Manoj Jarange Patil Maratha Morcha: 4 दिन से भूख हड़ताल पर बैठे जरांगे, सीएम फडणवीस, उपमुख्यमंत्री शिंदे और पवार में चर्चा, कोर्ट ने कहा- 2 सितंबर तक सड़क खाली कराओ
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 1, 2025 18:17 IST2025-09-01T18:16:09+5:302025-09-01T18:17:49+5:30
Manoj Jarange Patil Maratha Morcha: न्यायमूर्ति शिंदे हैदराबाद, सातारा और अन्य राजपत्रों के अनुसार कुनबी रिकॉर्ड की पड़ताल के लिए गठित समिति के प्रमुख हैं।

Manoj Jarange Patil Maratha Morcha
मुंबईः महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने सोमवार को उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार के साथ कार्यकर्ता मनोज जरांगे के नेतृत्व में हो रहे मराठा आरक्षण आंदोलन से उत्पन्न स्थिति पर चर्चा की। जरांगे 29 अगस्त से दक्षिण मुंबई स्थित आज़ाद मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं। वह मराठा समुदाय को कुनबी दर्जा दिए जाने की मांग कर रहे हैं, जिससे उन्हें आरक्षण का लाभ मिल सके। कुनबी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत आते हैं। बैठक में मराठा आरक्षण पर कैबिनेट उप समिति के प्रमुख मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल और उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश संदीप शिंदे भी उपस्थित थे। न्यायमूर्ति शिंदे हैदराबाद, सातारा और अन्य राजपत्रों के अनुसार कुनबी रिकॉर्ड की पड़ताल के लिए गठित समिति के प्रमुख हैं।
विखे पाटिल ने संवाददाताओं को बताया कि सरकार मराठा आरक्षण मुद्दे का कानूनी रूप से टिकने वाला समाधान ढूंढ़ना चाहती है। राज्य सरकार विभिन्न अदालती फैसलों पर विचार-विमर्श कर रही है, जिनमें कहा गया है कि मराठा सामाजिक रूप से पिछड़े नहीं हैं और उन्हें ‘कुनबी’ नहीं कहा जा सकता।
जरांगे का आंदोलन शांतिपूर्ण नहीं, दो सितंबर तक मुंबई की सभी सड़कें खाली कराएं: उच्च न्यायालय
बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि कार्यकर्ता मनोज जरांगे के नेतृत्व में मराठा आरक्षण आंदोलन के कारण पूरा शहर ठहर गया है और यह प्रदर्शन शांतिपूर्ण नहीं है तथा इसमें सभी शर्तों का उल्लंघन किया गया है। उच्च न्यायालय ने मुंबई में सामान्य स्थिति बहाल करने का आग्रह किया और जरांगे तथा उनके समर्थकों को हालात सुधारने तथा मंगलवार दोपहर तक सभी सड़कें खाली करने का अवसर दिया।
जरांगे 29 अगस्त से दक्षिण मुंबई स्थित आज़ाद मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं। वह मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत 10 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने की मांग कर रहे हैं। उनके समर्थकों ने दावा किया कि जरांगे ने सोमवार से पानी पीना बंद कर दिया है।
न्यायमूर्ति रवींद्र घुगे और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की पीठ ने विशेष सुनवाई में कहा कि प्रदर्शनकारी आंदोलन के लिए निर्धारित स्थान आजाद मैदान पर नहीं रुके हैं और उन्होंने दक्षिण मुंबई के कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों को अवरुद्ध कर दिया है। अदालत ने कहा, "स्थिति गंभीर है और मुंबई शहर लगभग ठहर सा गया है।"
अदालत ने कहा कि प्रदर्शनकारी छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) और चर्चगेट रेलवे स्टेशन, मरीन ड्राइव और उच्च न्यायालय भवन जैसे महत्वपूर्ण स्थानों पर जमा हो गए हैं। अदालत ने कहा कि आंदोलन शांतिपूर्ण नहीं है और जरांगे तथा अन्य प्रदर्शनकारियों ने दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अनुमति देते समय प्राधिकारों द्वारा निर्धारित प्रत्येक शर्त का उल्लंघन किया है।
पीठ ने कहा, "हम जरांगे और उनके समर्थकों को हालात को तुरंत सुधारने और यह सुनिश्चित करने का अवसर दे रहे हैं कि मंगलवार दोपहर तक सड़कें खाली हो जाएं।" अदालत ने कहा कि चूंकि जरांगे और उनके समर्थकों ने प्रथम दृष्टया शर्तों का उल्लंघन किया है और चूंकि उनके पास प्रदर्शन जारी रखने के लिए वैध अनुमति नहीं है, इसलिए वह उम्मीद करती है कि राज्य सरकार उचित कदम उठाकर कानून में निर्धारित प्रक्रिया का पालन करेगी। अदालत ने कहा कि सरकार यह भी सुनिश्चित करेगी कि अब से कोई भी प्रदर्शनकारी, जैसा कि जरांगे ने दावा किया है, शहर में प्रवेश न करे।
पीठ ने मामले की अगली सुनवाई मंगलवार के लिए निर्धारित करते हुए कहा कि अगर तब तक जरांगे की तबीयत बिगड़ती है, तो सरकार उन्हें चिकित्सा सहायता प्रदान करेगी। महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने अदालत को बताया कि आज़ाद मैदान में प्रदर्शन की अनुमति केवल 29 अगस्त तक दी गई थी। उन्होंने कहा कि जरांगे और उनके समर्थकों ने हर शर्त और वचन का उल्लंघन किया है।
पीठ ने कहा कि जरांगे द्वारा पुलिस को दिया गया यह आश्वासन कि वह सभा, आंदोलन और प्रदर्शन के लिए नियमों में निर्धारित सभी शर्तों का पालन करेंगे, केवल एक दिखावा मात्र है। पीठ ने कहा, "हम देख सकते हैं कि प्रदर्शन कितना शांतिपूर्ण है। उच्च न्यायालय की इमारत को घेर लिया गया। न्यायाधीशों और वकीलों के प्रवेश द्वार बंद कर दिए गए हैं।
आज उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की कारों को रोक दिया गया और उन्हें अदालत आने से रोक दिया गया। पूरे शहर की नाकेबंदी कर दी गई है।" अदालत ने पूछा कि अगर जरांगे का यह बयान सही है कि ऐसे लाखों और प्रदर्शनकारी आएंगे, तो राज्य सरकार इस स्थिति से निपटने की क्या योजना बना रही है।
पीठ ने कहा, "उन्होंने कहा है कि वह आमरण अनशन पर रहेंगे और अपनी मांगें पूरी होने तक मुंबई नहीं छोड़ेंगे। वह (जरांगे) खुली धमकी दे रहे हैं। राज्य सरकार सड़कें क्यों नहीं खाली करवा रही है? जरांगे द्वारा दिए गए आश्वासन के अनुसार, मुंबई में जनजीवन ठप नहीं होगा। हर आश्वासन का उल्लंघन किया गया।"
अदालत ने जानना चाहा कि प्रदर्शनकारी सिर्फ़ आज़ाद मैदान में ही क्यों नहीं बैठे हैं और हर जगह घूम रहे हैं। उच्च न्यायालय ने कहा, "हम सामान्य स्थिति चाहते हैं। प्रदर्शनकारी सड़कों पर नहा रहे हैं, खाना बना रहे हैं और शौच कर रहे हैं।" पीठ ने कहा कि वह जरांगे के बारे में भी चिंतित है, जो अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल कर रहे हैं।
पीठ ने कहा कि हालांकि प्रत्येक नागरिक को विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार है, लेकिन यह शांतिपूर्ण तरीके से और स्वीकार्य सीमा के भीतर किया जाना चाहिए। उच्च न्यायालय ने 26 अगस्त को पारित आदेश को दोहराया जिसमें कहा गया था कि कोई भी प्रदर्शन नियमों का सख्ती से पालन करते हुए किया जाना चाहिए।
जब अदालत ने पूछा कि सरकार इस स्थिति से निपटने की क्या योजना बना रही है, तो सराफ ने कहा कि गणपति उत्सव को देखते हुए सरकार और पुलिस को स्थिति में संतुलन बनाना होगा। सराफ ने कहा, "पुलिस बल का प्रयोग आसान होगा, लेकिन उसके परिणाम बुरे होंगे।
हमें सड़क पर प्रदर्शनकारियों और नागरिकों के बीच एक नाजुक संतुलन बनाए रखना होगा।" गणेश उत्सव के कारण 27 अगस्त से उच्च न्यायालय अवकाश पर है और मंगलवार को फिर से कार्य शुरू होगा। प्रदर्शनों के बेकाबू होने और शहर में जनजीवन प्रभावित होने के संबंध में कई याचिकाएं दायर होने के बाद पीठ ने इस मुद्दे पर सुनवाई शुरू की।