पत्नी के साथ वैवाहिक बलात्कार और अप्राकृतिक यौन संबंध करने वाला पति सजा के लिए उत्तरदायी, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा

By भाषा | Published: March 24, 2022 04:40 PM2022-03-24T16:40:28+5:302022-03-24T16:47:13+5:30

उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने पत्नी के कथित रूप से बलात्कार करने और अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने तथा बेटी के यौन उत्पीड़न को लेकर चल रहा मुकदमा खारिज करने के लिए एक व्यक्ति की याचिका पर यह व्यवस्था दी।

marital rape husband unnatural sex wife amenable punishment under section 376 ipc karnataka high court | पत्नी के साथ वैवाहिक बलात्कार और अप्राकृतिक यौन संबंध करने वाला पति सजा के लिए उत्तरदायी, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा

ह असमानता है, जो संविधान की आत्मा, समानता का अधिकार, को चोट पहुंचा रहा है।

Highlights संविधान के अनुच्छेद 14 की भावना के विरुद्ध होगा।पति द्वारा बनाए गए यौन संबंध और अन्य यौन गतिविधियों को छूट दी गई है।महिला अलग दर्जा प्राप्त है, लेकिन पत्नी के रूप में उसका दर्जा बदल जाता है।

बेंगलुरुः कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा कि पत्नी के साथ वैवाहिक बलात्कार और अप्राकृतिक यौन संबंध के आरोपों से पति को छूट देना संविधान के अनुच्छेद 14 की भावनाओं के विरुद्ध है, जो समानता की बात करता है।

उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने पत्नी के कथित रूप से बलात्कार करने और अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने तथा बेटी के यौन उत्पीड़न को लेकर चल रहा मुकदमा खारिज करने के लिए एक व्यक्ति की याचिका पर यह व्यवस्था दी। न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना ने इस व्यक्ति की याचिका खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा, ‘‘अगर एक पुरुष, एक पति, वह जो पुरुष है, उसे भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के तहत आने वाले अपराध के आरोपों से छूट दे दी जाती है तो वह कानून के ऐसे प्रावधान के समक्ष असमानता होगी।

इसलिए यह संविधान के अनुच्छेद 14 की भावना के विरुद्ध होगा।’’ यह रेखांकित करते हुए कि पति द्वारा बनाए गए यौन संबंध और अन्य यौन गतिविधियों को छूट दी गई है, अदालत ने कहा कि एक महिला को बतौर महिला अलग दर्जा प्राप्त है, लेकिन पत्नी के रूप में उसका दर्जा बदल जाता है। इसी तरह पुरुष को बतौर पुरुष उसकी गलतियों के लिए सजा दी जाती है, लेकिन उसी पुरुष को पति होने पर छूट मिल जाती है। न्यायमूर्ति नागप्रसन्ना ने कहा, ‘‘यह वह असमानता है, जो संविधान की आत्मा, समानता का अधिकार, को चोट पहुंचा रहा है।’’

संविधान के तहत सभी मानवमात्र के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए फिर चाहे वह महिला हो या अन्य और असमानता की कोई भी सोच, अगर किसी भी कानून के प्रावधान में मौजूद है तो वह संविधान के अनुच्छेद 14 की भावनाओं के विरुद्ध है।

न्यायमूर्ति नागप्रसन्ना ने कहा, ‘‘संविधान में जिस स्त्री/पुरुष को समान बताया गया है उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के छूट-2 (एक्सेप्शन-2) के तहत असमान नहीं बनाया जा सकता। कानून निर्माताओं को कानून में मौजूद ऐसी असमानताओं पर विचार करना चाहिए।’’ 

Web Title: marital rape husband unnatural sex wife amenable punishment under section 376 ipc karnataka high court

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