पीजी मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिये मराठा कोटा: न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार से मांगा जवाब

By भाषा | Updated: June 20, 2019 02:52 IST2019-06-20T02:52:34+5:302019-06-20T02:52:34+5:30

उच्च न्यायालय ने पीजी मेडिकल और दंत चिकित्सा पाठ्यक्रमों में 16 फीसदी मराठा आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी थी।

Maratha quota for admission in PG medical courses: Court asks Maharashtra government | पीजी मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिये मराठा कोटा: न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार से मांगा जवाब

पीजी मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिये मराठा कोटा: न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार से मांगा जवाब

उच्चतम न्यायालय ने पीजी मेडिकल और दंत चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिये 16 फीसदी मराठा आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका पर बुधवार को महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा। न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि वह पीजी मेडिकल और दंत चिकित्सा पाठ्यक्रमों में मराठा आरक्षण के महाराष्ट्र सरकार के फैसले के खिलाफ याचिका पर 24 जून को सुनवाई करेगी।

पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को अधर में नहीं छोड़ा जा सकता और उच्च न्यायालय या शीर्ष अदालत को इस मुद्दे का निर्णय करना ही होगा। याचिकाकर्ताओं ने बंबई उच्च न्यायालय के 13 जून के आदेश को चुनौती दी है। उच्च न्यायालय ने पीजी मेडिकल और दंत चिकित्सा पाठ्यक्रमों में 16 फीसदी मराठा आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी थी।

पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने पहले शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी और उन्हें राहत के लिये उच्च न्यायालय जाने की सलाह दी गयी थी। पीठ ने इस तथ्य का भी जिक्र किया कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो के लिये प्रवेश में आरक्षण से संबंधित इसी तरह के एक अन्य मामले में शीर्ष अदालत ने कहा था कि कोई अन्य अदालत ऐसी याचिका पर विचार नहीं करेगी।

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफडे ने दलील दी कि उच्च न्यायालय ने शीर्ष अदालत के चार जून के आदेश के मद्देनजर मामले पर विचार ही नहीं किया। शीर्ष अदालत ने इस आदेश के तहत कहा था कि कोई भी अन्य अदालत पीजी मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश से संबंधित किसी भी याचिका पर विचार नहीं करेगी। नफडे ने कहा कि 30 नवंबर, 2018 से प्रभावी सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग कानून को पहले ही चुनौती दी जा चकी है।

याचिकाकर्ता समीर ने उच्च न्यायालय के 13 जून के आदेश को चुनौती देते हुये दावा किया है कि शीर्ष अदालत के चार और दस जून के आदेश की वजह से उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने महाराष्ट्र राज्य सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिये राज्य में शिक्षण संस्थाओं और लोक सेवाओं में नियुक्तियों के लिये आरक्षण (संशोधन और प्रमाणीकरण) अध्यादेश 2019 को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया। 

Web Title: Maratha quota for admission in PG medical courses: Court asks Maharashtra government

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