथ अदालत का रुख नहीं किया...। ’’
उन्होंने कहा कि रमानी कोई पहली महिला नहीं थी, जिन्होंने अकबर के खिलाफ ट्वीट किया था।
उन्होंने कहा, ‘‘कई महिलाओं ने ट्वीट किए थे। गजाला वहाब ने दो दिन पहले ट्वीट किया था। शुनाली खुल्लर श्रॉफ और प्रेरणा सिंह बिंद्रा ने उनसे पहले ट्वीट किया था। ’’
रेबेका ने कहा, ‘‘रमानी की ओर से कोई पूर्व नियोजित साजिश नहीं की गई थी, ना ही अन्य महिला ने ऐसा किया था। इनमें से ज्यादातर महिलाएं एक दूसरे को जानती तक नहीं थी। ’’
उन्होंने कहा कि जिन महिलाओं ने आरोप लगाए थे वे उच्च मानदंडों वाली प्रोफेशनल्स हैं एवं प्रतिष्ठित लोग हैं और ऐसा कुछ नहीं है जो उन्हें झूठा ठहराता हो या उनके दुर्भावनापूर्ण मकसद को बयां करता हो।
रेबेका ने कहा, ‘‘कुछ महिलाओं की कहानी प्रिया रमानी से भी बदतर है। रमानी को चुनिंदा तरीके से क्यों निशाना बनाया गया? यह शिकायतकर्ता की विश्वसनीयता पर संदेह पैदा कराता है। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘पाक-साफ होने का पूरा दायित्व मुझ (रमानी) पर डाला गया। क्या शिकायतकर्ता की यही जिम्मेदारी नहीं है? उन्हें कहना चाहिए था कि अन्य महिलाओं ने जो आरोप लगाए हैं, वे भी झूठ हैं।’’
उन्होंने यह भी कहा कि अकबर को इस बात का अवश्य खुलासा करना चाहिए था कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन्हें अदालत की अवमानना के एक मामले में दोषी ठहराया था।
उन्होंने रमानी को बरी करने की अदालत से गुजारिश करते हुए आरोपी की ओर से अंतिम दलील संपन्न की।
अदालत 22 दिसंबर को आगे की सुनवाई करेगा।
अकबर ने 15 अक्टूबर 2018 को रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि की शिकायत दायर की थी। उन्होंने 17 अक्टूबर 2018 को केंद्रीय मंत्री के तौर पर इस्तीफा दे दिया था।
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