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मास्क से संदेश: महामारी ने अभिव्यक्ति का माध्यम बदला, व्यक्तित्व की झलक का दर्पण बनते जा रहे हैं मास्क

By भाषा | Updated: August 3, 2020 16:36 IST

कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के कारण पब्लिक प्लेस पर होंठ भले ही मास्क के रूप में कपड़े के टुकड़े से ढक गए हों, लेकिन लोग इनके माध्यम से अपना असंतोष, खुशी, राजनीतिक झुकाव और व्यक्तगित पसंद का खुशी से इजहार कर रहे हैं।

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ठळक मुद्देकोविड-19 महामारी ने अभिव्यक्ति के माध्यम बदल दिए हैं।अब मास्क का इस्तेमाल लोग संदेश देने के लिए भी कर रहे हैं।

नई दिल्ली। कोविड-19 महामारी ने अभिव्यक्ति के माध्यम बदल दिए हैं और अब कोरोना वायरस संक्रमण से बचने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे मास्क का इस्तेमाल लोग संदेश देने के लिए भी कर रहे हैं। इस तरह मास्क अब व्यक्ति के व्यक्तित्व की झलक का दर्पण बनते जा रहे हैं। कोरोना वायरस के चलते सार्वजनिक स्थलों पर होंठ भले ही मास्क के रूप में कपड़े के टुकड़े से ढक गए हों, लेकिन लोग इनके माध्यम से अपना असंतोष, खुशी, राजनीतिक झुकाव और व्यक्तगित पसंद का खुशी से इजहार कर रहे हैं।

पीपीई किट और मास्क विनिर्माता कंपनी यूबीओएन के प्रबंध निदेशक मनदीप अरोड़ा ने कहा, ‘‘मास्क किसी के व्यक्तित्व के बारे में काफी कुछ कहते हैं, ठीक उसी तरह जिस तरह हमारे कपड़े हमारे व्यक्तित्व का परिचय देते हैं।’’ अरोड़ा ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘पशु प्रेमी ऐसे मास्क पसंद कर रहे हैं जिनपर पशुओं के चित्र छपे हों। इसके अलावा लोग अपने पालतू जानवरों के प्रति प्रेम प्रदर्शित करने के लिए मास्क पर उनकी आकृतियां उकेर रहे हैं। मास्क के जरिए संदेश का विचार युवाओं को खूब भा रहा है। बॉलीवुड के प्रशंसक ऐसे मास्क पसंद कर रहे हैं जिनपर उनके पसंदीदा संवाद लिखे हों।’’

फैशन के मुरीद लोग फैशननुमा मास्क पसंद कर रहे हैं। कपड़ों के ब्रांड ‘वियर योर ओपिनियन’ के दिवेश मेहता का कहा कहना है कि विशिष्टता प्रदर्शित करने के लिए मास्क का इस्तेमाल लोगों में इसे पहनने की रुचि बढ़ा देता है। मेहता ने पीटीआई-भाषा से मेल पर कहा, ‘‘मास्क हमारी विशिष्ट पहचान का आवश्यक अंग बन रहा है। अपनी सुरक्षा के लिए मास्क पहनना हममें से अधिकतर लोगों के लिए अब भी एक नयी बात है। डिजाइन/ग्राफिक/स्लोगन से युक्त मास्क आपकी विशिष्टता प्रदर्शित करता है।’’

इस बात को ध्यान में रखकर कि 17-35 साल आयु समूह के लोग सादा कपड़े पर प्रिंट वाले मास्क पसंद करते हैं, ‘वियर योर ओपिनियन’ कंपनी दो लाख से अधिक मास्क बेच चुकी है जिनमें से 70 प्रतिशत से अधिक प्रिंट युक्त थे। दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र अक्षय गौतम के मास्क पर वर्ष 2000 में आई कॉमेडी फिल्म ‘हेराफेरी’ का संवाद ‘‘बिलकुल 'रिक्स' नहीं लेने का’’ अंकित है। इसी तरह अनेक लोग असंतोष, खुशी, राजनीतिक झुकाव और व्यक्तगित पसंद का मास्क के जरिए खुशी से इजहार कर रहे हैं।

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