लखनऊः बसपा प्रमुख मायावती ने रविवार केंद्र के समान नागरिक संहिता (UCC)लाने के प्रयास पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि संविधान की धारा 44 में UCC बनाने का प्रयास तो वर्णित हैं मगर इसे थोपने का नहीं है। मायावती ने कहा कि हमारी पार्टी UCC को लागू करने के खिलाफ नहीं है बल्कि भाजपा और इनकी सरकार द्वारा इसे देश में लागू करने के तरीके से सहमत नहीं है।
मायावती ने कहा कि इन सभी बातों को ध्यान में रखकर ही भाजपा को देश में UCC को लागू करने के लिए कोई कदम उठाना चाहिए था। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोगों पर हर मामले में समान कानून लागू होता है तो उससे देश कमजोर नहीं बल्कि मजबूत ही होगा। साथ ही लोगों में आपसी सद्भाव और भाईचारा भी पैदा होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘यह बात भी काफी हद तक सही है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता लागू करने का जिक्र है लेकिन इसे जबरन थोपने का प्रावधान बाबा साहब भीमराव के संविधान में नहीं है। बसपा प्रमुख ने कहा कि हम यूसीसी के खिलाफ नहीं हैं लेकिन यह मानकर चलना चाहिए कि देश में विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं। उनके अपने रस्म रिवाज हैं, उनकी अपनी कार्यशैली हैं, जन्म से लेकर मृत्यु तक उनके अपने अलग तौर-तरीके हैं इसलिए जब ये कानून बनाए जाए तो इन सब चीजों को भी ध्यान में रखकर चलना चाहिए।’
मायावती ने महंगाई को लेकर कहा कि ‘‘यह आम चर्चा है कि प्रमुख समस्याओं की तरफ सरकार का ध्यान नहीं जा रहा है बल्कि जनता का ध्यान बांटने के लिए ये लोग यूसीसी की बात कर रहे हैं।’’ गौरतलब है कि 27 जून को भोपाल में एक सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की पुरजोर वकालत करते हुए सवाल किया था कि ‘‘दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चलेगा?’’ उन्होंने यह भी कहा था कि भाजपा ने तय किया है कि वह तुष्टिकरण और वोटबैंक की राजनीति के बजाए ‘‘संतुष्टिकरण’’ के रास्ते पर चलेगी। मोदी ने कहा था कि विपक्ष यूसीसी के मुद्दे का इस्तेमाल मुस्लिम समुदाय को गुमराह करने और भड़काने के लिए कर रहा है।
भाषा इनपुट के साथ