विवादास्पद सभा के एक साल बाद भी मरकज प्रमुख जांच में शामिल नहीं हुए

By भाषा | Updated: March 23, 2021 20:26 IST2021-03-23T20:26:48+5:302021-03-23T20:26:48+5:30

Markaz did not attend the major investigation even after a year of the controversial meeting | विवादास्पद सभा के एक साल बाद भी मरकज प्रमुख जांच में शामिल नहीं हुए

विवादास्पद सभा के एक साल बाद भी मरकज प्रमुख जांच में शामिल नहीं हुए

नयी दिल्ली, 23 मार्च कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान निजामुद्दीन पश्चिम में धार्मिक सभा आयोजित करने के कारण तबलीगी जमात के मरकज के आलोचनाओं से घिरने के एक साल बाद भी इसके नेता मौलाना साद कंधावली दिल्ली पुलिस द्वारा कई नोटिस जारी किए जाने बावजूद अभी तक जांच में शामिल नहीं हुए हैं।

कंधावली के खिलाफ इस घटना के संबंध में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। मार्च, 2020 में आयोजित इस सभा में विभिन्न देशों एवं राज्यों के हजारों जमाती एकत्र हुए थे। इनमें से कई लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे, जिसके बाद केंद्र के निर्देश पर राज्य सरकारों ने इन सभा में भाग लेने वाले लोगों का पता लगाने और उन्हें पृथक-वास में रखने के लिए तलाश अभियान चलाया था।

दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने थाना प्रभारी निजामुद्दीन की शिकायत पर 31 मार्च, 2020 को इस सभा के आयोजकों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए कंधावली समेत सात लोगों के खिलाफ महामारी रोग अधिनियम, आपदा प्रबंधन अधिनियम (2005), विदेशी अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की अन्य प्रासंगिक धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी।

तबलीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल होने वाले कुछ लोगों की संक्रमण से मौत हो जाने के बाद कंधावली के खिलाफ गैरइरादतन हत्या का मामला भी दर्ज किया था।

पुलिस ने बताया कि कंधावली को कई बार नोटिस दिए गए, लेकिन वह अभी तक जांच में शामिल नहीं हुए हैं, लेकिन इस मामले में उनके बेटों और मरकज के पदाधिकारियों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि केंद्र से जब्त किए गए कई दस्तावेजों एवं इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की फोरेंसिक रिपोर्ट आ चुकी है, जबकि कुछ की रिपोर्ट आनी बाकी है।

दिल्ली की एक अदालत ने पिछले साल दिसंबर में उन 36 विदेशी नागरिकों को बरी कर दिया था, जिनके खिलाफ देश में कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर जारी सरकारी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करके और लापरवाही बरतकर तबलीगी जमात के कार्यक्रम में भाग लेने के कारण आरोप पत्र दायर किया गया था।

इसके अलावा, उन भारतीय नागरिकों के खिलाफ भी प्राथमिकियां दर्ज की गई थीं, जिन्होंने इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले लोगों को अपने घरों में शरण दी थी। इनमें से दो लोगों-फिरोज सिद्दीकी और रिजवान- के अलावा छह अन्य लोगों ने उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकियां रद्द किए जाने का अनुरोध करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

दिल्ली पुलिस ने बताया कि अभी तक 36 देशों के 956 विदेशी नागरिकों के खिलाफ 48 आरोप पत्र और 11 पूरक आरोप पत्र दाखिल किए जा चुके हैं।

निजामुद्दीन मरकज में आयोजित सभा में कम से कम 9,000 लोग शामिल हुए थे, जिनमें से कई लोग बाद में देश के विभिन्न हिस्सों में गए थे।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आयोजकों की आलोचना की थी, लेकिन मरकज ने बयान में कहा था कि उसने कानून के किसी प्रावधान का उल्लंघन नहीं किया है और उसने अपने परिसर में पृथक-वास केंद्र बनाए जाने का प्रस्ताव रखा था।

बयान में कहा गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 मार्च को जनता कर्फ्यू लागू कर दिया था, जिसके बाद जारी कार्यक्रम का आयोजन तत्काल रद्द कर दिया गया था, लेकिन 21 मार्च को रेल सेवाएं बंद होने के कारण कई लोग परिसर में फंस गए थे।

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