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जम्मू:बदलते मौसम के कारण समय पहले ही इस साल लौटने लगे है प्रवासी पक्षी, जानकारों ने जताई चिंता

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: March 8, 2023 14:37 IST

मामले में बोलते हुए कश्मीर के वेटलैंड की जिम्मेदारी संभालने वाली वाइल्ड लाइफ वार्डन इफशान दीवान और रीजनल वाइल्ड लाइफ वार्डन रशीद नक्काश का कहना है कि कश्मीर में तेजी से मौसम बदल रहा है। यह दूसरी बार है कि गर्मी अपना रंग दिखाने लगी है जिस कारण दिन के तामपान में हुई बढ़ौतरी इन प्रवासी पक्षियों को मजबूर कर रही है कि वे जल्द से जल्द अपने घरों को लौट जाएं।

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ठळक मुद्देबदलते मौसम के कारण समय से पहले ही जम्मू कश्मीर से प्रवासी पंक्षी लौटने लगे है। ऐसे में इस तरीके से प्रवासी पंक्षियों के लौटने के पीछे कई कारण बताए जा रहे है।इन कारणों में ग्लोबल वार्मिंग को भी एक कारण बताया जा रहा है।

जम्मू: कश्मीर में इस साल सर्दियों में आए 13 लाख के करीब प्रवासी पक्षी जल्द अपने घरों को लौटने लगे हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि पिछले दो सप्ताह से कश्मीर में ग्लोबल वार्मिंग अपना असर दिखा रही है जिस कारण दिन का तापमान बहुत ज्यादा बढ़ गया है।

कश्मीर में तेजी से बदलते मौसम पर जानकारों ने जताई है चिंता

कश्मीर के वेटलैंड की जिम्मेदारी संभालने वाली वाइल्ड लाइफ वार्डन इफशान दीवान और रीजनल वाइल्ड लाइफ वार्डन रशीद नक्काश कहते थे कि कश्मीर में मौसम तेजी से बदल रहा है। यह दूसरी बार है कि गर्मी अपना रंग दिखाने लगी है जिस कारण दिन के तामपान में हुई बढ़ौतरी इन प्रवासी पक्षियों को मजबूर कर रही है कि वे जल्द से जल्द अपने घरों को लौट जाएं। हालांकि वे इसके प्रति कोई कमेंट नहीं करते थे कि मौसम में बदलाव का कारण ग्लोबल वार्मिंग है या फिर कुछ और ही कारण है।

इतना जरूर था कि वे इसके प्रति खुशी जताते थे कि इस बार 13 लाख के करीब प्रवासी पक्षी सिर्फ कश्मीर के वेटलेंडों में विचरण करते पाए गए। हालांकि उनके अनुसार, आधिकारिक गिनती के आंकड़े अभी आए नहीं हैं पर उनके अनुमान के अनुसार, यह संख्या 13 लाख के करीब ही है। वहीं पिछले साल यह आंकड़ा 11 लाख था।

इस कारण प्रवासी पंक्षी जल्दी ही लौट गए- वाइल्ड लाइफ वार्डन

वाइल्ड लाइफ वार्डन के मुताबिक, इस बार बहुत से प्रवसी परिंदों को गिनती में इसलिए शामिल नहीं किया जा सका क्योंकि तेजी से बदलते मौसम के कारण वे वापस लौट गए थे। उनका दावा था कि पिछली सर्दियों की बनिस्बत इस बार की सर्दी गर्माहट लिए हुए थी जिस कारण ये पक्षी जल्द लौटने लगे हैं। 

साल 2021 में सर्दी लंबी चली थी जिस कारण गिनती का कार्य 15 फरवरी को शुरू हुआ था पर इस बार इसे जनवरी के अंत में ही आरंभ करने के बावजूद बहुत से हजारों पक्षियों को गिना ही नहीं जा सका है।

इलाकों में निर्माण गतिविधियां के कारण पंक्षियों की संख्या में देखी गई है कमी

जानकारी के लिए कश्मीर में होकरसर, वुल्लर झील, हायगाम, मीरगुंड और शैलबुग जैसे कई ऐसे इलाके हैं जहां पर ये मेहमान पक्षी अपना डेरा डालते हैं। होकसार के वन्य जीव वार्डन गुलाम मुहम्मद का कहना था कि ये मेहमान पक्षी नवंबर से फरवरी के अंत तक चार माह की अवधि के लिए ही इन स्थानों पर ठहरते हैं। 

इसके बाद आमतौर पर ये पक्षी अपने पुराने स्थानों की ओर लौटना शुरू कर देते हैं। यहां आने वाले प्रवासी पक्षियों में ब्राह्णी बत्तख, टफड बत्तख, गड़वाल कामन पाक हार्ड, मिलार्ड, गैरेनरी, रैड करासड कामन टीट आदि शामिल हैं। लेकिन शैलबुग वेटलेंड के आसपास के इलाकों में निर्माण गतिविधियां ज्यादा होने के कारण वहां प्रवासी पक्षियों की आमद बहुत ही कम दिखी है। 

टॅग्स :जम्मू कश्मीरWildlife Conservation Department
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