नयी दिल्ली, 13 जनवरी सरकार ने बुधवार को कहा कि प्रदर्शनकारी किसान संगठनों को उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित चार सदस्यीय समिति की कार्यवाही में भाग लेना चाहिए।
इस बीच, सरकार और किसान संगठनों के बीच 15 जनवरी को होने वाली नए दौर की बातचीत को लेकर भी अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है।
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि फिलहाल बैठक होना तय है और आगे दोनों पक्ष तय करेंगे कि बातचीत करनी है या नहीं करनी है।
लोहड़ी के मौके पर किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान कृषि कानूनों की प्रतियां जलाए जाने के बारे में पूछे जाने पर मंत्री ने कहा, ‘‘मैं किसानों से आग्रह करना चाहता हूं कि कानूनों की प्रतियां जलाने से कुछ नहीं होने जा रहा है। उन्हें अपना पक्ष अदालत द्वारा गठित निष्पक्ष समिति के समक्ष रखना चाहिए।’’
उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या आपको नहीं लगता कि कानूनों की प्रतियां जलाना उस संसद का अपमान है जिसने इन कानूनों को पारित किया है?’’
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने तीन नये कृषि कानूनों को लेकर सरकार और दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे रहे किसान संगठनों के बीच व्याप्त गतिरोध खत्म करने के इरादे से मंगलवार को इन कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगाने के साथ ही किसानों की समस्याओं पर विचार के लिये चार सदस्यीय समिति गठित कर दी।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद समिति के लिये भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिन्दर सिंह मान, शेतकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल घनवत, अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति एवं अनुसंधान संस्थान के निदेशक (दक्षिण एशिया) डॉ प्रमोद जोशी और कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी के नामों की घोषणा की।
चौधरी ने कहा कि इस समिति की ओर से सौंपी गई रिपोर्ट के आधार पर न्यायालय की ओर से फैसला किया जाएगा और यह निर्णय सभी को स्वीकार्य होगा।
मंत्री ने इस बात पर जोर दिया, ‘‘देश में करोड़ों किसान इसे देख रहे हैं। ये कानून किसानों के हित में हैं। इसके बाद भी उच्चतम न्यायालय का निर्णय आया है जो सर्वमान्य है।
दरअसल, प्रदर्शनकारी किसान संगठनों ने कहा है कि वे इस समिति के समक्ष उपस्थित नहीं होंगे क्योंकि इसके सदस्यों को सरकार समर्थक मानते हैं, हालांकि उन्होंने सरकार के साथ नए दौर की बातचीत की इच्छा जताई है।
किसान संगठनों के साथ 15 जनवरी को प्रस्तावित बातचीत के बारे में पूछे जाने पर चौधरी ने कहा, ‘‘आखिरी निर्णय इस आधार पर किया जाएगा कि किसान संगठनों के नेताओं का क्या कहना है। फिलहाल यह बैठक तय है।’’
उच्चतम न्यायालय के आदेश पर मंत्री ने कहा कि यह फैसला सरकार की इच्छा के विरूद्ध है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम नहीं चाहते थे कि संसद से पारित कानूनों पर रोक लगे। इसके बावजूद न्यायालय का फैसला सर्वमान्य है। हम न्यायालय के आदेश का स्वागत करते हैं।’’
एक सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा, ‘‘इन कानूनों का किसान नेता राकेश टिकैत ने भी समर्थन किया था। उन्होंने कहा था कि 27 साल बाद किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत की आत्मा को शांति मिली होगी और उनके सपने पूरे होने जा रहे हैं।’’
उल्लेखनीय है कि राकैश टिकैत इन कानूनों के विरोध में पिछले कई दिनों से आंदोलन कर रहे हैं।
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